दिनचर्या में शामिल करें ये योगासन, पुरानी से पुरानी कब्ज भी होगी दूर
By: Neha Thu, 19 Jan 2023 4:20:24
वर्तमान समय की सुस्त जीवनशैली के कारण इंसान कई बीमारियों का शिकार होता जा रहा हैं। इन्हीं में से एक हैं कब्ज (Constipation) की समस्या। सर्दियों में यह समस्या और ज्यादा बढ़ जाती हैं। कब्ज होने की वजह से हमारे शरीर में तरह-तरह की बीमारियां उत्पन्न हो जाती है। कभी-कभी यह गंभीर बीमारी का रूप भी ले लेता है। कई लोगों को तो कई महीने और सालों से कब्ज की समस्या सता रही हैं और वे इसका इलाज दवाइयों से ढूंढने में लगे हुए हैं। लेकिन आप इसके लिए योग की मदद भी ले सकते हैं जो जड़ से कब्ज की समस्या दूर करने का काम करेगी। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे ही योगासन के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें दिनचर्या में शामिल कर कब्ज से राहत पाई जा सकती हैं। आइये जानते हैं इन योगासन के बारे में...
वज्रासन
वज्रासन करने से हमारे पाचन तंत्र को कई तरह से मदद मिलती है। यह हमारे पैरों और जांघों में रक्त के प्रवाह को बाधित करता है और इसे हमारे पेट के क्षेत्र में बढ़ाता है, जिससे हमारे मल त्याग में सुधार होता है और कब्ज से राहत मिलती है। वज्रासन करने के लिए घुटने टेकने की स्थिति से शुरुआत करें। फिर धीरे-धीरे अपने पैरों पर वापस बैठें, अपने घुटनों से वजन कम करें। घुटनों के बीच चार अंगुल का अंतर रखें और नितंबों को एड़ियों पर टिकाकर सीधे बैठ जाएं। दोनों पैरों के अंगूठे एक-दूसरे को स्पर्श करने चाहिए। अपने हाथों को अपने घुटनों पर रखें, अपनी पीठ को सीधा रखें। धीरे-धीरे श्वासलेकर अपने फेफड़ों से हवा बाहर निकाले। 5 से 10 मिनट तक इसी स्थिति में रहने का प्रयास करें।
अर्धमत्स्येंद्रासन
यह योगासन कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए बेहद लाभकारी है। इस योगा को करने के लिए सबसे पहले मैट पर दंडासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब गर्दन और रीढ़ की हड्डी को सीधा करने की कोशिश करें। अब दाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए बाएं पैर के ऊपर से ले जाएं और बाएं पैर के उपर ले जाएं और बाएं पैर को घुटने के बगल में रखें। बाएं पैर को घुटने से मोडे और दाएं एड़ी को दाएं कोल्हे के नीचे रख रखें। अब बाएं हाथ को दाएं हाथ के ऊपर से ले जाए और जांघ के पास रखें और बाएं हाथ से दाएं पैर के टखने को पकड़ने की कोशिश करें। अपना सिर को दाएं ओर घूमते हुए पीछे की ओर देखें। इस दौरान रीड की हड्डी को सीधे अवस्था में रखें। इस अवस्था में अपने आप को कुछ सेकंड के लिए रहे। यही प्रक्रिया दूसरी तरफ भी करें। यह योगा को 3 से 5 बार जरूर करें।
उष्ट्रासन
इसके बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ हैं जैसे तनाव को दूर करना, मन को शांत करना, परिसंचरण में सुधार करना, जांघों के क्षेत्र से वसा कम करना, पाचन में सुधार करना और मांसपेशियों को मजबूत करना शामिल है। या आसन पैर की उंगलियों और पीठ के निचले हिस्से के दर्द को दूर करने में मदद करता है। उष्ट्रासन करने के लिए घुटनों के बल खड़े हो जाएं। जांघों को पूरी तरह सीधा रखें। घुटनों और पैरों को मिलाकर रखें। पीछे की दिशा में झुकें। धीरे-धीरे और पीछे जाएं। दाहिने हाथ से दाहिनी एड़ी, और बाएँ हाथ से बाईं एड़ी तक पहुँचें। कूल्हों को आगे की दिशा में धकेलें। जांघों को सीधा रखना चाहिए। फिर सिर और रीढ़ की हड्डी को बिना तनाव के जितना हो सके पीछे की ओर झुकाएं। शरीर और पीठ की मांसपेशियों को आराम दें। शरीर का भार पैरों और भुजाओं पर समान रूप से रखें।
