1972 में रिलीज हुई अमिताभ बच्चन की फिल्म बॉम्बे टू गोवा आज फिर से सिनेमाघरों में री-रिलीज हो रही है। इस फिल्म को लेकर दर्शकों में उत्साह है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यह क्लासिक फिल्म सेंसर बोर्ड की सख्ती का बड़ा शिकार रही थी। अरुणा ईरानी के बोल्ड पोज़ से लेकर डबल मीनिंग डायलॉग्स तक, सेंसर ने कई सीन्स पर जमकर कैंची चलाई थी।
सेंसरशिप की लंबी लिस्ट, 12 कट के बाद मिली हरी झंडी
1972 में जब ‘बॉम्बे टू गोवा’ रिलीज हुई, तब ‘U/A’ सर्टिफिकेट का कांसेप्ट नहीं था। उस समय फिल्म को केवल ‘U’ या ‘A’ सर्टिफिकेट ही दिए जाते थे। मेकर्स चाहते थे कि यह फिल्म 'U' सर्टिफिकेट के तहत रिलीज हो, जिससे अधिक दर्शक इसे देख सकें। लेकिन इसके लिए उन्हें कुल 12 सीन और संवादों को हटाना पड़ा।
महमूद का डायलॉग और 'कोथमीर के कट्टे' पर विवाद
फिल्म की शुरुआत में ही महमूद एक यात्री की दाढ़ी पकड़कर 'कोथमीर के कट्टे' बोलते हैं। सेंसर बोर्ड ने इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला मानते हुए फिल्म से हटा दिया। इस निर्णय ने यह दिखा दिया कि उस दौर में भी सेंसर कितना सतर्क था।
डबल मीनिंग डायलॉग्स बने सेंसर के निशाने पर
एक डायलॉग 'आपकी बेटी कुछ नहीं हिलाती क्या' को भी सेंसर ने आपत्तिजनक माना। यह डायलॉग बदलकर 'आपकी बेटी कुछ नहीं करती क्या' किया गया। इसी तरह, 11वीं रील में भी कई संवादों को या तो बदला गया या हटाया गया।
अरुणा ईरानी के बोल्ड पोज़ पर गिरी गाज
फिल्म की हीरोइन अरुणा ईरानी ने स्विमिंग कॉस्ट्यूम में कुछ क्लोज-अप शॉट दिए थे, जिन्हें सेंसर बोर्ड ने अश्लील करार देकर हटाने का आदेश दिया। 'बस्ट एक्सपोज़िंग' और अन्य बोल्ड पोज़ सेंसर के निशाने पर आए। बोर्ड का तर्क था कि ये सीन 'U' सर्टिफिकेट के अनुरूप नहीं हैं।
खलनायक के डायलॉग भी नहीं बचे सेंसर से
सेंसर बोर्ड ने फिल्म के विलेन द्वारा बोले गए डायलॉग 'मैं तुम्हारे कपड़े उतार के तलाशूंगा' से 'कपड़े' शब्द हटवा दिया। साथ ही एक अन्य संवाद 'पब्लिक के लिए भी कुछ बड़ा होना चाहिए' को भी पूरी तरह हटवा दिया गया।
‘केला’, ‘गांधी सरकार’ और किसिंग सीन भी विवाद में
कंडक्टर द्वारा बोले गए डायलॉग 'ये तेरा केला है' को डबल मीनिंग मानकर हटवा दिया गया। इसी तरह 'भारत गांधी की सरकार की बहुत जरूरत है' वाले संवाद को भी सेंसर ने पूरी तरह काट दिया। ड्राइवर और गर्लफ्रेंड के बीच किसिंग सीन भी सेंसर के निशाने पर आया और हटाया गया।
बस की हाईजैकिंग वाला डायलॉग भी हटा
फिल्म के अंत में एक डायलॉग था — "मैंने प्लेन की हाईजैकिंग सुनी है, बस की हाईजैकिंग पहली बार सुन रहा हूं" — जिसे भी सेंसर ने हटाने का आदेश दिया। हालांकि, इसके पीछे स्पष्ट कारण नहीं बताया गया।
फिल्म को मिली क्लीन चिट लेकिन कई कट्स के बाद
सेंसर की इतनी सख्ती के बावजूद फिल्म की लोकप्रियता पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ा। महमूद, अमिताभ बच्चन, अरुणा ईरानी और शत्रुघ्न सिन्हा जैसे दिग्गज कलाकारों की दमदार परफॉर्मेंस और 'देखा ना हाय रे' जैसे सुपरहिट गाने आज भी लोगों के ज़हन में हैं। री-रिलीज के साथ एक बार फिर यह फिल्म दर्शकों को 70 के दशक की बोल्ड और बिंदास फिल्मों की झलक दे रही है।
बॉम्बे टू गोवा जैसे क्लासिक सिनेमा उस दौर में भी कितनी सख्त सेंसरशिप से गुजरे, यह जानना आज के दर्शकों के लिए चौंकाने वाला हो सकता है। आज जब फिल्मों में खुलेपन को लेकर बहस चल रही है, उस दौर की फिल्मों पर सेंसर की नज़र और रवैया हमें उस समय की सामाजिक सोच का आईना दिखाता है।