पेरेंट्स से भी सीखते हैं बच्चे ये 5 बुरी आदतें, अनदेखा करना पड़ेगा भारी

By: Ankur Fri, 22 Oct 2021 7:18:01

पेरेंट्स से भी सीखते हैं बच्चे ये 5 बुरी आदतें, अनदेखा करना पड़ेगा भारी

हर पेरेंट्स की ख्वाहिश होती हैं कि बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर अच्छा इंसान बनाया जाए। पेरेंट्स इसके लिए हर संभव प्रयास करते हैं। लेकिन कई बार खुद पेरेंट्स इस बात को नजरअंदाज कर बैठते हैं जिसकी वजह से बच्चे उन्हीं से ही सीखकर कुछ गलत आदतें अपना लेते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको पेरेंट्स की उन गलतियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका बुरा असर बच्चों पर काफी पड़ता हैं। ऐसे में जरूरी हैं कि समय रहते पेरेंट्स अपनी इन आदतों में सुधार लेकर आए ताकि बच्चे गलत राह ना पकड़ लें।

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चीखना-चिल्लाना

ऑफिस में बढ़ता वर्कलोड, टेंशन, परिवार की ज़रूरतें पूरी करने की चिंता ने आजकल पैरैंट्स को बहुत बिज़ी बना दिया है और उनका यही बिज़ी शेड्यूल अक्सर उन्हें तनावग्रस्त कर देता है। नतीजतन कई बार घर में बच्चों के सामने उनका ग़ुस्सा फूट पड़ता है। बच्चे अपने माता-पिता के ऐसे व्यवहार को बहुत ध्यान से देखते हैं और बाद में उसे दोहराने लगते हैं। यदि आपका बच्चा कुछ अच्छा करता है तो उसकी तारीफ़ करें। इसी तरह कुछ ग़लत करने पर उसे अकेले में ले जाकर समझाएं। सबके सामने चिल्लाने पर बच्चे तनावग्रस्त हो सकते हैं। पैरेंट्स को ऑफिस की टेंशन घर नहीं लानी चाहिए। पैरेंट्स को बच्चों के सामने आपस में उलझने से भी बचना चाहिए। आपसी मतभेद को अकेले में बातचीत से सुलझाएं।

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फिटनेस पर ध्यान न देना

अनहेल्दी पैरेंट्स के बच्चे भी अनहेल्दी होते हैं, भले ही आप इस बात से इत्तेफ़ाक न रखें, लेकिन ये सच है। यदि बच्चा आपको एक्सरसाइज़ या आउटडोर एक्टिविटी में शामिल होता नहीं देखेगा तो वो भी ऐसा करने के लिए प्रेरित नहीं होगा। यदि आप चाहती हैं कि आपका बच्चा फिट और हेल्दी रहे तो रेग्युलर एक्सरसाइज़ के साथ ही हेल्दी डायट की भी आदत डाल लें। पैरंट्स को स़िर्फ बच्चों की स्कूल एक्टिविटिज़, होमवर्क आदि का ही ध्यान नहीं रखना चाहिए, बल्कि उसकी फिटनेस को भी प्राथमिकता देनी चाहिए। पैरेंट्स को अपनी डायट और एक्सरसाइज़ का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि बच्चे उन्हें ही फॉलो करते हैं। रोज़ाना कम-से-कम एक घंटे की एक्सरसाइज़ ज़रूरी है। ये दौड़ना, गेम खेलना या वर्कआउट किसी भी रूप में हो सकता है। बच्चों के लिए फिज़ीकली एक्टिव रहना ज़रूरी है। अतः बच्चे को इंडोर की बजाय आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रेरित करें।”

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जंक फूड की आदत

आजकल वर्किंग पैरेंट्स ख़ुद तो फास्ट व जंक फूड खाते ही हैं साथ ही बच्चों के टिफिन में भी पोटैटो चिप्स, फ्रेंच फ्राइस, बर्गर जैसी चीज़ें देकर उनकी आदत और सेहत दोनों बिगाड़ रहे हैं। कई बार तो घर पर भी स्नैक्स के तौर पर उन्हें जंक फूड ही देते हैं। जब पैरेंट्स ख़ुद ही जंक फूड को बढ़ावा दे रहे हैं, तो बच्चों को इसके नुक़सान समझाना मुश्किल है। कई बार पैरेंट्स ईनाम के रूप में बच्चे को पिज़्ज़ा, बर्गर, फ्राइस आदि की ट्रीट देते हैं इससे बच्चे जंक फूड खाने के लिए प्रोत्साहित होते हैं और वो इसे अनहेल्दी फूड नहीं समझते। यदि आप घर पर खाना बनाने की बजाय ज़्यादातर होटल से खाना मंगाती है तो बच्चे को भी इसकी लत लग जाएगी और उसे घर का हेल्दी खाना अच्छा नहीं लगेगा। बच्चे को स़िर्फ जंक फूड खाने के लिए मना करना ही काफ़ी नहीं है, बल्कि उसकी डेली डायट में ताज़े फल और सब्ज़ियों को शामिल करना भी ज़रूरी है। आप बच्चे को जंक फूड से पूरी तरह दूर तो नहीं कर सकतीं, लेकिन उसकी डायट में हेल्दी चीज़ें शामिल करके उसे बैलेंस ज़रूर कर सकती हैं।

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सेलफोन एडिक्शन

यदि आप घंटों सास-बहू सीरियल देखती हैं और ये उम्मीद करती हैं की बच्चा चुपचाप अपना काम करेगा, तो संभव नहीं है। आपकी देखा देखी वो भी होमवर्क छोड़ टीवी देखेगा। आधा-एक घंटा टीवी देखने में कोई हर्ज़ नहीं है, लेकिन पैरेंट्स को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वो जो देख रहे हैं उसका बच्चों पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े। ऐसे प्रोग्राम सेलेक्ट करें जिससे बच्चों की नॉलेज बढ़े। साथ ही ये भी सुनिश्‍चित करें कि होमवर्क ख़त्म करने के बाद ही वो टीवी के सामने बैठें। जहां तक फोन का सवाल है तो पैरेंट्स को फोन पर बहुत लंबी बातचीत से बचना चाहिए।

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पूरी नींद न लेना

कई पैरेंट्स लेट नाइट पार्टीज़, टीवी शो, देर रात तक फिल्म देखते रहते हैं, जिससे बच्चे भी वैसा ही करने लगते हैं। नतीजतन बच्चों की नींद पूरी नहीं होती और वो सुबह जल्दी नहीं उठ पातें, अगर उठ भी जाएं तो उन्हें क्लासरूम में नींद आने लगती है। हेल्दी और फ्रेश रहने के लिए नींद पूरी होनी ज़रूरी है। ख़ासतौर पर बच्चों को सही टाइम पर सोना और उठना चाहिए, लेकिन वो ऐसा तभी करेंगे जब आप ऐसा करेंगी। 7-8 साल के बच्चों को कम से कम 8-9 घंटे सोना चाहिए। टीनेजर्स के लिए 7-8 घंटे की नींद ज़रूरी है। बच्चों के सोने का समय नियमित रखें। वीकेंड्स पर रिलैक्स होने के लिए उन्हें कुछ घंटों के लिए बाहर ज़रूर ले जाएं, लेकिन बहुत देर या लेट नाइट बाहर रहने से बचें। बच्चों की ख़ातिर आपको अपनी आदत थोड़ी बदलनी होगी।”

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