
करवाचौथ का व्रत हर सुहागिन महिला के लिए अत्यंत पवित्र और भावनात्मक पर्व माना जाता है। यह दिन पति की लंबी उम्र और दांपत्य सुख की कामना के लिए समर्पित होता है। पूरे दिन निर्जला रहकर, सोलह श्रृंगार में सजी महिलाएं जब चांद का दीदार करती हैं और पति के हाथों जल ग्रहण करती हैं, तो वह क्षण उनके प्रेम और समर्पण का प्रतीक बन जाता है।
लेकिन इस व्रत को लेकर कई तरह की मान्यताएं और परंपराएं हैं। इन्हीं में से एक सवाल हर साल लोगों के मन में उठता है — क्या करवाचौथ के दिन पति-पत्नी को शारीरिक संबंध बनाना चाहिए? क्या ऐसा करने से व्रत का प्रभाव घटता है या यह धर्म के विरुद्ध है? आइए जानते हैं इस विषय पर धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोणों से सही जानकारी।
धार्मिक दृष्टि से क्या कहते हैं ग्रंथ?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, करवाचौथ का दिन संपूर्ण संयम, श्रद्धा और मानसिक पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन महिलाएं न केवल भोजन और जल का त्याग करती हैं, बल्कि मन और शरीर दोनों को शुद्ध रखने का प्रयास करती हैं। धर्मशास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि इस व्रत का पालन करते समय शारीरिक संबंधों से दूर रहना चाहिए, क्योंकि यह दिन उपवास और आध्यात्मिक साधना का प्रतीक है।
पंडितों का मानना है कि इस दिन शारीरिक संबंध बनाने या ऐसे विचार आने से व्रत की पवित्रता भंग होती है और उसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता।कहा जाता है कि करवाचौथ केवल शारीरिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक जुड़ाव का प्रतीक है — जहाँ प्रेम की अभिव्यक्ति भावनाओं के स्तर पर होती है, न कि भौतिक रूप से। इसलिए इस दिन दंपती को एक-दूसरे के प्रति सम्मान, प्रेम और आत्मिक एकता का अनुभव करना चाहिए।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से क्या है सच्चाई?
यदि बात मेडिकल साइंस की करें, तो स्वास्थ्य की दृष्टि से करवाचौथ के दिन शारीरिक संबंध बनाना किसी भी प्रकार से हानिकारक नहीं है। विज्ञान के अनुसार, यदि व्यक्ति स्वस्थ है तो यह उसकी इच्छा पर निर्भर करता है। हालांकि, धार्मिक व्रतों का उद्देश्य केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक अनुशासन बनाए रखना होता है। इसलिए लोग इन परंपराओं का पालन आस्था और श्रद्धा से करते हैं, न कि केवल शारीरिक तर्कों से।
करवाचौथ पर किन बातों का ध्यान रखें
करवाचौथ के दिन कुछ आचरण ऐसे हैं जिनसे बचना चाहिए, ताकि व्रत का पूर्ण लाभ मिल सके।
पति-पत्नी के बीच झगड़ा या तकरार से बचें — यह दिन प्रेम और समर्पण का होता है, कलह से व्रत का फल कम हो जाता है।
किसी की निंदा या बुराई न करें — यह धार्मिक दृष्टि से अशुभ माना गया है।
काले कपड़े न पहनें — शुभ अवसरों और पूजन के समय इसे वर्जित रंग माना जाता है।
नकारात्मक विचारों से बचें — मन को शांत और सकारात्मक रखें, यही इस व्रत की आत्मा है।
करवाचौथ केवल एक व्रत नहीं, बल्कि पति-पत्नी के प्रेम, आस्था और आत्मिक जुड़ाव का उत्सव है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य संयम और श्रद्धा बनाए रखना है। धार्मिक दृष्टि से इस दिन शारीरिक संबंध बनाने की मनाही बताई गई है, क्योंकि यह व्रत की पवित्रता को प्रभावित कर सकता है। वहीं वैज्ञानिक रूप से इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है, परंतु अधिकांश लोग परंपरा और भावनात्मक शुद्धता के चलते इससे दूर रहना ही उचित समझते हैं।














