मोबाइल-इंटरनेट के कारण लोगों के मन में दूरियां न बढ़ें इसलिए इस गांव ने अपनाया अनोखा तरीका, हो रही है तारीफ

By: Pinki Mon, 20 Jan 2020 4:51:43

मोबाइल-इंटरनेट के कारण लोगों के मन में दूरियां न बढ़ें इसलिए इस गांव ने अपनाया अनोखा तरीका, हो रही है तारीफ

मोबाइल और इंटरनेट की वजह से आज के समय में परिवारों में दूरी हो गई है। लोग अपने परिवार की जगह मोबाइल के साथ समय बिता रहा है। बढ़ती टेक्नोलॉजी के साथ-साथ परिवार में दूरिया आ गई है। लेकिन छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में बोड़रा गांव में 11 परिवार पिछले 5 साल से रोजाना एक घंटे का समय साथ बिता रहे हैं। हर दिन किसी एक घर में साथ बैठकर गोष्ठी करते हैं। यह परिवार इस बैठक के दौरन अपने सुख-दुख की बातें और जरूरत पर मदद की योजना भी बनाते हैं। इन परिवारों से जुड़े लोगों का कहना है कि संचार माध्यमों की वजह से प्रत्यक्ष तौर पर लोगों में दूरी बढ़ रही है, आमने-सामने का संवाद और तालमेल खत्म होने लगा है। इसी वजह से यह पहल की है, ताकि सामंजस्य बना रहे और सब एक-दूसरे के सुख-दुख में काम आ सकें। सबसे चौकाने वाली बात यह है कि सभी 11 परिवारों में कोई रिश्तेदार नहीं है, जाति भी अलग है। बोड़रा में इन परिवारों के इस भाईचारे और पारिवारिक गोष्ठी की चर्चा धमतरी स्तर तक है। लोगों का कहना है कि यह पहल दो-तीन परिवारों ने मिलकर पांच साल पहले शुरू की थी। लेकिन अब इस गोष्ठी में 11 परिवार के 70 सदस्य जुड़ गए है। गोष्ठी में बड़ों से लेकर बच्चों के क्या विचार हैं, सामाजिक, पारिवारिक, गांव-राज्य स्तरीय सभी तरह की बातों पर चर्चा की जाती है। किसी परिवार में कोई समस्या है, कोई जरूरत है, उसका निदान आपस में निकाला जाता है। अब तो युवा पीढ़ी भी इस पहल से जुड़ रही है।

कैसे हुई शुरुआत?

बोड़रा गांव के टोमनलाल साहू और ओमेन लाल साहू का कहना है कि एक गांव में रहने के बावजूद पहले उनकी मुलाकात कभी-कभार हो पाती थी। पता ही नहीं चलता था कि पड़ोस या मोहल्ले में क्या दिक्कतें हैं। युवाओं से भी बहुत मदद नहीं मिलती थी, क्योंकि उनका समय मोबाइल और टीवी में गुजरने लगा था। इसके बाद टोमनलाल साहू और ओमेन लाल साहू ने रोज शाम को एक घंटा आपस में बैठकर बातचीत का निर्णय लिया। इसके बाद परिवार गोष्ठी में खिलावन दीवान, योगेश्वर वर्मा, प्रीतम साहू, हीरालाल साहू, संतोष कुमार परिवार भी जुड़े। अब हफ्तेभर किसी एक सदस्य के यहां रोजाना शाम को साढ़े 6 से साढ़े 7 बजे तक परिवार गोष्ठी की जा रही है। रविवार या किसी विशेष अवसर पर ही दोपहर को एक घंटे यह बैठक करते हैं।

ओमेन ने बताया कि हमने बैठक में इस बात का फैसला किया कि शादी में तामझाम नहीं करेंगे। मेरी बड़ी बेटी की शादी इसी तरह हुई। यही नहीं, सभी परिवारों के सदस्यों ने काम बांट लिए और जिम्मेदारी निभाई। टोमनलाल ने बताया कि जुड़े हुए परिवारों में से किसी के घर में कोई बीमार हो तो सब मिलकर आर्थिक मदद करते हैं।

वही टोमनलाल की जमीन पर जैविक खेती में सभी 11 परिवार के लोग लगे हैं। पालक, मेथी, सरसों, मूली, गोभी, मिर्ची, धनिया, टमाटर, बैगन समेत अन्य सब्जियां लगा रहे हैं। सभी रोज इसके लिए आधा घंटा निकाल रहे हैं। सभी यहीं से सब्जी ले जाते हैं।

गांव के बाकी परिवार भी उनसे जुड़ रहे हैं। दूसरे लोग प्रेरित हों, इसलिए गांव में हर साल दो दिन का मानव उत्सव मनाया जा रहा है। उत्सव से जुड़े बसंत साहू ने बताया कि एकजुटता के लिए 5 साल से उत्सव मना रहे हैं। इसमें गांव के बच्चों से लेकर बुजुर्ग और महिलाएं भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेती हैं।

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टेक्नोलॉजी को अपना दोस्त मानें, उसका गुलाम मत बने : पीएम मोदी

आपको बता दे, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के तालकटोरा इनडोर स्टेडियम में 'परीक्षा पे चर्चा' पर चर्चा के दौरन छात्रों से मॉर्डन टेक्नोलॉजी का छात्र के जीवन में क्या रोल होना चाहिए इसके बारे में बताया। पीएम मोदी ने कहा इस बात को समझने की कोशिश करें कि मेरे लिए क्या जरूरी है और क्या नहीं। स्मार्टफोन आपके समय की बर्बादी करता है। ऐसे में टेक्नोलॉजी को अपने काबू में रखना अनिवार्य है। टेक्नोलॉजी को दोस्त समझिए, गुलाम मत बनिए। उन्होंने कुछ टिप्स भी दिए हैं। पीएम मोदी ने कहा स्मार्ट फोन आपका समय चोरी करता है लेकिन उसमें से कुछ समय करके अपने माता-पिता के साथ बैठिए। टेक्नोलॉजी को अपने कब्जे में रखना जरूरी है।

मोदी ने बताया-
आज के वक्त में सोशल नेटवर्किंग सिर्फ अपने फोन में आ गई है, पहले दोस्त को जन्मदिन विश करते हैं लेकिन अब रात को ही मैसेज किया जाता है। हमें तय करना होगा कि रोजाना कुछ समय के लिए टेक्नोलॉजी फ्री रहना है। कुछ समय अपनों के साथ बिताना जरूरी हैं। पीएम मोदी ने कहा घर में एक ऐसा कमरा होना चाहिए जिसमें टेक्नोलॉजी को नो एंट्री हो। उस कमरे में जो भी आएगा बिना टेक्नोलॉजी आएगा। पीएम मोदी ने कहा स्मार्टफोन में समय खराब करने की बजह अपने बड़े- बुजुर्ग से मिले, उनसे बातचीत करें। अपने लिए दिन में कम से कम 1 या दो घंटे ऐसा रखें, जिसमें आप खुद को टेक्नोलॉजी से दूर रखें और अपने परिवार से मिले, उनसे बातचीत करें।

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