भारत के ये 14 सबसे खूबसूरत गांव, इनके आगे विदेशी सरजमीं पर बने टूरिस्ट डेस्टिनेशन भी फीके
By: Priyanka Maheshwari Fri, 13 May 2022 2:27:05
अगर आपको गांव जैसी खूबसूरत जगहों पर घूमने का बेहद शौक है, तो आज हम आपको भारत के उन खूबसूरत गांवों के बारे में बताने वाले हैं, जिनके सामने विदेशी सरजमीं पर बने टूरिस्ट डेस्टिनेशन भी फीके पड़ जाएं। वैसे तो, भारत में लगभग 6 लाख से अधिक गांव मौजूद हैं, लेकिन हम ऐसे कुछ चुनिंदा गांवों की सूची लेकर आएं हैं, जहां पर्यटकों की सबसे ज्यादा भीड़ रहती है।
लाचुंग, सिक्किम
तिब्बत बॉर्डर के साथ सटा लांचुग नाम का गांव सिक्किम की एक बेहतरीन टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। करीब 9600 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस गांव में आप खुद को बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच घिरा पाएंगे। ये जगह गंगटोक से करीब 118 किलोमीटर दूर है जो आपको एक लंबी यात्रा का भी आनंद देगी। यहां घूमने के लिए सेब, आड़ू, और खूबानी के खूबसूरत बाग भी हैं। लाचुंग, लाचेन और लाचुंग नदियों के संगम पर स्थित है, जो आगे जाकर तीस्ता नदी में मिल जाती है। लाचुंग का अर्थ है “छोटी सी घाटी” और यह दुनिया भर के लेखकों का पसंदीदा स्थान रहा है। लाचुंग अपने मठों के लिए प्रसिद्ध है, और यहाँ के लाचुंग मठ को देखने दुनिया भर से हजारों सैलानी आते हैं।
मलाना, हिमाचल प्रदेश
टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर जाने का शौक रखने वाले किसी भी शख्स को एक बार हिमाचल प्रदेश के मलाना गांव तो जरूर जाना चाहिए। इस खूबसूरत और रहस्यमयी गांव में हर प्रकृति प्रेमी को अपने जीवन में एक बार चक्कर जरूर लगाना चाहिए। इस गांव पर कई कबीलों का घर है, जो सिकंदर की सेना के वंशज भी कहे जाते हैं। यहां के ग्रामीण लोग अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों को लेकर बेहद प्रोटेक्टिव रहते हैं। यहां के निवासियों को एलेक्जेंडर दि ग्रेट का वंशज माना जाता है, जो यहां से जुड़े किस्सों को और दिलचस्प बनाता है। शांत वातावरण, प्राकृतिक सौंदर्य और बड़े शहरों के शोर-शराबे से अलग ये गांव आपको जीवन के सबसे यादगार पलों की सौगात दे सकता है। खीरगंगा की अद्भुत ट्रैकिंग भी इस जगह के बेहद नजदीक है।
कौसानी, उत्तराखंड
दिल्ली से करीब सवा 400 किलोमीटर दूर उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में बसा कौसानी गांव बागेश्वर जिले में कोसी और गोमती नदियों के बीच बसा हुआ है। समुद्र तल से 6075 फीट की ऊंचाई पर बसा कौसानी एक खूबसूरत पर्वतीय पर्यटक स्थल है। विशाल हिमालय के अलावा यहां से नंदाकोट,त्रिशूल और नंदा देवी पर्वत का भव्य नजारा देखने को मिलता है। यह पर्वतीय शहर चीड़ के घने पेड़ों के बीच एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और यहां से सोमेश्वर, गरुड़ और बैजनाथ कत्यूरी की सुंदर घाटियों का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। खूबसूरत पहाड़ियों और पर्वतों के अलावा कौसानी आश्रमों, मंदिरों और चाय के बगानों के लिए भी जाना जाता है। पिन्नाथ मंदिर, शिव मंदिर, रुद्रहरि महादेव मंदिर, कोट भ्रामरी मंदिर और बैजनाथ मंदिर कौसानी के कुछ प्रमुख धार्मिक स्थल हैं।
तकदाह, पश्चिम बंगाल
