ये 4 स्टडी कहती हैं एक्सीडेंट के लिए जिम्मेदार है नींद, हादसे होने का टाइम फिक्स

By: Priyanka Maheshwari Sat, 31 Dec 2022 11:45:21

ये 4 स्टडी कहती हैं एक्सीडेंट के लिए जिम्मेदार है नींद, हादसे होने का टाइम फिक्स

भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत का एक्सीडेंट शुक्रवार (30 दिसंबर) तड़के रूड़की के पास गुरुकुल नारसन एरिया में हुआ था। पंत कार में अकेले थे और खुद ही गाड़ी चला रहे थे। हादसे के बाद पंत ने बताया था कि ड्राइविंग के दौरान उन्हें नींद की झपकी आई और कार डिवाइडर से टकराकर दुर्घटना ग्रस्त हो गई। पंत ने बताया कि वह विंड स्क्रीन तोड़कर बाहर आए। इसके बाद कार में भीषण आग लग गई थी। पंत इस हादसे में बाल-बाल बचे हैं। लेकिन हर किसी की पंत जैसी किस्मत नहीं होती हैं। ऐसे में हम आपको कुछ स्टडी के बारे में बताने जा रहे है जो ये प्रूफ करती है कि एक्सीडेंट के लिए जिम्मेदार नींद होती है। साथ ही आपको यह भी बताएंगे की नींद की वजह से कार एक्सीडेंट का एक टाइम भी फिक्स है। तो चलिए जानते हैं...

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- वर्ल्ड बैंक की स्टडी में कहा गया कि स्लीप डिसऑर्डर की वजह से रोड एक्सीडेंट का रिस्क 300% बढ़ जाता है।
- 2021 में आईआईटी बॉम्बे के डॉ। कीर्ति महाजन और प्रोफेसर नागेंद्र वेलागा ने रोड एक्सीडेंट से जुड़ी एक स्टडी की। इसमें उन्होंने कहा कि वो ड्राइवर्स जो ठीक से नहीं सोते या जो पांच घंटे से भी कम नींद लेते हैं, एक्सीडेंट का ज्यादा शिकार होते हैं।
- 2020 में केरल के ट्रांसपोर्ट अधिकारियों ने एक सर्वे किया जिसमें बताया कि हाईवे पर ठीक से नींद न लेने वाले ड्राइवर 40% रोड एक्सीडेंट के लिए जिम्मेदार होते हैं।
- 2019 में सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट ने 300 किलोमीटर के आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर एक स्टडी की। इसमें भी यही बात सामने आई है कि 40% रोड एक्सीडेंट ड्राइवर को नींद आने की वजह से होते हैं।

एक्सीडेंट होने का टाइम फिक्स

दोपहर 1 से शाम के 3 बजे: लंच के बाद नींद आती है, जिससे सबसे ज्यादा एक्सीडेंट होते हैं।
रात के 2 से सुबह 5 बजे: यह गहरी नींद का समय होता है, इस वजह से इस समय ड्राइवर की अलर्टनेस कम हो जाती हैं।

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अब समझें कि कैसे झपकी लेने से होते हैं हादसे

- नींद पूरी न होने की वजह से ब्रेक लगाने, एक्सेलेटर से पैर हटाने या अपनी गाड़ी की स्पीड कम करने को लेकर अलर्टनेस में कमी आ जाती है।
- रात के समय प्रोफेशनल ड्राइव करने वाले ज्यादातर ड्राइवर्स के पास न तो कोई ट्रेनिंग होती है और न ही उस समय में ड्राइव करने का एक्सपीरियंस होता है।
- कुछ लोग रात में ड्राइव इसलिए करते हैं कि कम ट्रैफिक की वजह से जल्दी अपने डेस्टिनेशन पर पहुंच जाएंगे। खाली रास्ते पर गाड़ी की रफ्तार तेज रखते हैं और इससे हादसा होता है।
- कुछ लोग दिन में तो अच्छा ड्राइव कर लेते हैं। मगर रात में एक्सपीरियंस की कमी के चलते उन्हें झपकी आती है और एक्सीडेंट हो जाता है।

अपनाएं ये उपाय बचें नींद से वजह से होने वाले हादसों से

- लंच के बाद और देर रात ड्राइविंग करने से बचें
- 8 घंटे की नींद लिए बिना ड्राइव न करें
- लगातार 3 घंटे से ज्यादा ड्राइव न करें
- अगर सफर लंबा है तो बीच-बीच में पानी और जूस पीते रहें
- लंबे सफर में 15-20 मिनट का ब्रेक जरुर लें
- एक दिन में 8 घंटे से ज्यादा ड्राइव न करें
- सफर में ऐसे व्यक्ति को साथ ले जाएं जिसे ड्राइविंग आती हैं

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