कोरोना वायरस के बाद बच्चों को शिकार बना रहा मल्टी-सिस्टम इंफ्लेमेट्री सिंड्रोम, जाने ये क्या होता है?

By: Priyanka Maheshwari Sat, 29 May 2021 12:22:24

कोरोना वायरस के बाद बच्चों को शिकार बना रहा मल्टी-सिस्टम इंफ्लेमेट्री सिंड्रोम, जाने ये क्या होता है?

कोरोना वायरस के बाद बच्चों को शिकार बना रहे मल्टी-सिस्टम इंफ्लेमेट्री सिंड्रोम (Multi-System Inflammatory Syndrome) के मरीजों की संख्या में इजाफा जारी है। दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में इस बीमारी से जुड़े 177 ने मामले सामने आए हैं। इनमें से 109 अकेले राजधानी दिल्ली में ही दर्ज किए गए हैं, जबकि 68 अन्य केस गुरुग्राम और फरीदाबाद में मिले हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना वायरस से उबर रहे बच्चों में MIS-C के मामलों में बढ़त देखी जा रही है।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, MIS-C का शिकार होने के बाद मरीज को बुखार आता है। साथ ही इस दौरान ह्रदय, फेफड़ों और मस्तिष्क में सूजन आ जाती है। बुखार, सांस लेने में परेशानी, पेट दर्द, त्वचा और नाखुनों का नीला पड़ना इस बीमारी के लक्षण हैं। यह बीमारी 6 महीने से 15 साल की उम्र के बच्चों को अपना शिकार बना रही है। अब तक सबसे ज्यादा मरीज 5 और 15 साल की उम्र के बीच मिले हैं।

इंडियन एकेडमी ऑफ पाडियाट्रिक्स इंटेंसिव केयर चैप्टर के निर्वाचित चेयरपर्सन डॉक्टर धीरेन गुप्ता कहते हैं, 'बच्चों में कोविड-19 का गंभीर संक्रमण दो बदलाव लाता है। बच्चे को निमोनिया हो सकता है या MIS-C की स्थिति बन सकती है।'

उन्होंने बताया, 'जल्द पहचान ही परेशानी को समय पर पकड़ने में मदद कर सकती है।' डॉक्टर गुप्ता सर गंगाराम अस्पताल में पीडियाट्रिशियन हैं।

भोपाल के कैंसर अस्पताल में कोविड से जुड़ी सेवाएं दे रहीं डॉक्टर पूनम चंदानी कहती हैं- शरीर के अलग-अलग हिस्सों में जैसे- हार्ट, किडनी, लंग्स, आंखें, स्किन, ब्रेन में जो भी इंफेक्शन मिल रहा है, उन्हें मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम कहा जाता है। इस बारे में अभी डॉक्टरों के पास ज्यादा जानकारी नहीं है, इसलिए इसे एक बीमारी घोषित नहीं कर सिंड्रोम कहा जा रहा है।

इंडियन एकेडमी ऑफ पाडियाट्रिक्स इंटेंसिव केयर चैप्टर का डेटा बताता है कि कोविड-19 की पहली लहर में MIS-C के दो हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर जल्द पता लग जाए, तो इसका इलाज हो सकता है।

टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में SAIMS की पीडियाट्रिक्स विभाग प्रमुख डॉक्टर गुंजन केला ने कहा कि यह सिंड्रोम फेंफड़ों, नर्वस सिस्टम और ह्रदय समेत अलग-अलग अंगों को प्रभावित कर सकता है।

उन्होंने जानकारी दी, 'लेकिन अगर इसका जल्दी पता लगा लिया जाए, तो इलाज हो सकता है और इसके प्रभाव को भी कम किया जा सकता है।' पैरेंट्स को खुद के स्वस्थ होने के 1 महीने के दौरान सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है।

ये कैसे होता है?

मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम कैसे होता है, इसकी भी कोई जानकारी नहीं है। अभी तक जितने भी मामले आए हैं, उनमें देखा गया है कि या तो बच्चे खुद कोरोना से संक्रमित हुए थे या किसी कोरोना संक्रमित के संपर्क में आए थे।

कोविड और मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम में क्या कनेक्शन है?


अभी तक एक्सपर्ट्स के पास इन दोनों के आपस में कनेक्शन को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं है। देखा गया है कि कोरोना और मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम दोनों के लक्षण एक जैसे हैं। ऐसे में डॉक्टरों की सलाह है कि कोरोना से बचने के लिए जो सावधानियां बरती जा रही हैं, वही सावधानी मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम से बचने के लिए भी रखें। अच्छी तरह हैंड वॉश करते रहें। बच्चों तक पहुंच की चीजों को सैनेटाइज करते रहें। बच्चों को कोरोना मरीजों से दूर रखें। बच्चों के कपड़े और खिलौनों को रेगुलर साफ करे। और सबसे जरूरी है माता-पिता वैक्सीन लगवाएं। बच्चों के लिए अभी वैक्सीन नहीं आई है, इसलिए माता-पिता का वैक्सीन लगवा लेना ही बच्चों का सुरक्षा कवच बन सकता है।

ये भी पढ़े :

# बच्चों पर कोरोना का साया! लक्षणों की पहचान कर इस तरह रखे उनका ख्याल

# तुरंत आराम के लिए धड़ल्ले से हो रहा एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल, ये बातें हैं जानना जरूरी...

# हडि्डयों को हेल्दी रखने के लिए कम उम्र से ही दें ध्यान, इन उपायों को अपनाकर बनाएं मजबूत

# कहीं आपका रेफ्रिजरेटर तो नहीं बना रहा आपको ब्लैक फंगस का शिकार! जानें कैसे

# पानी और खनिजों से भरी हुई है लौकी, जूस पीने से इन बीमारियों में मिलती जल्द राहत

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com