तकदाह बेहद ही प्यारा और खूबसूरत गांव है। पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में ये गांव है जो छोटा जरूर है, लेकिन यहां की खूबसूरती हर किसी को अपना दीवाना बना लेती है। यहां आप ट्रैकिंग के मजे ले सकते हैं और ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों में घूमने का तो मजा ही अलग है। यहां चाय के बागान भी हैं। हर साल यहां काफी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं और इस गांव में समय बिताते हैं। यहां हिमालय की ऊंची चोटियों का नजारा और चाय के बागान भी टूरिस्ट के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
खिमसर, राजस्थान
उत्तर भारत के एक छोटे से गांव खिमसर को राजस्थान की धड़कन कहा जाता है। इस गाँव के बिलकुल बीचों बीच एक पानी की झील है जो इस सूखे मरुस्थल को एक सुरम्य नखलिस्तान में बदलती है। कई वर्षों पहले खिमसर एक स्वतंत्र राज्य था जिसके शासक ठाकुर राजवंश के लोग थे। खिमसर के इतिहास पर अगर नज़र डालें तो यहाँ का इतिहास हमें 16 वीं शताब्दी में ले जाता है जिस समय खिमसर किले का निर्माण किया गया था। ये किला उस समय हुए कई प्रमुख युद्धों का गवाह रहा है। यहाँ आने वाले पर्यटक आज भी उस दौर में हुए युद्धों के अवशेष इस किले की दीवारों पर देख सकते हैं। बताया जाता है की इस किले के निर्माण का मुख्य उद्देश्य खिमसर राज्य को दुश्मन के हमले से बचाना था बाद में इस किले में लोग रहने भी लग गए और 1940 के आस पास इस किले में महिलाओं ने भी रहना शुरू कर दिया जिन्हें जनाना कहा जाता था। खिमसर अच्छी तरह से वायु, रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। इस जगह की यात्रा के लिए जोधपुर हवाई अड्डा निकटतम एयरबेस है। जयपुर, मुंबई, दिल्ली और उदयपुर से इस हवाई अड्डे के लिए नियमित उड़ानें मौजूद हैं । यहाँ के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन भी जोधपुर में ही मौजूद है।
इडुक्की, केरल
इडुक्की केरल के पश्चिमी घाट की सबसे ऊंची जगह है। यहां की खूबसूरत झीलें, वाटरफॉल और घने जंगल इस जगह की खूबसूरती को चार चांद लगाते हैं। हरे-भरे व घने वनों से घिरे तथा हरित पर्वतों से सुशोभित यह स्थान, भारत की सबसे ऊंची चोटी अनामुडी के यहां होने पर इतराता है। इसके अलावा, यहां दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आर्क बांध भी है। इडुक्की में प्रस्तरयुगीन सभ्यता के सबूत पाये गये हैं,हालांकि कई इतिहासकारों का मानना है कि पुरापाषाणकालीन लोग यहाँ बसे हुए थे। मेन्हिर के अवशेषों तथा प्रस्तरयुगीन कब्रिस्तान की खुदाई 1947-48 में उदुमबंकोला और पीरमेडू के निकट की गई थी। इडुक्की को केरल पावर हाउस(बिजलीघर) कहा जा सकता है क्योंकि यह राज्य की हाइड्रोइलैक्ट्रिक पावर की खपत का 66% आपूर्ति को पूरा करता है। इडुक्की में इडुक्की आर्क बांध, कुलामावू बांध और चेरूथनी बांध तीन महत्वपूर्ण बांध हैं। सुंदर पृष्ठभूमि में स्थित ये बांध घूमने लायक हैं, इसके अलावा, इडुक्की के एक महत्वपूर्ण हिल स्टेशन रमाकलमेडु में एक पवन ऊर्जा फार्म है ।मलंकारा जलाशय, केरल की एक महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना, आगंतुकों के लिए नौकायन और मछली पकड़ने के लिए पसंदीदा जगह है।इडुक्की में आगंतुकों के लिए कई आकर्षण मौजूद हैं।
गोकर्ण, कर्नाटक
