NRC विवाद : सब जानते हैं कि यह असम की सदियों पुरानी समस्या है, बांग्लादेश का इससे कोई लेना-देना नहीं

असम के सिटीजन रजिस्टर का ड्राफ़्ट आने के बाद सरकार और विपक्ष आमने-सामने है। वैध और अवैध नागरिकों की पहचान के लिए NRC ड्राफ़्ट पर घमासान जारी है। राज्यसभा में इस मुद्दे पर विपक्ष ने मंगलवार को जमकर हंगामा किया। वही बुधवार को भी संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले विपक्षी सांसदों ने संसद के बाहर प्रदर्शन किया। वहीं राज्‍यसभा में बीजेपी के सांसद को फिर से बोलने का मौका दिया लेकिन हंगामे की वजह से वह बोल नहीं पाए। शाह मंगलवार को दिए अपने बयान को पूरा करना चाहते थे। वहीं राज्‍यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सांसदों से कहा कि वह अपनी बात शांति से रखें।

सब जानते हैं कि यह असम की सदियों पुरानी समस्या है,

- एनआरसी के ड्राफ्ट को लेकर देशभर में छिड़ी बहस के बीच बांग्लादेश ने कहा कि अवैध प्रवासियों को उनके देश से जोड़ना गलत है।
- समाचार एजेंसी एएनआई को ढाका से दिये इंटरव्यू में बांग्लादेश के सूचना एवं प्रसारण मंत्री हसनुल-हक-इनू ने कहा कि, 'सब जानते हैं कि यह असम की सदियों पुरानी समस्या है। पिछले 48 सालों में किसी सरकार ने बांग्लादेश के सामने अवैध प्रवासियों का मुद्दा नहीं उठाया है।
- भारत सरकार इससे निपटने में खुद समक्ष है और मोदी सरकार को नई दिल्ली में इस समस्या से निपटना चाहिए। बांग्लादेश का इससे कोई लेना-देना नहीं है'।

आप हम बांग्ला बोलने वाले व्यक्ति को बांग्लादेश से नहीं जोड़ सकते

- जब बांग्लादेश के सूचना एवं प्रसारण मंत्री हसनुल-हक-इनू से यह पूछा गया कि क्या बांग्लादेश अवैध प्रवासी नागरिकों को अपने यहां वापस लेने को तैयार है, तो उन्होंने कहा कि, 'फिलहाल अभी तक भारत ने हमारे साथ एनआरसी के डाटा को साझा नहीं किया है। न ही यह मुद्दा उठाया है। जब तक वे ऐसा नहीं करते हैं हम कुछ नहीं कह सकते हैं'।
- उन्होंने कहा, 'आप हम बांग्ला बोलने वाले व्यक्ति को बांग्लादेश से नहीं जोड़ सकते हैं'।

गौरतलब है कि असम के एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट जारी होने के बाद से ही इस मुद्दे को लेकर पूरे देश में बहस छिड़ी हुई है। सियासत भी शुरू हो गई है। एनआरसी के फाइनल ड्राफ्ट में करीब 40 लाख लोग शामिल नहीं हो सके हैं।

एनआरसी को बंगाल में भी लागू किया गया तो देश में गृह युद्ध छिड़ सकता है

- ममता बनर्जी ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से एनआरसी बिल में संशोधन करने या नया बिल लाने के लिए कहा था। ममता ने कहा कि यदि एनआरसी को बंगाल में भी लागू किया गया तो देश में गृह युद्ध छिड़ सकता है।
- उन्होंने आरोप लगाया कि असम में नेशनन रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) को राजनीतिक मकसद से लोगों को बांटने के लिए लाया गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे देश में खूनखराबा और गृह युद्ध की स्थिति छिड़ सकती है।

एनआरसी देश की सुरक्षा के लिए लाया गया

- केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी का कहना है कि एनआरसी देश की सुरक्षा के लिए लाया गया है। अवैध घुसपैठ से देश की सुरक्षा को खतरा है और इसे किसी भी कीमत पर रोकना चाहिए।
- बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रैंस में कहा, 'हर पार्टी को देश की सुरक्षा के लिए अपना स्टैंड क्लियर करना चाहिए। घुसपैठियों को बढ़ावा देकर किस प्रकार देश की सुरक्षा करेंगे? आतंरिक सुरक्षा से खिलवाड़ करेंगे? मैं स्पष्ट रूप एनआरसी को देश की सुरक्षा के लिए जरूरी मनाता हूं।'

एनआरसी को अमल में लाने की कांग्रेस में हिम्मत नहीं

- असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा में हिस्सा लेते हुये शाह ने कहा था कि 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने असम समझौते के तहत एनआरसी बनाने की घोषणा की थी।
- एनआरसी को असम समझौते की आत्मा बताते हुये उन्होंने कहा ‘एनआरसी को अमल में लाने की कांग्रेस में हिम्मत नहीं थी, हममें हिम्मत है इसलिये हम इसे लागू करने के लिये निकले हैं।’
- शाह ने एनआरसी को लागू करने पर देश में क्षेत्रीय एवं भाषायी आधार पर राज्यों के बीच टकराव शुरू होने की विपक्ष की आशंकाओं और आरोपों को गलत बताते हुये कहा कि सदन में इस बात की भी चर्चा होनी चाहिये कि एनआरसी लाने की जरूरत क्यों पड़ी।
- शाह ने ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुये कहा कि 14 अगस्त 1985 को गांधी ने असम समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 15 अगस्त को लाल किले से इसकी घोषणा की थी।
- उन्होंने कहा ‘‘समझौते में कहा गया है कि अवैध घुसपैठियों की पहचान कर, उनको हमारे नागरिक रजिस्टर से अलग कर एक शुद्ध नेशनल सिटीजन रजिस्टर बनाया जायेगा।’
- शाह ने कहा कि एनआरसी बनाने की यह पहल पूर्व प्रधानमंत्री के फैसले के अनुपालन में ही की गयी है।
- उन्होंने कांग्रेस पर इसे लागू करने की हिम्मत नहीं दिखाने का आरोप लगाते हुये कहा कि एनआरसी को लागू करने की प्रक्रिया पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बंधी हुयी है।
- शाह ने एनआरसी से 40 लाख लोगों का नाम हटाये जाने के विपक्ष के आरोप पर पलटवार करते हुये कहा ‘ये 40 लाख लोग कौन हैं। इनमें बांग्लादेशी घुसपैठिये कितने हैं। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या आप बांग्लादेशी घुसपैठियों को बचाना चाहते हैं।’

रोहिंग्या शरणार्थियों को राज्य सरकारें देश से बाहर कर सकती हैं

- लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 'रोहिंग्या शरणार्थियों को राज्य सरकारें देश से बाहर कर सकती हैं'।
- उन्होंने कहा, ' म्यांमार भेजने पर सरकार प्रक्रिया शुरू करेगी। रोहिंग्या पर सरकार ने दिशा-निर्देश जारी की हैं।
- सीमा सुरक्षा बल और आसाम राइफल्स को रोहिंग्या घुसपैठ रोकने के लिए तैनात किया गया है। राज्यों को एडवाइजरी जारी की गई है। उन्हें भारत आ चुके रोहिंग्या पर नजर बनाए रखने और मॉनिटर करने के साथ ही एक जगह पर रखने के लिए कहा गया है। उनसे कहा गया है कि वह उन्हें फैलने ना दें।'