
सलमान खान के साथ तीन बड़ी फिल्मों में सहायक निर्देशक के रूप में काम कर चुके रवि छाबड़िया अब अपनी पहली निर्देशित फिल्म डिटेक्टिव शेरदिल के जरिए निर्देशन की दुनिया में कदम रख चुके हैं। हाल ही में बॉलीवुड हंगामा को दिए गए एक विशेष इंटरव्यू में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत, सलमान खान के साथ बिताए पल और बॉलीवुड में मिली सीखों के बारे में खुलकर बात की।
सलमान खान के साथ तीन फिल्मों का अनुभव
रवि छाबड़िया ने बताया कि उन्होंने सुल्तान (2016), टाइगर ज़िंदा है (2017) और भारत (2019) जैसी फिल्मों में सहायक निर्देशक के रूप में काम किया। उन्होंने सलमान खान के साथ अपने संबंधों को “कूल रिलेशनशिप” बताया और कहा कि उन्होंने सलमान से बहुत कुछ सीखा है।
“हमेशा बड़े सितारों के साथ काम करना एक सपना होता है। लेकिन जब आप उनके साथ काम करते हैं, तो समझ आता है कि वे इतने बड़े क्यों हैं। बाहर से देखने पर सब कुछ आसान लगता है, लेकिन असल में हम ज्यादातर वक्त सिर्फ सिनेमा पर ही बात करते थे। यह किसी यूनिवर्सिटी जैसा अनुभव था।”
सुल्तान का मिरर सीन – ‘रोंगटे खड़े हो गए थे’
जब उनसे सलमान के साथ सबसे यादगार पल साझा करने को कहा गया, तो उन्होंने दो घटनाओं का ज़िक्र किया। सबसे पहले उन्होंने सुल्तान के उस दृश्य को याद किया जिसमें सलमान खान आईने के सामने अपनी शर्ट उतारते हैं।
“जब उन्होंने वह सीन किया, तो हमारे रोंगटे खड़े हो गए थे। एक दर्शक के रूप में वह सीन आपको झकझोरता है, लेकिन जब आप सेट पर होते हैं, तो उसका असर कहीं गहरा होता है। वह दृश्य मेरी कोर मेमोरी का हिस्सा बन गया है।”
टाइगर ज़िंदा है का मशीन गन सीन – ‘ऑरा ही कुछ और था’
दूसरा दृश्य जो छाबड़िया के लिए अविस्मरणीय रहा, वह टाइगर ज़िंदा है का वह सीन था जिसमें सलमान एक हैवी मशीन गन के साथ बाहर आते हैं।
“उस दिन मैंने जो ऑरा महसूस किया, वह शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। कैमरा वाकई सलमान सर को चाहता है, उनसे प्यार करता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि वह दृश्य इतना प्रभावशाली था कि बाद में कैथी (2019), विक्रम (2022), केजीएफ 2, पठान, भोला और एनिमल जैसी फिल्मों में उसकी नकल की गई।
अली अब्बास ज़फर को बताया ‘मैजिशियन’
रवि छाबड़िया ने इन यादगार दृश्यों के निर्माण के लिए निर्देशक अली अब्बास ज़फर को श्रेय दिया और उन्हें अपना गुरु बताया। “अली सर को मैं जादूगर मानता हूं। वह न सिर्फ अपनी कला में माहिर हैं, बल्कि लोगों को समझने और हैंडल करने में भी माहिर हैं। उनसे मैंने निष्पादन और कहानी कहने की कला सीखी।”
रवि छाबड़िया का सलमान खान के साथ सफर और उन दृश्यों की यादें केवल एक सहायक निर्देशक की नजर से नहीं, बल्कि एक भावुक फिल्मप्रेमी की अनुभूति भी हैं। सुल्तान और टाइगर ज़िंदा है जैसी फिल्मों में उनके अनुभव से साफ होता है कि पर्दे के पीछे की मेहनत और भावनाएं कितनी गहराई से कलाकारों और तकनीशियनों को जोड़ती हैं। उनकी फिल्म डिटेक्टिव शेरदिल के ज़रिए वह अब खुद निर्देशन की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, लेकिन सलमान के साथ बिताए वो पल हमेशा उनकी प्रेरणा बने रहेंगे।














