
हॉरर फिल्मों की अपनी एक अलग ही दुनिया होती है – जहां डर रोमांच बन जाता है और सन्नाटे में भी आवाजें सुनाई देने लगती हैं। इस जॉनर का अपना एक खास फैन बेस है, जो हर डर को करीब से महसूस करना चाहता है। और जब बात ओटीटी की हो, तो हॉरर कंटेंट की डिमांड जैसे आसमान छूती है। लेकिन अब से 18 साल पहले, एक ऐसी हॉरर फिल्म रिलीज़ हुई थी, जिसने दर्शकों की रूह तक हिला दी थी।
इस फिल्म ने यह साबित कर दिया कि अगर आपकी कहानी में दम हो, आपके आइडिया में मौलिकता हो और आप दर्शकों की नब्ज पहचानते हों, तो न तो बड़े स्टार्स की जरूरत पड़ती है, न ही करोड़ों के बजट की। हम बात कर रहे हैं उस हॉरर फिल्म की, जिसने मात्र 1 करोड़ 70 लाख रुपये के बजट में 1600 करोड़ रुपये की कमाई कर डाली। और चौंकाने वाली बात तो ये है कि इसे सिर्फ 7 दिन में शूट किया गया था।
‘पैरानॉर्मल एक्टिविटी’: कम बजट में बना डर का इतिहास
साल 2007 में आई हॉलीवुड की सुपरनैचुरल हॉरर फिल्म ‘पैरानॉर्मल एक्टिविटी’ ने सिनेमाई इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया। इसे लिखा, निर्देशित और प्रोड्यूस किया ओरेन पेली ने – जो उस वक्त इंडस्ट्री में नए थे। उन्होंने इस फिल्म की शूटिंग अपने ही घर में की और हर जिम्मेदारी – चाहे वो निर्देशन हो, कैमरा ऑपरेशन हो या एडिटिंग – खुद निभाई।
फिल्म का शुरुआती बजट मात्र 15,000 डॉलर (करीब 12 लाख रुपये) था। इसे एक साधारण कैमरे से शूट किया गया, जिससे लागत बेहद कम रही। लेकिन यह साधारणता ही इस फिल्म की सबसे बड़ी ताकत बन गई, जिसने डर को और ज्यादा रियल बना दिया।
रिलीज़ के बाद जो हुआ, वो किसी सपने से कम नहीं
बाद में जब फिल्म को बड़े स्तर पर पेश करने का समय आया, तो स्टीवन स्पीलबर्ग के सुझाव पर इसका नया अंत शूट किया गया और साउंड डिजाइन पर काम हुआ। इस पर करीब 2 लाख डॉलर और खर्च किए गए, जिससे कुल बजट 215,000 डॉलर (करीब 1.84 करोड़ रुपये) तक पहुंच गया।
25 सितंबर 2009 को जब यह फिल्म सीमित थिएटरों में रिलीज़ हुई, तो किसी ने नहीं सोचा था कि यह तूफान बन जाएगी। लेकिन धीरे-धीरे यह 1,945 थिएटरों तक पहुंच गई और फिर जो हुआ वो इतिहास है – फिल्म ने दुनियाभर में लगभग 1600 करोड़ रुपये की कमाई कर डाली।
'पैरानॉर्मल एक्टिविटी' आखिर इतनी हिट क्यों हुई?
इस फिल्म की सफलता का राज सिर्फ उसकी कहानी में नहीं, बल्कि उसके प्रेजेंटेशन और मार्केटिंग में भी छिपा था। इसकी साउंड डिजाइन, रियलिस्टिक कैमरा वर्क, और उस डर की भावना जिसे दर्शक अपनी हड्डियों तक महसूस कर सकें – यही सब मिलकर इसे खास बनाते हैं।
पैरामाउंट पिक्चर्स ने इसे कॉलेज टाउन में सस्ते टिकट देकर रिलीज़ किया और सोशल मीडिया कैंपेन चलाकर युवाओं के बीच बज़ बनाया।
इस फिल्म ने न सिर्फ दर्शकों को डरा-डरा कर उनका दिल जीता, बल्कि हॉरर फिल्मों की दुनिया में फाउंड-फुटेज स्टाइल का एक नया ट्रेंड भी शुरू कर दिया।














