बच्चों को अनुशासन सिखाने के दौरान ना करे ये 7 गलतियां, समझदार बनने की बजाय लगते हैं बिगड़ने

By: Ankur Sun, 13 Mar 2022 7:53:35

बच्चों को अनुशासन सिखाने के दौरान ना करे ये 7 गलतियां, समझदार बनने की बजाय लगते हैं बिगड़ने

बच्चों को अनुशासन सिखाना परवरिश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। बच्चों की हरकतें कई बार आपको दूसरों के सामने शर्मिंदा कर देती हैं तो जरूरी हैं कि बच्चा अनुशासित हो और इसके लिए पेरेंट्स अपने बच्चों को व्यवहारिक रूप से सही रखने के लिए हर तरह की कोशिश करते हैं। लेकिन देखा जाता हैं कि इस कोशिश में पेरेंट्स खुद कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जिसका बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं और वे समझदार बनने की बजाय और बिगड़ने लगते हैं। बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए डर या नियंत्रण की तकनीक सही नहीं है। कई बार तो ऐसी स्थिति आ जाती हैं कि बच्चों के मन में अपने पेरेंट्स के प्रति गुस्सा और द्वेष उत्पन्न होने लगता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको बच्चों को अनुशासन सिखाने के दौरान पेरेंट्स द्वारा होने वाली इन्हीं गलतियों के बारे में बताने जा रहे हैं।

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बच्चों के प्रति नेगेटिव होना

कई बार माता-पिता बच्चों को सही चीजें सिखाने और समझाने के चक्कर में उनके प्रति बहुत नेगेटिव हो जाते हैं। इस कारण एक समय पर बच्चा भी अपने माता-पिता के प्रति नेगेटिव हो जाता है। इतना ही नहीं वह घर के अन्य सदस्यों को भी नफरत भरी निगाहों से देखता है। पेरेंट्स के इस नेगेटिव नेचर का बुरा असर बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। माता-पिता की ओर से अपनाया गया ये रवैया बच्चे के दिमाग में लंबे समय तक रहता है।

बच्चों के पक्ष को न सुनना

विशेषज्ञों के मुताबिक कई बार अनुशासन के चक्कर में माता-पिता बच्चे को इतना दबाकर रखते हैं कि उसकी बातों को नजरअंदाज करना उनकी आदत बन जाती है। ये व्यवहार बच्चों में नेगेटिविटी लाता है। इतना ही नहीं ऐसा करने से बच्चा माता-पिता क्या किसी अन्य के सामने भी अपनी बातों को रखने में संकोच महसूस करता है।

पहले खुद की भावनाओं को करें काबू

बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए माता-पिता को भी इसके लिए जागरुक होना बहुत जरूरी है। माता पिता के लिए जरूरी है कि वह पहले खुद की भावनाओं को काबू करें और दूसरों को कंट्रोल करने से पहले खुद पर कंट्रोल करना सीखें। सेल्फ कंट्रोल और भावनाओं को काबू करना इंसान की अपनी ग्रोथ के लिए काफी सही माना जाता है। इसके जरिए दूसरों पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है। बच्चे वही सीखते हैं जो वह देखते हैं, ऐसे में चीजों को लेकर आपकी जैसी प्रतिक्रिया होगी बच्चे भी वैसा ही सीखेंगे। तो अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा खुद पर नियंत्रण करना सीखें तो पहले आपको खुद में यह बदलाव लाना होगा।

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कठिन नियम

अपने बच्चे को अनुशासित बनाने के लिए कई बार माता-पिता ऐसे कठिन नियमों का सहारा लेते हैं, जो उसके लिए बिल्कुल ठीक नहीं होते। कभी भी ऐसे नियम न बनाएं, जिन्हें फॉलो करने में बच्चे को मुश्किलों का सामना करना पड़े। इसके बजाय उन्हें समय के लिए पाबंद होना सिखाएं। या फिर साथ बैठकर खाना जैसी अच्छी आदत उसे डालें।

बच्चे की भावनाओं का रखें ख्याल

कुछ मामलों में, माता-पिता अपने बच्चे की भावनाओं को चोट पहुंचाते हैं या सजा के रूप में अपने बच्चों को डांटते हैं, ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उनके अपने माता-पिता ने अनुशासन के नाम पर उनके साथ ऐसा व्यवहार किया है। यह एक जेनरेशनल साइकिल का हिस्सा हो सकता है। लेविस कहते हैं कि माता-पिता कई बार अपने बुरे व्यवहार और विचारों को बच्चों पर थोपते हैं। कई बार यह सब माता-पिता की नजरों में सही होता है लेकिन बच्चों पर इसका कुछ अलग ही असर पड़ता है। बच्चे की भावनाओं का ख्याल नहीं रखते है तो बाहरी तौर पर इसका कोई असर नहीं पड़ता लेकिन कहीं ना कहीं उनके मन में ये चीज अटकी रहती है और बार-बार भावनाओं को चोट पहुंचाने से इसका असर उनकी सेहत पर पड़ने लगता है।

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खुद अनुशासनहीन होना

कई बार पेरेंट्स बच्चों से अनुशासन में रहने की उम्मीद करते हैं, लेकिन उन्हीं के सामने खुद अनुशासनहीन व्यवहार करते हैं। कहते हैं कि आप जैसा व्यवहार अपनाते हैं, बच्चा भी ठीक वैसे ही व्यवहार अपनाता है। इसलिए सलाह दी जाती है कि बच्चे के सामने ऐसी कोई चीज न करें, जो उसके दिमाग पर बुरा असर डाले। आप उसके सामने एक आइडल बनकर पेश होंगे, तो वो भी अनुशासित रहेगा।

बच्चों के अच्छे कार्यों की अनदेखी

बच्चों को अनुशासित करने के लिए कई बार पेरेंट्स ऐसी गलती कर बैठते हैं जिसका असर बच्चों पर उल्टा हो सकता है। बच्चों द्वारा कुछ अच्छा करने पर उन्हें मोटिवेट करते रहना जरूरी है। इससे उनके हौसला बढ़ता है और उनको कुछ नया करने का साहस भी मिलता है ताकि वे आगे बढ़ते रहें। कुछ नया करने पर भी एक माता-पिता बनकर नहीं उनके दोस्त बनकर उन्हें समझने की कोशिश करें और उनकी सरहाना करें। ऐसा न करने से बच्चों पर उल्टा असर हो सकता है।

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