कर्नाटक में मौजूद गोकर्ण गोवा से बेहद नजदीक एक खूबसूरत गांव है, इसलिए इसे गोवा का पड़ोसी गांव भी कहा जाता है। यह गांव एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन के साथ-साथ तीर्थयात्रियों के बीच भी बेहद लोकप्रिय है। कर्नाटक की सैर करने वाले इस गांव की खूबसूरती का नजारा देखना कभी नहीं भूलते हैं। गोकर्ण कर्नाटक में एक हिंदू तीर्थ शहर है और समुद्र तट प्रेमियों के लिए भी ये एक खास जगह मानी जाती है। हालांकि, इसकी प्रतिष्ठा यहां के मंदिरों की वजह से ऊपर उठी है। लोककथाओं से पता चलता है कि गोकर्ण भगवान शिव और विष्णु का शहर है।
कसौल, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश में एक ऐसा ही गांव है कसोल, जोकि पार्वती नदी के किनारे बसा हुआ है। कसोल पहले टूरिस्ट्स के बीच ज्यादा प्रसिद्ध नहीं था, लेकिन अब यह छोटा सा हिल स्टेशन भी टूरिस्ट्स के बीच खासा पॉपुलर होता जा रहा है। पार्वती नदी के किनारे बसा हुआ गांव कसोल कुल्लू से महज 40 किलो-मीटर की दूरी पर स्थित है।कसोल गांव एडवेंचर प्रेमियों के लिए बेहद खास है, क्योंकि वे यहां आराम से प्रकृति की गोद मे तारो की छांव का आनन्द ले सकते हैं। गांव कसोल हिमाचल प्रदेश के और हिल स्टेशन की तरह ज्यादा लोकप्रिय नही है जिस कारण आपको यहां टूरिस्ट्स की भीड़भाड़ भी काफी कम मिलेगी। हिप्पी संस्कृति के लिए मशहूर ये जगह बैगपैकर्स के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। कसोल में घूमने के लिए काफी जगह है जैसे-पार्वती नदी, खीर गंगा चोटी, मलाना, तोष गांव,मणिकर्ण और भुंतर आदि है। मार्च से मई के बीच यहां सबसे ज्यादा पर्यटक आते हैं।
माजुली, असम
माजुली एशिया में नदी के बीच सबसे बड़ा द्वीप है। गुवाहाटी से करीब 400 किलोमीटर दूर ब्रह्मापुत्र नदी के बीच स्थित माजुली 1250 वर्ग किलोमीटर में यह फैला हुआ है। इस जगह के बारे में एक खास बात ये भी बताई जाती है कि यहां के कुछ मछुआरे किसी दूसरे इंसान की तुलना में अधिक समय तक अपनी सांस रोक सकते हैं। आप यहां नौका की सैर से लेकर कई खास म्यूजियम भी देखने जा सकते हैं। इस द्वीप का निर्माण ब्रहमपुत्र नदी के दक्षिण में हुआ था तथा इसके उत्तर में खेरकुटिया नदी द्वारा इसका निर्माण हुआ। माजुली में उगाई जाने वाली मुख्य फसलें जैसे की चावल, मक्का, गेहूं, काला चना, सब्जियां, फल, कपास, जूट, अरंडी, गन्ना इत्यादि होते हैं।
मौलिन्नोंग, मेघालय
मौलिन्नोंग गांव (Mawlynnong Village), मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले (East Khasi Hills District) में स्थित है। यह गांव अपनी स्वच्छता के लिए भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है। स्थानीय समुदाय और सरकार ने मिलकर इस गांव की खूबसूरती को बरकरार रखने का जिम्मा उठाया हुआ है। साल 2003 में डिस्कवर इंडिया द्वारा इसे एशिया का सबसे स्वच्छ गांव का दर्जा भी दिया गया था। यही वजह है कि इसे गॉड्स ओन गॉर्डन भी कहा जाता है। एक आदर्श गांव की तमाम बातें यहां मौजूद हैं। शत-प्रतिशत साक्षरता दर और महिला सशक्तिकरण के लिए भी मावलिंननॉग गांव की अपनी एक अलग पहचान है। अक्टूबर से अप्रैल के बीच यहां मौसम सबसे ज्यादा शानदार रहता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, मौलिन्नोंग में 900 के करीब लोग रहते हैं। मुख्य तौर पर यहां के लोग कृषि पर ही निर्भर हैं। सुपारी की खेती मुख्य तौर पर किया जाता है। फलों की बात करें तो गर्मी के मौसम में अनानास और लीची भी यहां आसानी से मिल जाते हैं। इतना ही नहीं इन फलों को आस-पास के क्षेत्रों में निर्यात भी किया जाता है। गांव में तीन चर्च हैं क्योंकि यहां ज्यादातर ईसाई धर्म के मानने वाले लोग हैं।
