NASA ने जारी की सूर्यग्रहण पर चेतावनी, कहा- खूबसूरत पर खतरनाक, भूलकर भी न करे ये काम

By: Pinki Thu, 26 Dec 2019 09:21:11

NASA ने जारी की सूर्यग्रहण पर चेतावनी, कहा- खूबसूरत पर खतरनाक, भूलकर भी न करे ये काम

साल 2019 का आखिरी सूर्यग्रहण आज सुबह 8 बजे से शुरू हो गया है। भारत समेत कई देशों में दिखने वाला यह सूर्य ग्रहण दोपहर 1 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। इस सूर्य ग्रहण काल की अवधि 5 घंटे 36 मिनट की होगी। यह पूर्ण सूर्य ग्रहण नहीं होगा। इस बार चंद्रमा की छाया सूर्य का पूरा भाग नहीं ढक पाएगी। इस ग्रहण में सूर्य का बाहरी हिस्सा प्रकाशित रहेगा। यह ग्रहण धनु राशि और मूल नक्षत्र में होगा। सूर्य के साथ केतु, बृहस्पति और चंद्रमा आदि ग्रह होने से ज्योतिष में इस कल्याणकारी योग का विशेष लाभ मिलेगा। इस सूर्य ग्रहण को लेकर अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने चेतावनी जारी की है। नासा ने भी लोगों को सूर्य ग्रहण के दौरान सावधानी बरतने की सलाह दी है।

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नासा ने चेतावनी में कहा है कि सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य को भूलकर भी सीधे नग्न आंखों से ना देखें। स्काई ऐट नाइट मैगजीन ने भी नासा की चेतावनी को गंभीरता से लेते हुए लोगों को सतर्क रहने की राय दी है। यह ग्रहण खूबसूरत होने के साथ-साथ खतरनाक भी होगा।

सूर्य ग्रहण देखने के लिए उत्साहित लोगों को विकिरण से बचाने वाले ग्लासेस पहनने की सलाह दी गई है। इसके साथ ही सूर्य ग्रहण की तस्वीरें लेते वक्त भी सोलर फिल्टर्स का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया गया है।

सूर्यग्रहण का असर भारत, सऊदी अरब, कतर, इंडोनेशिया, श्रीलंका, सुमात्रा, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और गुआम में नजर आएगा। इसके अलावा एशिया, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के अन्य हिस्सों में ये आंशिक ग्रहण की तरह दिखेगा। पोर्ट ब्लेयर में सबसे लंबे समय यानी 3:36 घंटे तक सूर्यग्रहण देखा जा सकेगा।

भारत में सबसे ज्यादा असर केरल समेत दक्षिण भारत के कई राज्यों में दिखाई देगा। बैंगलोर में लगभग 89.4% सूर्य ढका हुआ दिखाई देगा। जबकि चेन्नई में 84.6% सूर्य का हिस्सा ढका हुआ होगा। अहमदाबाद में सूर्य का करीब 66% हिस्सा छिपा रहेगा। जबकि दिल्ली में इसका सिर्फ 55.5% हिस्सा ही नजर आएगा।

आपको बता दे, चंद्र ग्रहण के समय 9 घंटे पहले और सूर्य ग्रहण के समय 12 घंटे पहले सूतक काल लगने का पौराणिक विधान है। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। कपाट बंद करने से पहले आरती और पूजा-पाठ किया जाता है। क्योंकि सूतक काल के पूजा पाठ और मूर्ति स्पर्श नहीं किया जाता।

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