सुप्त बुद्धकोणासन
यह योगासन कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए बेहद लाभकारी है। इस योगासन को करने के लिए सबसे पहले आप योगा मैट पर शवासन की मुद्रा में लेट जाएं और पीठ के हिस्से को हल्का सा ऊपर की ओर उठाएं। यदि आपको पीठ की समस्या हो, तो आप पीठ के नीचे तकिया या पतला कंबल भी रख सकते हैं। अब अपने दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ें और दोनों तलवों को एक दूसरे के साथ जोड़ते हुए एड़ियों को पास लाने की कोशिश करें। ध्यान रखें, कि आपका तलवा जमीन से सेटल होना चाहिए। अब दोनों हाथों को सिर के पीछे सीधा फैला लें। जितना हो सके एरियों को दोनों कूल्हों वाले भाग में सटाने की कोशिश करें। कुछ सेकंड इसी मुद्रा में रहे। अब धीरे-धीरे पहले वाले अवस्था में आने की कोशिश करें। इस योगा को 3 से 5 बार जरूर करें।
पवनमुक्तासन
यह मल त्याग के लिए योग की एक प्रभावी मुद्रा है जो कब्ज से छुटकारा पाने के लिए आपकी आंतों को मालिश और उत्तेजित करती है। रोजाना इसका अभ्यास करने से आपका पाचन तंत्र बेहतर बना रहता है। इसे करने के लिए अपनी भुजाओं के साथ अपनी पीठ के बल लेट जाएं। धीरे से अपने घुटनों को अपनी छाती की ओर खींचें और अपने हाथों को उनके चारों ओर पकड़ लें। अपने दाहिने घुटने को पकड़ते हुए अपने बाएं घुटने को छोड़ दें। अपने बाएं पैर को फर्श पर फैलाएं और मुद्रा को 50-60 सेकेंड तक रोकें। अब अपने बाएं घुटने को वापस छाती के पास लाएं और दाएं पैर को छोड़ दें। इस मुद्रा को 50-60 सेकंड तक रोक कर रखें। दोनों पैरों को छोड़ दें और शुरुआती स्थिति में आ जाएं।
प्रपादासन
मलासन या वज्रासन में शुरुआत करें। अपनी एड़ी को फर्श से ऊपर उठाने के लिए अपने पैरों को मिलाएं। अपने शरीर को अपने पैर की उंगलियों पर बैलेंस करें और अपनी पीठ को सीधा रखें। अब अपनी हथेलियों को आपस में मिलाएं और अपनी भौंहों के बीच में ध्यान केंद्रित करें। इस पोजिशन में 10-20 सेकेंड तक सांस लेते रहें और वापस नॉर्मल पोजिशन में आ जाएं।
भुजंगासन
भोजन को सही तरह से पचाने के लिए भुजंगासन बहुत अच्छा तरीका है। इसे सुबह खाली पेट ही करना चाहिए, इससे पाचन तंत्र मजबूत बनता है। इस आसन को करने के लिए योग मैट पर पेट के बल लेट जाएं। अपने दोनों हाथों को कंधे के बराबर लेकर आएं और दोनों पैरों को कूल्हों की सीध में मिलाएं। हथेलियों को कंधों के नीचे मैट पर टिकाएं और अंदर की ओर सांस लें। हथेलियों पर दबाव डालें और बॉडी के ऊपरी भाग यानि कमर तक के हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं। छाती और कंधों को ज्यादा से ज्यादा खोलने का प्रयास करें। इस दौरान आपकी कोहनियां मुड़ी होनी चाहिए। जितनी क्षमता हो, उतनी देर तक इस पोजीशन को होल्ड करें। अब धीरे -धीरे सांस छोड़ते हुए वापस अपनी मुद्रा में वापस आ जाएं। कोहनियों को मैट पर रखें। अब पैर खोल लें और रिलेक्स करें। इस आसन को एक बार में 3-4 बार कर सकते हैं। बहुत फायदा मिलेगा।