किले, हवेलियों, छतरियों और मंदिरों के चलते पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है राजस्थान का चूरू
By: Geeta Tue, 17 May 2022 4:08:40
राजस्थान जिसे राजाओं और महाराजाओं की भूमि के रूप में जाना जाता है। राजस्थान में घूमने के लिए बहुत सारे स्थान हैं। राजस्थान का हर शहर अपने आप में एक ऐतिहासिक दस्तावेज है। यहाँ के महानगरों के साथ-साथ वर्तमान में कस्बों से बड़े शहरों में तबदील हो चुके स्थान भी ऐसे हैं जहाँ पर्यटकों के लिए कुछ न कुछ खास है। पर्यटकों के देखने के लिए कोई न कोई स्थान हर शहर में है। प्रचार तंत्र के चलते राजस्थान के कई बड़े शहर तो पर्यटकों की नजरों में आ चुके हैं लेकिन कुछ ऐसे स्थान भी हैं जो छोटे होने के कारण प्रचार तंत्र से दूर हैं जिनके चलते पर्यटक वहाँ तक पहुँच नहीं पाते हैं।
आज हम अपने लाइफ बैरी के पाठकों को राजस्थान के ऐसे ही एक अद्भुत स्थान चूरू के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपनी स्थापत्य कला और ऐतिहासिक वजूद के कारण अपना एक अलग मुकाम रखता है। चूरू में पर्यटकों के लिए बहुत कुछ है, जिसे वे देखने के बाद जरूर सराहेंगे। तो आइए डालते हैं एक नजर राजस्थान के चूरू पर—
चूरू
राजस्थान के मरुस्थलीय भाग का एक नगर एवं लोकसभा क्षेत्र है। इसे थार मरुस्थल का द्वार भी कहा जाता है। यह चूरू जिले का जिला मुख्यालय है। इसकी स्थापना 1620 ई में निर्बान राजपूतों द्वारा की गई थी। चूरू भारत की आजादी से पहले बीकानेर जिले का एक हिस्सा था। 1948 में, इसका पुनर्गठन होने पर इसे बीकानेर से अलग कर दिया गया।
अवस्थिति
यह नगर थार मरुस्थल में संगरूर से अंकोला को जोडऩे वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 52 पर बीकानेर को जाने वाले रेल मार्ग 28.2900 N, 74.9600 E पर स्थित है।
आकर्षण
रतनगढ़
यह एक ऐतिहासिक किला है। काफी संख्या में पर्यटक यहाँ घूमने के लिए आते हैं। इस किले का निर्माण बीकानेर के राजा रतनसिंह ने 1820 ई. में करवाया था। यह किला आगरा-बीकानेर मार्ग पर स्थित है। इस जगह के आसपास कई हवेलियाँ भी हैं। यहाँ रेतीले टीले हवा की दिशा के साथ आकृति और स्थान बदलते रहते हैं। इस शहर में कन्हैया लाल बंगला की हवेली और सुराना हवेली आदि जैसी कई बेहद खूबसूरत हवेलियां हैं, जिनमें हजारों छोटे-छोटे झरोखे एवं खिड़कियाँ हैं। ये राजस्थानी स्थापत्य शैली का अद्भुत नमूना हैं जिनमें भित्तिचित्र एवं सुंदर छतरियों के अलंकरण हैं। नगर के निकट ही नाथ साधुओं का अखाड़ा है, जहाँ देवताओं की मूर्तियाँ बनी हैं। इसी नगर में एक धर्म-स्तूप भी बना है जो धार्मिक समानता का प्रतीक है। नगर के केन्द्र में एक दुर्ग है जो लगभग 400 वर्ष पुराना है।
सालासार बालाजी
यह भगवान हनुमान का मंदिर है। यह मंदिर जयपुर-बीकानेर मार्ग पर स्थित है। चूरू भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। माना जाता है कि यहाँ जो भी मनोकामना माँगी जाए वह पूरी होती है। प्रत्येक वर्ष यहाँ दो बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है। यह मेले चैत्र (अप्रैल) और अश्विन पूर्णिमा (अक्टूबर) माह में लगते हैं। लाखों की संख्या में भक्तगण देश-विदेश से सालासार बालाजी के दर्शन के लिए यहाँ आते हैं। यह मंदिर पूरे साल खुला रहता है।
