RBI आज लेगा बड़ा फैसला, रेपो रेट में कटौती की उम्मीद, जाने क्या होगा आम लोगों पर इसका असर
By: Pinki Thu, 06 June 2019 07:27:45
RBI की आज बड़ी बैठक होने वाली है जिसमें माना जा रहा है कि ब्याज दरें 0.35 फीसदी तक कम हो सकती है। अमेरिका की रिसर्च फर्म बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि गुरुवार को RBI ब्याड दरों में 0.35 प्रतिशत की गैर-परंपरागत स्तर की कटौती कर सकता है। केंद्रीय बैंक प्राय: 0.25 या 0.50 प्रतिशत की कटौती या वृद्धि करते हैं। विदेशी ब्रोकरेज कंपनी बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफाएमएल) की रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई संतोषजनक स्तर पर है, जिस वजह से केंद्रीय बैंक परंपरागत से हटकर ब्याज दरों में कुछ अधिक की कमी कर सकता है। अर्थशास्त्रियों का भी यह मानना है कि रिजर्व बैंक चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगा। देश की आर्थिक ग्रोथ की चिंता में RBI यह फैसला ले सकता है। मार्च तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर 5.8 फीसदी पर आ गई है जो इसका पांच साल का निचला स्तर है। हालांकि, मुख्य मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 2.92 प्रतिशत हो गई। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक का भी मानना है कि रिजर्व बैंक को ब्याज दरों में अधिक बड़ी कटौती करनी होगी, 0.25 फीसदी से अधिक, जिससे अर्थव्यवस्था में सुस्ती को रोका जा सके।
अमेरिका की रिसर्च फर्म बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद राजकोषीय तथा करंसी के मोर्चे पर जोखिम कम हुआ है। इससे उम्मीद है कि ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत से अधिक की कटौती होगी।
महंगाई दर RBI के अनुमान से नीचे
अगर ऐसा होता है तो यह तीसरा मौका होगा जब ब्याज दरें घटाई जाएंगी। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि महंगाई दर RBI के अनुमान से नीचे हैं। वहीं, देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट है। ऐसे में देश की आर्थिक ग्रोथ को पटरी पर लाने के लिए ब्याज दरें घटाना बेहद जरूरी है। ब्याज दरें घटाने का मतलब है कि अब बैंक जब भी आरबीआई से फंड (पैसे) लेंगे, उन्हें नई दर पर फंड मिलेगा। सस्ती दर पर बैंकों को मिलने वाले फंड का फायदा बैंक अपने उपभोक्ता को भी देंगे। यह राहत आपके साथ सस्ते कर्ज और कम हुई ईएमआई के तौर पर बांटा जाता है। इसी वजह से जब भी रेपो रेट घटता है तो आपके लिए कर्ज लेना सस्ता हो जाता है। साथ ही जो कर्ज फ्लोटिंग हैं उनकी ईएमआई भी घट जाती है।
क्या होगा ग्राहकों पर असर
- मौजूदा ग्राहक अगर लोन MCLR से जुड़ा है जिन ग्राहकों के लोन एमसीएलआर से जुड़े हैं, उनके ईएमआई का बोझ कम होगा। इसके लिए जरूरी है कि बैंक एसीएलआर में कटौती करे। हालांकि, फायदा तभी से शुरू होगा जब लोन की रीसेट डेट आएगी। अमूमन बैंक छह महीने या सालभर के रीसेट पीरियड के साथ होम लोन की पेशकश करते हैं। रीसेट डेट आने पर भविष्य की ईएमआई उस समय की ब्याज दरों पर निर्भर करेंगी।
- अगर लोन बेस रेट से जुड़ा है जिन ग्राहकों के लोन अब भी बेस रेट या बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट (बीपीएलआर) से जुड़े हैं, उन्हें अपने होम लोन को एमसीएलआर आधारित व्यवस्था में स्विच कराने पर विचार करना चाहिए। कारण है कि नई व्यवस्था में पारदर्शिता अधिक है। इनमें पॉलिसी रेट में कटौती का असर तुरंत दिखता है।
- नए ग्राहक नए होम लोन ग्राहक एमसीएलआर व्यवस्था में लोन ले सकते हैं। उनके पास एक्सटर्नल बेंचमार्क व्यवस्था का मूल्यांकन करने का भी विकल्प है। इसके लिए उन्हें थोड़ा इंतजार करना होगा। इस तरह की व्यवस्था पर दिशानिर्देश आने बाकी हैं।
- जो लोग प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए पात्र हैं, वे भी लोन लेने के बारे में विचार कर सकते हैं। स्कीम में लोन पर ब्याज सब्सिडी मिलती है। सरकार ने स्कीम की मियाद 31 मार्च, 2020 तक बढ़ा दी है।
बता दे, विश्व बैंक ने आने वाले दिनों में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर सकारात्मक रिपोर्ट दी है। आने वाले 3 साल तक भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.50 प्रतिशत रह सकती है। उसने कहा, ‘‘महंगाई रिजर्व बैंक के लक्ष्य से नीचे है जिससे मौद्रिक नीति सुगम रहेगी। इसके साथ ही ऋण की वृद्धि दर के मजबूत होने से निजी उपभोग एवं निवेश को फायदा होगा।’’