भारतीय होते हुए भी देश की इन 7 जगहों पर नहीं जा सकते भारत के लोग, जानें क्यों

By: Ankur Thu, 28 Apr 2022 5:45:55

भारतीय होते हुए भी देश की इन 7 जगहों पर नहीं जा सकते भारत के लोग, जानें क्यों

भारत एक आजाद देश हैं जहां कोई भी देशवासी घूमने के लिए स्वतंत्र हैं और अपनी मनचाही जगह जा सकता हैं। दुनिया भर से लोग भारत में घूमने आते हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आजादी के 70 वर्षों के बाद भी भारत जैसे विशाल एवं विविधता पूर्ण देश में कुछ स्थान ऐसे हैं जहां भारतीयों को जाने की अनुमति नहीं है। ये बात जानकर आपको हैरानी जरूर हुई होगी पर ये बिल्कुल सच है। जी हां, भारत की कुछ जगहें ऐसी हैं जहां विदेशियों को जाने की मंजूरी हैं लेकिन भारतीय लोगों के लिए कड़े नियम बनाए गए हैं। आज इस कड़ी में हम आपको उन्हीं जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे अपनी ट्रेवल लिस्ट से हटा देना ही सही हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...

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फ्री कसोल कैफे, हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश में कई ऐसी जगह हैं जहां की खूबसूरती लोगों को अपनी तरफ बेहद आकर्षित करती हैं। हिमाचल में बसा कसोल गांव टूरिस्टों की पहली पसंदीदा जगहों में से एक है। हालांकि आपको यह जानकर थोड़ी हैरानी हो सकती है कि यहां भारतीयों से ज्यादा इजराइली लोग घूमते हुए दिखाई देते हैं। यही नहीं यहां के Free Kasol Cafe रेस्टोरेंट में भारतीयों के आने पर बैन लगा हुआ है। इसका मतलब यह है कि इस रेस्टोरेंट में किसी भी इंडियन टूरिस्ट को इंट्री नहीं मिलती है। ऐसा करने के पीछे यहां के कैफे मालिक का कहना है कि 'यहां आने वाले ज्यादातर भारतीय पर्यटक पुरुष होते हैं, जो कि यहां दूसरे पर्यटकों से दुर्व्यवहार करते हैं।'

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फॉर्नर्स ओन्ली' बीच, गोवा

गोवा पर्यटकों का सबसे पसंदीदा टूरिस्ट स्पॉट है। आप भी कई बार गर्मियों की छुट्टी बीताने के लिए गोवा गए होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं गोवा में कई ऐसे निजी बीच हैं, जहां भारतीयों के जाने की मनाही है। यहां सिर्फ विदेशी लोगों को ही इंट्री मिलती है। इसके पीछे यहां के बीच मालिकों का तर्क यह है कि ऐसा नियम उन्होंने 'बिकनी पहने विदेशी पर्यटकों' को छेड़खानी से बचाने के लिए बनाया है। मतलब साफ है- भारतीय यहां ना आए।

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नॉर्थ सेंटिनल, आइलैंड

अंडमान-निकोबार द्वीप समूह का एक द्वीप नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड भी है, जहां सिर्फ आदिवासी निवास करते हैं। ये द्वीप बाहरी दुनिया से संपर्क नहीं रखता है। साल 2018 में एक अमेरिकी ईसाई धर्म प्रचारक की मौत के बाद यह द्वीप चर्चा में आया था। नॉर्थ सेंटिनल द्वीप 23 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां पर रह रहे आदिवासियों की संख्या महज 100 के करीब है। उनकी सुरक्षा के लिए इस द्वीप पर बाहर से आए हुए किसी भी व्यक्ति का जाना वर्जित है।

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ब्रॉडलैंड लॉज, चेन्नई

चेन्नई कहने को तो भारत का ही एक हिस्सा है लेकिन यहां कई ऐसे होटल मौजूद हैं जहां भारतीयों के आने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इसमें सबसे मुख्य है ब्रॉडलैंड लॉज। दरअसल यह लॉज पुराने समय में राजा-महाराजा का महल हुआ करता था जो आज के समय में एक होटल बन गया है और 'नो इंडियन पॉलिसी' पर चलता है। यहां सिर्फ विदेशियों को ही रहने के लिए कमरे दिए जाते हैं। हॉस्टल में एंट्री के लिए किसी भी व्यक्ति को पासपोर्ट को जरूरत होती है। ऐसे में भारत के आम नागरिकों के लिए यह हॉस्टल अपनी सेवाएं उपलब्ध नहीं कराता है। होटल का दावा है कि वह पहली बार भारत आने वाले पर्यटकों को सेवा प्रदान करता है।

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फॉर्नर्स ओन्ली' बीच, पुदुच्चेरी

गोवा की तरह पुद्दुचेरी में भी एक ऐसा बीच है जहां भारतीयों के जाने पर मनाही है। यहां सिर्फ विदेशियों को ही आने की इजाजत मिलती है। यहां भारतीयों के जाने पर प्रतिबंध के पीछे भी गोवा की तरह ही तर्क है कि विदेशी टूरिस्ट की सुरक्षा और उन्हें छेड़खानी से बचाने के लिए ऐसा किया जाता है।

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यूनो-इन होटल, बेंगलुरु

साल 2012 में बेंगलुरु में स्थित यह होटल Uno-In खास तौर से जापानी लोगों के लिए बनाया गया था। लेकिन अपने एक नियम के चलते यह होटल जल्द ही विवादों से घिर गया। साल 2014 में यह तब चर्चा में आया था, जब होटल स्टॉफ ने भारतीय लोगों को रूफ टॉप रेस्तरां में जाने से रोक दिया। इस बात को लेकर यहां काफी विवाद भी हुआ। जिसके बाद साल 2014 में ग्रेटर बेंगलुरु सिटी कॉर्पोरेशन ने जातीय भेदभाव के आरोप में इस होटल को बंद करवा दिया।

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मलाना गाँव, हिमाचल प्रदेश

मलाना एक प्राचीन भारतीय गाँव है जिसे अलेक्जेंडर महान द्वारा 326 ईसा पूर्व में बसाया गया था। उस समय के कुछ घायल सैनिक जो यहाँ रूक गए थे उन्हें ही मलाना के लोग अपना पूर्वज मानते हैं। इन ग्रामीणों को ‘मुझे मत छुओ’ उपनाम से भी जाना जाता है क्योंकि इनके सामान को छूने की अनुमति किसी को नहीं है। यहाँ तक कि लोगों को इस गांव की सीमाओं को पार करने की भी अनुमति नहीं है। इस गाँव की भाषा ‘कंशी’ है, जो पवित्र मानी जाती है और बाहरी लोग इस भाषा का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा बाहरी व्यक्तियों को वे अपने मंदिरों में प्रवेश की अनुमति भी नहीं देते हैं क्योंकि ग्रामीण बाहरी व्यक्तियों को अछूत मानते हैं। मलाना जलविद्युत स्टेशन नामक एक बांध परियोजना इस गाँव को बाकी दुनिया के करीब लाया है और यह परियोजना इस क्षेत्र में राजस्व प्राप्ति का एकमात्र स्रोत है।

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