पूवर, केरल
पूवर भारत के सबसे खूबसूरत गांवों में आता है, जहां की खूबसूरती को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। आपको बता दें, ये छोटा सा गांव तिरुवनंतपुरम के दक्षिणी सिरे पर मौजूद है। यहां के के साफ और सुंदर समुद्र तट पर्यटकों को यहां कुछ दिन के लिए वक्त गुजारने पर मजबूर कर देते हैं। केरल के पूवर गांव में कई चीजों का अनुभव कर सकते हैं, जैसे बीच पर आराम कर सकते हैं, नौका विहार का आनंद ले सकते हैं या अजिमाला शिव मंदिर जा सकते हैं। पूवर जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी के बीच है।
लांडोर, उत्तराखंड
उत्तराखंड का लांडोर गांव सबसे मशहूर लेखक रस्किन बॉन्ड का घर है। यहां आप स्वच्छ वायु के बीच अपना पूरा जीवन काट सकते हैं। यहां कुछ ब्रिटिश के जमाने के चर्च भी हैं, जैसे केलॉग चर्च, सेंटपॉल और मेथोडिस्ट चर्च, जहां आपको जरूर जाना चाहिए। यहां कई पर्यटक ट्रैकिंग के लिए भी आते हैं। शहर भ्रमण पर निकले सैलानी यहां जरूर आते हैं। यहां का हरा-भरा क्षेत्र बहुत हद तक पर्यटकों को प्रभावित करता है। इस स्थल के पास कई दुकाने स्थित है जहां शॉपिंग भी कर सकते हैं। लांडोर आकर अगर आपका मन कुछ खास खाने-पीने का कर रहा है तो आप यहां के चार दुकान क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं। यह स्थल शहर में शॉपिंग और लजीज व्यंजनों के लिए जाना जाता है। शहर भ्रमण पर निकले सैलानी यहां आकर खाना-पीना पसंद करते हैं। यहां की दुकानों में बैठने की अच्छी व्यवस्था है जहां आप आराम से बैठ कर जायकेदार खानों का आनंद ले सकते हैं। लांडोर गांव की यात्रा करने के लिए अप्रैल से जून के बीच का महीना चुनें।
मंडवा, राजस्थान
मंडावा राजस्थान का एक बेहद ही सुंदर गांव है, जिसे 18 शताब्दी में राजस्थानी व्यापारियों के जरिए स्थापित किया गया था। इस गांव में मौजूद हवेली आप राजस्थान की जीवन शैली का नजारा देख सकते हैं। ये जगह कई इतिहास प्रेमियों को आकर्षित करती है, अगर आप भी इतिहास में बेहद रुचि रखते हैं, तो इस गांव में एक बार घूमने जरूर जाएं। इस गांव में कई राजस्थानी व्यंजन भी परोसा जाता है। मंडवा की यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच है।
डिस्किट गांव, लद्दाख
डिस्किट गांव लद्दाख के शोक नदी के किनारे स्थित है। पहाड़ों से घिरा ये गांव पर्यटकों के लिए आकर्षण और रोमांच का केंद्र है। आपको बता दें, यह गांव मठों का घर भी है, जहां स्थानीय लोग तो रहते ही हैं, साथ ही बौद्ध अनुयायी भी इस सुंदर जगह पर जरूर आते हैं। अगर आप शांति वाली जगह पर जाना चाहते हैं, तो आप लद्दाख के इस खूबसूरत गांव में एक रात जरूर गुजारें। यहां घूमने के लिए नुब्रा घाटी, मैत्रेय बुद्ध के पवित्र मठ घूमने जा सकते हैं। साथ ही गोम्पा में दोसमोचे त्यौहार का भी हिस्सा बन सकते हैं। डिस्किट गांव घूमने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जुलाई के बीच है।