धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं माघ माह, जरूर करें ये 5 कार्य, नए साल में चमकेगी किस्मत

By: Ankur Mundra Thu, 30 Dec 2021 09:08:16

धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं माघ माह, जरूर करें ये 5 कार्य, नए साल में चमकेगी किस्मत

भारतीय संवत्सर का ग्यारहवां चन्द्रमास और दसवां सौरमास माघ कहलाता है जो कि 18 जनवरी से 16 फरवरी 2022 तक रहने वाला हैं। धार्मिक दृष्टिकोण से माघ माह बहुत महत्वपूर्ण रहा हैं जिसमें किए गए ज्योतिषीय कार्य आपको शुभ फल प्रदान करते हैं। इसलिए आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे कार्य बताने जा रहे हैं जिन्हें माघ महीने में जरूर किए जाना चाहिए। ये कार्य नए साल में आपकी किस्मत को चमकाने का काम करेंगे और शुभ समय का आगमन होगा। तो आइये जानते हैं इन काम के बारे में।

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स्नान

'माघे निमग्नाः सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति।' इस मास में शीतल जल के भीतर डुबकी लगाने वाले मनुष्य पापमुक्त हो जाते हैं। पद्मपुराण में माघ मास के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि पूजा करने से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नान मात्र से होती है। इसलिए सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान करना चाहिए। 'प्रीतये वासुदेवस्य सर्वपापानुत्तये। माघ स्नानं प्रकुर्वीत स्वर्गलाभाय मानवः॥'

कल्पवास

माघ माह में कल्पवास करने का सबसे बड़ा पुण्य है। कल्पवास अर्थात कुछ काल के लिए या संपूर्ण माघ माह तक के लिए नदी के तट पर ही कुटिया बनाकर रहना और साधुओं के साथ व्रत, तप, उपवास, सत्संग आदि करना ही कल्पवास है। कल्पवास पौष माह के 11वें दिन से माघ माह के 12वें दिन तक रहता है। कल्पवास में सत्संग और स्वाध्याय का खास महत्व होता है।

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दान

माघ मास में पूर्णिमा को जो व्यक्ति ब्रह्मावैवर्तपुराण का दान करता है, उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। दान में वस्त्र, धन और धान का दान भी किया जाता है। महाभारत में आया है माघ मास में जो तपस्वियों को तिल दान करता है, वह नरक का दर्शन नहीं करता।

माधव पूजा


माघ मास की द्वादशी तिथि को दिन-रात उपवास करके भगवान माधव की पूजा करने से उपासक को राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।

सत्संग और स्वाध्याय


कल्पवास न भी करें तो सत्संग और स्वाध्याय का लाभ लें। माघ माह में मंदिरों, आश्रमों, नदी के तट पर संतों के साथ सत्संग करें। स्वाध्यय के दो अर्थ है। पहला स्वयं का अध्ययन करना और दूसरा धर्मग्रंथों का अध्ययन करना। माघ में ब्रह्मवैवर्तपुराण की कथा सुननी चाहिए और यदि यह संभव न हो सके तो माघ महात्म्य अवश्य सुनना चाहिए।

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