40 की उम्र के बाद अपनी सेहत का जायजा लेने के लिए जरूर करवाएं ये चेकअप
By: Priyanka Maheshwari Fri, 17 Sept 2021 11:15:50
आज के समय में खुद को फिट रखना सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसा हम इसलिए कहा रहे है क्योंकि आजकल सभी काम कंप्यूटर या लैपटॉप के माध्यम से रहे है। जिसके कारण फिजिकल एक्टिविटी न के बराबर हो गई है। इसके साथ ही अनहेल्दी चीजों का सेवन ज्यादा हो गया है। लेकिन अगर आप 40 के दशक में आ चुके हैं या फिर आने वाले हैं तो सेहत से लापरवाही आपके लिए घातक साबित हो सकती है। क्योंकि इस उम्र के बाद अक्सर स्वास्थ्य संबंधित समस्या शुरू हो जाती हैं। डायबिटीज, मोटापा, मेटाबॉलिज्म का धीमा होना साथ ही इम्यूनिटी का कमजोर होना। इसके अलावा हृदय से जुड़ी बीमारियां भी दस्तक देने लगती है। ऐसे में डॉक्टर्स और हेल्थ कंन्सलटेंट का मानना है कि इस उम्र में लोगों को कुछ टेस्ट जरूर करवाना चाहिए।
ब्लड प्रेशर चेक
ब्लड प्रेशर स्क्रीनिंग समय समय पर करवाने से हमें हमारे बल्ड प्रेशर के बारे में पता रहता है कि हमारा बल्ड प्रेशर हाई है या लो है। अक्सर 40-50 के उम्र के बीच हाई बल्ड प्रेशर, स्ट्रेस या हाईपरटेंशन होने से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। येही वजह है कि हाई ब्लड प्रेशर को साइलेंट किलर भी कहा जाता है, क्योंकि अक्सर हाई ब्लड प्रेशर होने से मरीजों में किसी भी प्रकार के लक्षण नहीं देखने को मिलते हैं। अगर आपको हाई बल्ड प्रेशर की समस्या रहती है तो आप प्रतिदिन 30 मिनट तक वॉक करे। ऐसा करने से ब्लड प्रेशर में 5 से 8 प्वाइंट तक कमी आती है। हालांकि वॉक लगातार करनी चाहिए अन्यथा ब्लड प्रेशर फिर से बढ़ सकता है। इसके अलावा जॉगिंग, साइकिलिंग और डान्स करने से भी ब्लड प्रेशर कम होता है। इसके अलावा नमक का सेवन कम कर दे। एक युवा व्यक्ति के दिनभर के भोजन में 5 ग्राम से कम नमक होना चाहिए। एक छोटे चम्मच के बराबर नमक में लगभग 2,300 मिग्रा सोडियम होता है। खाने में सोडियम की इस मात्रा को कम करके 5 से 6 प्वाइंट बीपी कम किया जाता सकता है।
बल्ड शुगर
40 के उम्र के बाद ब्लड शुगर चैक करवाते रहना चाहिए। डॉक्टर्स का कहना है कि जब अचानक ब्लड शुगर बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तो ये रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाती है साथ ही इससे नसों में फैट बनने लगता है, जिसे एथेरोस्क्लेरोसिस कहते हैं, जिससे न सिर्फ हार्ट अटैक आने का बल्कि किडनी डिसऑर्डर होने का भी खतरा बढ़ जाता है। डायबिटीज पेशेंट को हार्ट अटैक से मरने का खतरा 3 से 4 गुना ज्यादा होता है। अगर जांच में बल्ड शुगर बढ़ा हुआ आया है तो आप पानी पीएं। इससे, ब्लड शुगर लेवल स्थिर हो जाएगा। इसके साथ ही हाई प्रोटीन फूड का सेवन भी बढ़ा दे। ऐसे में ऐसे स्नैक खाएं जिसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक हो। एक मुट्ठी बादाम या मखाने इसका एक अच्छा उदाहरण हैं। जिनमें शुगर और फाइबर कम होता है और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। सबसे जरुरी बात झटपट एक्सरसाइज़ करने के लिए तैयार हो जाएं। ध्यान रखें कि आपको अपने शरीर के साथ बहुत अधिक कठोर नहीं बनना है। आप रेग्युलर स्तर पर जिस तरह की एक्सरसाइज करते हैं, वैसी ही कसरत करें। हल्की-फुल्की एक्सरसाइज़ेस जैसे रोप जम्प और वॉक पर जा सकते हैं।
आंखों की जांच