सुराणा हवेली
यह छह मंजिला इमारत है। यह काफी बड़ी हवेली है। इस हवेली की खिड़कियों पर काफी खूबसूरत चित्रकारी की गई है। इस हवेली में 1111 खिड़कियां और दरवाजे हैं। इस हवेली का निर्माण 1870 में किया गया था।
दूधवा खारा
ऐतिहासिक दृष्टि से यह स्थान काफी महत्वपूर्ण है। यह स्थान चूरू से 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह गाँव अपनी प्राकृतिक सुंदरता और खूबसूरत हवेलियों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ आकर राजस्थान के असली ग्रामीण परिवेश का अनुभव किया जा सकता है। इसके अलावा यहाँ ऊंटों की सवारी भी काफी प्रसिद्ध है।
ताल छापर अभयारण्य
ताल छापर अभयारण्य चुरू जिले में स्थित है। यह जगह मुख्य रूप से काले हिरण के लिए प्रसिद्ध है। इस अभयारण्य में कई अन्य जानवर जैसे-चिंकारा, लोमड़ी, जंगली बिल्ली के साथ-साथ पक्षियों की कई प्रजातियाँ भी देखी जा सकती हैं। इस अभयारण्य का क्षेत्रफल 719 वर्ग हेक्टेयर है तथा यह कुंरजा पक्षियों के लिये भी जाना जाता है।
कोठारी हवेली
इस हवेली का निर्माण एक प्रसिद्ध व्यापारी ओसवाल जैन कोठारी ने करवाया था जिसका नाम उन्होंने अपने गोत्र के नाम पर रखा। इस हवेली पर की गई चित्रकारी काफी सुंदर है। कोठारी हवेली में एक बहुत कलात्मक कमरा है, जिसे मालजी का कमरा कहा जाता है। इसका निर्माण उन्होंने सन् 1925 में करवाया था।
छतरी
चूरू में कई आकर्षक गुम्बद हैं। अधिकतर गुम्बदों का निर्माण धनी व्यापारियों ने करवाया था। ऐसे ही एक गुम्बद-आठ खम्भा छतरी का निर्माण सन् 1776 में किया गया था।
आवागमन
हवाई अड्डा - सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर में है। यह चूरू से 189 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग - सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन चूरू है। यह चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
बस मार्ग - देश के कई प्रमुख शहरों से चूरू के लिए बसें चलती हैं।
अतिरिक्त आकर्षण
1. चैनपुरा बड़ा चूरू जिले का राठौड़ राजपूतों का सबसे बड़ा गाँव है। यहां राठौड़ों के 500 परिवार बसते हैं। करणी माता का चूरू जिले का सबसे बड़ा मंदिर भी इसी गांव में है। इस गाँव में कुल 8 बड़े मंदिर हैं।
2. चूरू का किला , मालजी का कमरा, सेठानी का जोहरा।
3 . खुड्डी, राजगढ़ चूरू का सबसे अमीर गाँव — चूरू जिले की राजगढ़ तहसील का यह गाँव सबसे अमीर गाँव है। इस गाँव की सम्पति लगभग 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
ये भी पढ़े :
# दुनिया के 7 कम बजट वाले पर्यटन स्थल, तुरंत प्लान करें हॉलिडे ट्रिप
# गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है राजस्थान का बूँदी जिला, किले को देखकर आश्चर्यचकित होता है पर्यटक
# गुजरात के दो बेहतरीन पर्यटक स्थल, दिलों का शहर अहमदाबाद, जैन तीर्थस्थल पलिताना