रहस्यमयी है टिटलागढ़ का यह शिव मंदिर, महाशिवरात्रि के मौके पर शिवलिंग से लिपटकर बैठा रहता है सांप
By: Ankur Thu, 23 Aug 2018 6:10:44
शिव की प्रतिमा को देखते ही मन को सुकून और शान्ति का अहसास होता हैं। उनकी जटाओं से बहती हुई गंगा और गले में लिपटा हुआ सर्प उनको और भी मनमोहक बनाता हैं। भारतवर्ष में भगवान शिव कई मंदिर स्थित हैं और सभी अपने विशेष गुणों और चमत्कारों के लिए जाने जाते हैं। आज हम आपको भगवान शिव के ओडिशा के टिटिलागढ़ में स्थित धवलेश्वर महादेव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। इस मंदिर से कई रहस्य जुड़े हुए हैं। तो आइये जानते हैं इस मंदिर के बारे में।
यह मंदिर यहां के कुमड़ा पहाड़ पर स्थित है। यह शिव मंदिर गोल आकार में बना हुआ है। यहां के स्थानीय लोगों के मुताबिक इस मंदिर में एक सांप को कई बार देखा गया है। यह सांप महाशिवरात्रि के मौके पर आकार शिवलिंग से लिपटकर बैठा रहता है। सांप कब आता है और कब जाता है यह आजतक किसी को नहीं पता है। रिपोर्ट के मुताबिक यह सांप कई बार सावन की शिवरात्रि के दिन भी देखा गया है। यह कहां से आता है यह आज भी एक रहस्य से कम नहीं है।
टिटिलागढ़ के स्थानीय नागरिको के मुताबिक सांप शिवलिंग से लिपटा रहता है। सावन के महीने में यहां श्रद्धालु बेलपत्र, दूध, जल भगवान शंकर की शिवलिंग पर अर्पित करते है लेकिन सांप उसी जगह पर रहता है। वह अपने स्थान से नहीं हटता है। लेकिन कुछ दिनों बाद यह सर्प वापस कहां चला जाता है । यह बात आजतक किसी को नहीं पता। मंदिर के पुजारियों के मुताबिक सांप किसी को नुकसान नहीं पहुंचता। सिर्फ पूरे दिन शिवलिंग से लिपटा रहता है। श्रद्धालुओं का शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र चढ़ाने का क्रम जारी रहता है। स्थानीय लोगों में इस मंदिर के प्रति काफी श्रद्धा है।
इस मंदिर से जुड़ा एक और रहस्य लोगों को हैरान करता है वो ये कि बाहर यहां का वातावरण गर्मियों में 48 से 50 डिग्री सेल्सियस तक रहता है लेकिन मंदिर के अंदर का तापमान बेहद ठंडा रहता है। अगर आप मंदिर का दरवाजा बंद कर देंगे तो यह बेहद ठंडा हो जाता है। मंदिर के अंदर जो लोग काफी देर तक रहते हैं उनके कंबल ओढ़ने की नौबत आ जाती है। यानी बाहर चाहे जितनी भी गर्मी हो अदर यहां एसी जैसी ठंडक होती है। यहां गर्मी जैसे जैसे बढ़ती है मंदिर के अंदर ठंडक उतनी ही बढ़ती चली जाती है। ऐसा क्यों होता है इसके बारे में कोई भी सटीक जानकारी नहीं है लेकिन स्थानीय लोग इसे दैवीय प्रभाव मानते हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक यह मंदिर 3200 साल पुराना है। कुछ लोग का यह भी मानना है कि ठंडी हवाएं प्रतिमाओं से आती है।