बढ़ती उम्र का असर आंखों पर भी पड़ता है। 40 - 45 साल के बाद तो लोगों को अपने आंखो को रेगुलर बेसिस पर चेक करवाते रहना चाहिए जिससे आंखों से संबंधित परेशानियां ज्यादा नहीं बढ़ती है और समय रहते ही आपके मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और आंखो से संबंधित अन्य समस्याओं और बीमारियों के बारे में पता भी चल जाता है। आंखों की देखभाल के लिए दिन में दो-तीन बार आँख को साफ पानी से जरूर धोएं। हरी सब्जी, सीजन का फल एवं दूध का सेवन करना चाहिए। कम्प्यूटर पर कार्य करते समय कम्प्यूटर एवं आँखों के बीच एक उचित दूरी अवश्य रखें। काम करते समय रोशनी का समुचित प्रबंध रखें, पर रोशनी चौंधियाने वाली नहीं हो। काम करते समय बीच-बीच में आंखों को आराम दें, ठंडे पानी के छीटें मारें।
विटामिन डी टेस्ट
शरीर को स्वस्थ रहने में विटामिन डी अहम भूमिका निभाता है। अगर आप लंबे समय तक बीमारियों से दूर रहना चाहते हैं तो दूसरे जरूरी विटमिन्स और पोषक तत्वों की तरह ही आपको विटमिन डी को भी अपने आहार में शामिल करना चाहिए। महिलाओं मे 30 - 35 के उम्र के बाद मेनोपोज होने के वजह से हड्डी कमजोर होने लगती है और शरीर में विटामिन डी की कमी होने से हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द बढ़ने लगता है, आज कल विटामिन डी की कमी युवाओं में 30 - 35 साल से पहले ही होने लगी है। जिसके चलते हड्डियों में दर्द होता है। विटामिन डी का सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत सूरज की रौशनी है इसलिए विटमिन डी को सनशाइन विटमिन भी कहते हैं। विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए डाइट में आप अंडा भी शामिल कर सकते है।
अंडे में भरपूर पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो लोग नॉन वेज नहीं खाते हैं उनके लिए अंडा भी विटामिन डी का अच्छा स्रोत है। अंडे के सफेद वाले हिस्से में प्रोटीन होता है और पीले वाले हिस्से यानि योक में फैट, विटमिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं। 1 अंडा खाने से आपको 5 प्रतिशत विटमिन डी मिलता है। इसके साथ ही संतरे का जूस पीने से भी विटामिन डी की कमी को पूरा किया जा सकता है। कोशिश करें कि पैक्ड जूस की जगह घर पर बना फ्रेश संतरे का जूस पिएं। इसके साथ ही विटामिन डी की कमी होने पर आप गाय के दूध कर नियमित सेवन करे। हालांकि आपको गाय का लो फैट मिल्क की जगह फुल क्रीम दूध पीना चाहिए। दूध से शरीर को कैल्शियम और विटमिन डी दोनों एक साथ मिलते हैं।
लिपिड प्रोफाइल या कोलेस्ट्रॉल
इस टेस्ट से ब्लड में कोलेस्ट्रॉल या लिपिड प्रोटीन की मात्रा के बारे में पता चलता है। शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से हार्ट अटैक, एथेरोस्क्लेरोसिस और स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ जाता है, बैड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के बढ़ने से धमनियां ब्लाक हो जाती है जिसके चलते दिल सामान्य रूप से काम नहीं कर पाता है, और आगे चल के हार्ट अटैक आने की संभावना भी बढ़ जाती हैं। कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ी आने पर आप लहसुन का सेवन कर सकते है। लहसुन में कई ऐसे एंजाइम्स पाए जाते हैं, जो एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार साबित होते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध के अनुसार लहसुन के नियमित सेवन से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर 9 से 15 प्रतिशत तक घट सकता है। इसके अलावा यह हाई ब्लडप्रेशर को भी नियंत्रित करता है। इसके अलावा आप अपनी रोजाना की डाइट में सोयाबीन, दालें और अंकुरित अनाज को शामिल कर सकते