Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि के तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा, जीवन की सभी बाधाएं होगी दूर

By: Pinki Mon, 04 Apr 2022 09:44:47

Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि के तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा, जीवन की सभी बाधाएं होगी दूर

चैत्र नवरात्रि का आज तीसरा दिन है और इस दिन मां आदि शक्ति के तीसरे स्वरू चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। माता के माथे पर चमकते हुए चंद्रमा के कारण ही उनका यह नाम पड़ा। मां चंद्रघंटा को देवी पार्वती का रौद्र रूप माना जाता है। मां चंद्रघंटा शेरनी की सवारी करती हैं। माता का शरीर सोने के समान चमकता है। उनकी 10 भुजाएं है। उनकी चार भुजाओं में त्रिशूल, गदा, तलवार,और कमंडल है वहीं, पांचवा हाथ वर मुद्रा में है। जबकि, मां की अन्य भुजाओं में कमल, तीर, धनुष और जप माला हैं और पांचवा हाथ अभय मुद्रा में है। इनके दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की है।

मां चंद्रघंटा के वंदन से मन को परम सूक्ष्म ध्वनि सुनाई देती है जो मन को बहुत शांति प्रदान करती है। चूंकि इनका वर्ण स्वर्ण जैसा चमकीला है और यह हमेशा आसुरिक शक्तियों के विनाश के लिए सदैव तत्पर रहती हैं, इसलिए इनकी आराधना करने वाले को भी अपूर्व शक्ति का अनुभव होता है। मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों को तेज और ऐशवर्य की प्राप्ति होती है। मां के घंटे की ध्वनि अपने भक्तों को सभी प्रकार की प्रेतबाधाओं से दूर रखती है। कहा जाता है कि मां चंद्रघंटा की उपासना से भय दूर होता है और कुंडली का मंगल मजबूत हो जाता है। मां के इस रूप की पूजा उन लोगों को करनी चाहिए, जिनका मंगल कमजोर होता है। कहा जाता है कि देवी के तीसरे रूप की उपासना से सभी तरह की बाधाएं खत्म होती हैं।

मां चंद्रघंटा पूजा विधि (Maa Chandraghanta Puja Vidhi)

- मां चंद्रघंटा की पूजा करते समय लाल रंग के कपड़े पहनें।
- मां को लाल रंग के फूल, रक्त चंदन और लाल चुनरी चढाएं।
- मां चंद्रघंटा को चमेली का फूल अति प्रिय है। ऐसे में पूजा में चमेली का फूल मां को अर्पित करें।
- मां को दूध से बनी हुई मिठाई का भोग लगाएं।
- मां की आरती करें और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

मां चंद्रघंटा का मंत्र (Maa Chandraghanta Mantra)

पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥

मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
रंग, गदा, त्रिशूल,चापचर,पदम् कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥

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