
वृंदावन के विख्यात संत और आध्यात्मिक मार्गदर्शक प्रेमानंद महाराज लाखों श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनके सरल, सहज और हृदय को छू लेने वाले प्रवचन हर आयु वर्ग के लोगों को जीवन का सही दिशा-बोध देते हैं। वर्तमान समय तेज़ रफ्तार और तनाव से भरा हुआ है, जहां लोग छोटी-बड़ी चुनौतियों का सामना करते-करते थक जाते हैं। कई बार मन इतना बोझिल हो जाता है कि व्यक्ति भीतर से टूटने लगता है, हताशा और निराशा उसे घेर लेती है। इसी विषय पर एक भक्त ने महाराज से मार्गदर्शन मांगा।
एक भक्त का प्रश्न—“निराशा आए तो क्या करें?”
वृंदावन में एकांत मुलाकात के दौरान एक श्रद्धालु ने महाराज से पूछा कि जब जीवन में कठिनाइयाँ बढ़ जाएँ और मन हार मानने लगे, तो ऐसी स्थिति से कैसे निकलें? प्रेमानंद महाराज ने बिना देर किए उत्तर दिया— “जब मन गिरने लगे, जब हौसला डगमगा जाए, तब भगवान और राधारानी के नाम का जाप करो।”
उनका कहना था कि नामस्मरण ऐसा दिव्य साधन है जो मन में जमा निराशा को सहज ही दूर कर देता है। नाम जपते ही मन शांत होने लगता है और व्यक्ति फिर से ऊर्जा से भर जाता है।
10 हज़ार बार नाम-जप की सलाह
महाराज ने कहा कि कई लोगों को यह साधना साधारण लग सकती है, क्योंकि इसमें धन, सामान या किसी बाहरी साधन की आवश्यकता नहीं होती। “कलयुग में लोग कलावा, ताबीज, भभूत और तरह-तरह के टोटकों पर भरोसा कर लेते हैं, पर भगवान के नाम पर विश्वास करना उन्हें कठिन लगता है।”
उन्होंने सलाह दी कि प्रतिदिन 10,000 बार ‘राधा’ नाम का जाप किया जाए। महाराज के अनुसार, जो भी व्यक्ति नियम से यह जाप करता है, वह कुछ ही दिनों में अपने भीतर एक सकारात्मक परिवर्तन महसूस करता है—मन हल्का होता है, विचार निर्मल होते हैं और आत्मविश्वास वापस लौटने लगता है।
नाम जपने से मिलने वाले लाभ—महाराज का अनुभव
प्रेमानंद महाराज ने बताया कि उन्होंने स्वयं अपने जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन नाम-जप के कारण ही वे हमेशा शांत, संतुलित और प्रसन्न बने रहते हैं। उन्होंने कहा— “जो व्यक्ति नियमपूर्वक नाम का स्मरण करता है, उसे लाभ निश्चित रूप से मिलता है। अनगिनत लोगों ने इस साधना से अपना जीवन सुधारा है, बुरे आचरण त्यागे हैं और प्रकाश की ओर बढ़े हैं।”