है। इनका नियमित सेवन खून में मौजूद एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालने में लिवर की मदद करते हैं। ये चीजें अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढाने में भी सहायक होती हैं। इसके साथ ही आप रोज सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ नीबू के रस का सेवन करें। नीबू सहित सभी खट्टे फलों में कुछ ऐसे घुलनशील फाइबर पाए जाते हैं, जो स्टमक (खाने की थैली) में ही बैड कोलेस्ट्रॉल को रक्त प्रवाह में जाने से रोक देते हैं। ऐसे फलों में मौजूद विटमिन सी रक्तवाहिका नलियों की सफाई करता है। इस तरह बैड कोलेस्ट्रॉल पाचन तंत्र के जरिये शरीर से बाहर निकल जाता है।
कोलोनोस्कोपी
इस टेस्ट से कैंसर के शुरुआती लक्षण और फर्स्ट स्टेज का पता लगाया जाता है। लोगों को 40 - 50 की उम्र या आपके परिवार में कोलोन कैंसर की हिस्ट्री रही हो या फिर जो लोग इंफ्लामेट्री बाउल डिसऑर्डर से परेशान हों उन्हें कम से कम साल में एक बार तो कोलोनोस्कोपी टेस्ट करवा लेना चाहिए। कैंसर से बचने लिए आपने आहार में ज्यादा से ज्यादा पत्तेदार सब्जियां और फलों को को शामिल करे। फूलगोभी, पत्तागोभी, टमाटर, एवोकाडो, गाजर जैसे फल और सब्जियाँ जरूर खाएँ। सब्जियों और फलों में फाइबर मौजूद होता है जो रोगों से लड़ने की क्षमता रखता है। यह कई प्रकार के कैंसर से लड़ने में मददगार होता है। इसके साथ ही शक्कर का सेवन कम-से-कम करें। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि महिलाओं में कोलोरेक्टल कैंसर की सम्भावना शक्कर के सेवन से काफी बढ़ जाती है। अपने शरीर के वजन को संतुलित रखें। मोटापे से स्तन कैंसर और मलाशय कैंसर का डर बना रहता है। इसके साथ ही नींद में कटौती न करें। सामान्यतः 8-10 घंटे सोना पर्याप्त माना जाता है। अगर आप धूम्रपान या किसी अन्य नशे का सेवन करते है तो तुरंत प्रभाव से छोड़ दे।
जरुरी बातें
- 40 से अधिक उम्र होने पर, आप अपनी आदतों और दिनचर्या में बदलाव लाएं। इस अवस्था में आपका शरीर उतना स्वस्थ और उर्जावान नहीं होता। अपने खान-पान और दिनचर्या में बदलाव कर आप उर्जा के साथ ही लंबी उम्र भी पा सकते हैं।
- घर पर बने पौष्टिक सूप आपकी सेहत के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। भोजन के बीच में भूख लगने पर आप इनका सेवन कर सकते हैं।
- भोजन बनाते समय ओमेगा-3, ओमेगा-6 फैटी एसिड युक्त तेल का प्रयोग करें। इसके अलावा बादाम, अलसी, तिल के बीज, मूंगफली और अखरोट का प्रयोग करें, इनमें ओमेगा-3 पाया जाता है और यह कोलेस्ट्रॉल फ्री होते हैं।
- साबुत अनाज को अपने भोजन में शामिल करें और फलों का भरपूर सेवन करें।
- अत्यधिक गुस्सा और चिंता न करें. साथ ही शारीरिक श्रम भी उतना ही करें, जितना आपके स्वास्थ्य के लिए सही हो।
- बढ़ती उम्र के अनुसार आप अपने भोजन में अत्यधिक तेल व मसालों का सेवन कम कर दें और संतुलित मात्रा में ही इनका प्रयोग करें, ताकि आपकी पाचन क्रिया सुचारू रूप से चलती रहे
- बढ़ती उम्र के साथ-साथ शरीर में विटामिन, मिनरल्स, कैल्शियम, आयरन और एंटीआक्सीडेंट की कमी महसूस होने लगती है। इसलिए भोजन में ऐसी चीजों को अधिक शामिल करें, जो इन सभी पोषक तत्वों की आपूर्ति कर सके।
- 40 से अधिक उम्र होने पर दिमाग कमजोर होने लगता है ऐसे में योगा, व्यायाम, मेडिटेशन, संगीत को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। साथ ही वह काम करें जिसे करने में आपको आनंद आता है और जिसमें आपका मन लगता है।
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