
बॉलीवुड के प्रतिभाशाली अभिनेता आशीष विद्यार्थी अपनी दमदार अदाकारी के लिए जाने जाते हैं। कई भाषाओं में 300 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके आशीष ने अपने करियर में विविध और यादगार किरदार निभाए हैं। वे एक व्लॉगर, मोटिवेशनल स्पीकर और ट्रैवलर भी हैं। लेकिन आजकल वे फिल्मों में कम नजर आ रहे हैं। हाल ही में उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल पर एक व्लॉग के जरिए इस बात का खुलासा किया कि वे फिल्मों से क्यों दूर हो रहे हैं और क्या वजहें हैं इसके पीछे।
अब फिल्मों में कम क्यों हैं आशीष विद्यार्थी?
अपने लेटेस्ट व्लॉग में आशीष ने साफ कहा, "आपका सवाल बिल्कुल जायज है। हां, मैं फिल्मों में उतना नहीं दिखता जितना पहले था। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं एक्टिंग छोड़ दिया हूं। मैंने अपने करियर में जबरदस्त भूमिकाएं निभाई हैं, लेकिन अब मैं ऐसी भूमिका की तलाश में हूं जो मेरे लिए खास हो, जो सेंट्रल रोल हो।"
उन्होंने आगे बताया कि उन्होंने निर्देशकों, निर्माताओं और कास्टिंग डायरेक्टर्स से बात की है और कहा है कि उन्हें अभी तक वो खास रोल नहीं मिले हैं जो वे करना चाहते हैं। "11 भाषाओं में 300 फिल्मों के बाद मैं चाहता हूं कि मेरी भूमिका में गहराई हो, जिसे देखकर दर्शक याद रखें।"
आशीष ने कहा कि इस इंतजार के दौरान वे उदास नहीं बैठे। उन्होंने अपनी ऊर्जा को मोटिवेशनल स्पीकिंग और व्लॉगिंग में लगाया है। उन्होंने ‘सिट डाउन आशीष’ नाम से एक कॉमेडी स्केच भी लिखा है। साथ ही, वे एक सक्रिय ट्रैवलर भी हैं, जो अपने अनुभवों को अपने दर्शकों के साथ साझा करते हैं।
आशीष विद्यार्थी का सफर और उपलब्धियां
आशीष विद्यार्थी ने अपने करियर में कई यादगार फिल्में दी हैं जैसे 'द्रोहकाल', '1942: अ लव स्टोरी', 'ओह डार्लिंग ये है इंडिया', 'बाज़ी', 'मृत्युदाता', 'ज़िद्दी', 'मेजर साब', 'सोल्जर', 'हसीना मान जाएगी', 'अर्जुन पंडित', और 'वास्तव'। उन्होंने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीता है। हाल ही में वे करण जौहर के रियलिटी शो ‘द ट्रेटर्स’ के पहले सीजन में नजर आए थे, जहां उन्हें शक के घेरे में आकर एलिमिनेट कर दिया गया।
आशीष का कहना है कि वे अपने अभिनय करियर में सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि गुणवत्ता चाहते हैं। वे अपने लिए चुनिंदा और खास भूमिकाओं की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जिससे वे फिर से दर्शकों के दिलों में जगह बना सकें।














