भारत में बढ़ गई है मुस्लिम आबादी, हिन्दुओं की हुई कम, EAC-PM के विश्लेषण में हुआ खुलासा

नई दिल्ली। मुस्लिमों की आबादी को लेकर राजनीतिक गलियारों में हमेशा ही आरोप प्रत्यारोप का दौर चलता रहता है लेकिन प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) ने विश्लेषण में मुस्लिम आबादी को लेकर बड़ा खुलासा किया है। यह खुलासा ऐसे समय हुआ है जब लोकसभा चुनाव 2024 अपने चरम पर है और तीसरे चरण का चुनाव संपन्न हो चुका है।

भारत में 1950 से 2015 तक 65 सालों के अंतराल में बहुसंख्यक हिंदुओं की आबादी में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। इस अवधि में देश की आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी में 6 पर्सेंट की गिरावट आ गई। यही नहीं पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे दूसरे देशों की तुलना करें तो वहां बहुसंख्यक मुस्लिमों की आबादी में हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी है। स्टडी के अनुसार एक तरफ भारत में हिंदुओं की हिस्सेदारी घट गई है तो वहीं अल्पसंख्यक मुस्लिमों, ईसाई, बौद्ध और सिखों की आबादी में इजाफा हुआ। वहीं हिंदुओं के अलावा जैन और पारसियों की भी आबादी में हिस्सेदारी इस अवधि में घटी है।

स्टडी के अनुसार इस अवधि में आबादी में मुस्लिमों की हिस्सेदारी 5 फीसदी बढ़ी है। इसके अलावा ईसाइयों की हिस्सेदारी में 5.38 पर्सेंट, सिखों की 6.58 पर्सेंट बढ़ी है। यही नहीं बौद्धों की हिस्सेदारी भी बढ़ गई है। रिपोर्ट के अनुसार 1950 में भारत की जनसंख्या में हिंदुओं की हिस्सेदारी 84 फीसदी थी। अब देश की जनसंख्या में हिंदू 78 फीसदी हैं। मुसलमान 65 साल पहले भारत की आबादी के 9.84 फीसदी थे, जो अब बढ़कर 14.09 पर्सेंट हो गए हैं। म्यांमार के बाद भारत अपने आसपास के देशों में दूसरे नंबर पर है, जिसके बहुसंख्यक समाज की आबादी में कमी आई है।

PM आर्थिक सलाहकार परिषद ने सर्वे में पाया है कि भारत में साल 1950 से 2015 के बीच मुस्लिम आबादी की जनसंख्या 43.15 प्रतिशत बढ़ी है। 1950 में मुस्लिम आबादी का हिस्सा आबादी में 9.84 प्रतिशत था, जो 2015 में बढ़कर 14.09 प्रतिशत हो गया है।

वहीं इसी दौरान हिन्दूओं की हिस्सेदारी में 7.81 प्रतिशत कम हो गई है। हिंदुओं की आबादी 84.68 प्रतिशत से घटकर 78.06 प्रतिशत हो गई है। म्यांमार के बाद भारत में ही सबसे ज्यादा हिंदु आबादी कम हुई है। म्यांमार में भी हिंदुओं की आबादी 10 फीसदी तक घटी है। यह 167 देशों के किए गए सर्वे में सबसे ज्यादा है।


डाटा के विश्लेषण से पता चला है कि भारत में अल्पसंख्यक न केवल संरक्षित हैं बल्कि फल-फूल रहे हैं। दक्षिण एशियाई देशों में बहुसंख्यकों की हिस्सेदारी बढ़ी है। बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, भूटान और अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक यानी हिंदू आबादी घट गई है। भारतीय उपमहाद्वीप में मालदीव को छोड़ सभी मुस्लिम-बहुल देशों में बहुसंख्यक धार्मिक संप्रदाय की हिस्सेदारी में वृद्धि देखी गई है।

प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध और सिख आबादी की हिस्सेदारी बढ़ी है, जबकि जैन और पारसी आबादी की हिस्सेदारी में गिरावट आई है। 1950 से 2015 के बीच ईसाई 2.24 से बढ़कर 2.36 प्रतिशत, सिख 1.24 से बढ़कर 1.85 प्रतिशत और बौद्ध 0.05 से बढ़कर 0.81 प्रतिशत हो गए हैं। दूसरी ओर, जैन 0.45 से घटकर 0.36 प्रतिशत और पारसी 0.03 से घटकर 0.004 प्रतिशत हो गई है।