नेपाल: राजनीतिक उठा-पटक के दौर में संसद में विश्वास मत हार गए प्रचंड, गिर गई सरकार

काठमांडू। नेपाल में राजनीतिक उठा पटक के दौर में तेजी से बदले हालात में नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' को बड़ा झटका लगा है। 'प्रचंड' संसद में विश्वास मत हार गए हैं। पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अगुवाई वाली सीपीएन-यूएमएल द्वारा 'प्रचंड' की सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद उनको विश्वास मत हासिल करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

यह पांचवां मौका था जब 'प्रचंड' ने संसद में अविश्वास मत का सामना किया। इससे पहले चार प्रयासों में वह विश्वास मत हासिल करने में सफल रहे थे। दहल के सबसे बड़े गठबंधन सहयोगी सीपीएन-यूएमएल ने 3 जुलाई को अपना समर्थन वापस ले लिया था। 25 दिसंबर, 2022 को पीएम बनने के बाद दहल लगातार अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे थे और करीब 19 महीने बाद उनकी सरकार गिर गई। 69 वर्षीय प्रचंड को 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 63 वोट मिले, प्रस्ताव के खिलाफ 194 वोट पड़े।

इससे पहले पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने शुक्रवार को नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल की, साझा सिद्धांतों के बजाय डर के कारण गठबंधन बनाने के लिए तीखी आलोचना करते हुए उन पर देश को पतन के रास्ते पर धकेलने का आरोप लगाया था। विश्वासमत से पहले प्रतिनिधि सभा को संबोधित करते हुए प्रचंड ने कहा कि नेपाली कांग्रेस (एनसी) और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) ने मिलकर काम किया है, जिससे देश में सुशासन की जड़ें जमने लगी हैं। प्रचंड ने कहा, ‘‘अगर एनसी और यूएमएल समान विश्वासों या लक्ष्यों के लिए एकजुट होते, तो मुझे कोई चिंता नहीं होती। इसके बजाय, आप अच्छी शासन व्यवस्था से डर रहे हैं।’’

नेपाली कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के फैसले का बचाव करते हुए ओली ने बुधवार को कहा था हाशिये की पार्टियों और उनकी असंगत चालों को दोनों दलों की साझेदारी से पराजित करने की जरूरत है। नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने पहले ही ओली को अगले प्रधानमंत्री के रूप में समर्थन दे दिया है। दोनों दलों ने कहा कि वो राष्ट्रीय हितों की रक्षा और नेपाल को समृद्ध तथा नेपाली लोगों की खुशहाली के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता पर सहमत हुए हैं।