रिसर्च! आंखों में देखकर पता चलेगा कि आप कितने दिन में मरने वाले हैं
By: Priyanka Maheshwari Fri, 21 Jan 2022 11:42:27
किसी इंसान की आंखों में देखकर उसकी सही बायोलॉजिकल उम्र का पता लगाया जा सकता है। साथ ही यह भी पता लगाया जा सकता है कि भविष्य में इंसान की तबियत कैसी रहने वाली है। दरअसल, इंग्लैंड में वैज्ञानिकों ने मशीन लर्निंग के जरिए एक ऐसा एल्गोरिदम तैयार किया है, जो सिर्फ आपकी आंखों की रेटिना की स्कैनिंग करके यह बता देगा कि आपकी मौत कितने दिन, महीने या साल में होने वाली है।
यूनाइटेड किंगडम में साढ़े तीन साल के अंदर 47,000 लोगों पर इस एल्गोरिदम का सफल परीक्षण किया गया है। जो या तो अधेड़ थे या बुजुर्ग। इनकी आंखों की जांच इस एल्गोरिदम के जरिए की गई। इनमें से 1871 लोगों की मौत हो गई। वह भी एल्गोरिदम के अनुसार बताए समय के भीतर। क्योंकि इनकी आंखों की रेटिना उनकी असल उम्र की तुलना में ज्यादा बुजुर्ग हो गई थीं। अब ये बात तो सच है कि जब आपकी उम्र ढलने लगती है, तब आपके शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। हर अंग पर असर पड़ता है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि अगर दो व्यक्ति एक ही उम्र के हैं तो दोनों के शरीर पर ढलती उम्र का असर एक जैसा पड़ेगा। उनकी शारीरिक स्थिति एक जैसी नहीं रहेगी। वैज्ञानिकों ने कहा कि यह प्रयोग अभी चल रहा है। लेकिन जितने लोगों के साथ किया गया, उसमें से कई लोगों की भविष्यवाणी एकदम सही निकली।
इस प्रयोग से एक बात तो साफ होती है कि आंखों की रेटिना बढ़ती उम्र के साथ डैमेज होने लगती है। यह आपकी बढ़ती उम्र को लेकर बेहद संवेदनशील होती है। क्योंकि रेटिना ही एक ऐसा अंग है, जहां पर खून की नलियां और नर्व्स (Nerves) एक साथ दिखते हैं। जिन्हें देखना आसान होता है। ये इंसान के वस्कुलर और दिमाग की सेहत की सही जानकारी देती हैं।
इससे पहले भी कई स्टडीज ऐसी हो चुकी हैं, जिसमें बताया गया है कि रेटिना की कोशिकाएं आपके शरीर में होने वाली कार्डियोवस्कुलर बीमारियां यानी दिल संबंधी बीमारियों, किडनी संबंधी बीमारियां और बढ़ती उम्र की जानकारी दे सकती हैं। लेकिन यह पहली ऐसी स्टडी है जिसमें रेटिनल एज गैप (Retinal Age Gap) का पता चलता है। यह आपकी मौत की भविष्यवाणी सटीकता से करता है। साथ ही यह भी बताता है कि किस तरह की बीमारी आपको भविष्य में हो सकती है। वैज्ञानिकों ने इस स्टडी से यह बात स्पष्ट कर दी है कि रेटिना का आपकी उम्र से सीधा संबंध है। यह उम्र के साथ हो रहे शारीरिक नुकसान की सही जानकारी देती हैं।