सर्विस चार्ज के नाम पर रेस्टोरेंट अभी भी काट रहे आपकी जेब, कोर्ट ने एक साल पहले लगा दी थी रोक
By: Priyanka Maheshwari Sun, 10 June 2018 10:03:45
सर्विस चार्ज के नाम पर देश भर के तमाम रेस्टोरेंट अभी भी आपकी जेब काट रहे हैं। पिछले साल ही कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। केवल 12 फीसदी लोग ही सर्विस चार्ज देने से मना करते हैं।
बिल में होता है सर्विस चार्ज
- ज्यादातर रेस्टोरेंट ने सर्विस चार्ज को अभी भी जरूरी कर रखा है। इसको बिल में जोड़ने से पहले वो जानकारी भी नहीं देते हैं, जो कि देना जरूरी है। रेस्टोरेंट प्रबंधन का तर्क होता है कि उनके रेट औरों के मुकाबले काफी कम है, इसलिए सर्विस चार्ज वो लेते हैं।
यह है सरकार का नियम
- रेस्टोरेंट खाने के बिल के साथ सर्विस चार्ज लेने के लिए बाध्य नहीं हैं। अगर वो ऐसा करते हैं, तो उनको सर्विस चार्ज पर टैक्स भी देना पड़ सकता है। केंद्र सरकार के उपभोक्ता मंत्रालय ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी) को पत्र लिखकर के ऐसा करने के लिए कहा था। सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया था, क्योंकि इस तरह की शिकायतें मंत्रालय के पास आ रही है कि सर्विस चार्ज की वसूली रेस्टोरेंट कर रहे हैं।
- केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने स्पष्ट किया था कि कोई भी कंपनी, होटल या रेस्त्रां ग्राहकों से जबर्दस्ती सर्विस चार्ज नहीं वसूल सकती है। मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों से कहा है कि वह कंपनियों, होटलों और रेस्त्रां को इस बारे में सचेत कर दें।
लग रही है 20 फीसदी की चपत
- सर्विस चार्ज लगने से ग्राहकों को हर बार बिल में 5 से 20 फीसदी की चपत लग रही है। हालांकि ग्राहकों को मजबूरी में सर्विस चार्ज अभी भी देना पड़ रहा है।
वैकल्पिक हो गया है सर्विस चार्ज
- बिल में टैक्स जोड़ने के बाद सर्विस चार्ज नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि यह टैक्स नहीं है बल्कि एक प्रकार की टिप है। यानी, अगर उपभोक्ता को लगे कि उसे मिली सेवा से वह पूर्णतः संतुष्ट है तो वह सर्विस चार्ज दे, वरना वह सर्विस चार्ज के रूप में एक रुपया भी न दे।
- मंत्रालय ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वो होटलों से कहें कि वो उचित जगह पर इसकी जानकारी चिपका दें कि सर्विस चार्ज का भुगतान पूरी तरह ग्राहक की मर्जी पर निर्भर करता है, इसमें कोई जोर-जबर्दस्ती नहीं कर सकता है।