'कोई भी दक्षिण राज्य हिंदी थोपे जाने को स्वीकार नहीं करेगा' : रजनीकांत
By: Pinki Wed, 18 Sept 2019 4:23:33
14 सितंबर को हिंदी दिवस (Hindi Divas) के मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने देश की साझी भाषा के तौर पर हिंदी को अपनाने की वकालत की थी, जिसके बाद इस मुद्दे पर चर्चा शुरू हो गई थी। खासतौर से दक्षिण भाषी नेता इसे मानने को तैयार नहीं हैं। हाल ही में कमल हासन हिंदी का विरोध कर चुके हैं। अब रजनीकांत ने भी कहा है कि हिंदी को थोपा नहीं जाना चाहिए।
रजनीकांत ने कहा, 'हिंदी को थोपा नहीं जाना चाहिए। न केवल तमिलनाडु बल्कि कोई भी दक्षिण राज्य हिंदी थोपे जाने को स्वीकार नहीं करेगा। केवल हिंदी ही नहीं किसी भी भाषा को थोपा नहीं जाना चाहिए। यदि एक आम भाषा होती है तो यह देश की एकता और प्रगति के लिए अच्छा होगा लेकिन किसी भाषा के जबरन थोपे जाने को स्वीकार नहीं किया जाएगा।'
उन्होंने कहा, 'विशेष रूप से, यदि आप हिंदी थोपते हैं, तो तमिलनाडु ही नहीं, बल्कि कोई भी दक्षिणी राज्य इसे स्वीकार नहीं करेगा। उत्तर भारत में भी कई राज्य यह स्वीकार नहीं करेंगे।'
Rajinikanth: Hindi shouldn't be imposed. Not just Tamil Nadu but none of the southern states will accept imposition of Hindi. Not only Hindi, no language should be imposed. If there's a common language it's good for country's unity&progress but forcing a language isn't acceptable pic.twitter.com/cP3KzihTgw
— ANI (@ANI) September 18, 2019
16 सितंबर को कमल हासन ने एक वीडियो अपलोड कर कहा था कि एक और भाषा आंदोलन होगा, जो तमिलनाडु में जल्लीकट्टू विरोध प्रदर्शनों की तुलना में बहुत बड़ा होगा। वीडियो में कमल हासन अशोक स्तंभ और संविधान की प्रस्तावना के बगल में खड़े दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने 1950 में लोगों से एक वादा करने के साथ गणतंत्र बन गया कि उनकी भाषा और संस्कृति की रक्षा की जाएगी। कोई भी शाह, सुल्तान या सम्राट अचानक उस वादे को नहीं तोड़ सकते।
एमके स्टालिन ने किया विरोध
डीएमके के अध्यक्ष एमके स्टालिन ने भी अमित शाह के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि हम लगातार हिंदी थोपे जाने का विरोध कर रहे हैं। आज अमित शाह द्वारा दिए गए बयान से हमें झटका लगा है। इससे देश की एकता पर फर्क पड़ेगा। हम मांग करते हैं कि वह अपने इस बयान को वापस लें। सोमवार को हमारी कार्यकारिणी की बैठक है जिसमें हम इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएंगे।
क्या कहा था अमित शाह ने?
शनिवार को देशवासियों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि एक देश (India) के लिए एक आम भाषा होना बेहद जरूरी है जो दुनिया में अपनी पहचान का प्रतीक बन जाए और हिंदी देश को एकता की डोर में बांधने का काम कर सकती है। शाह ने कहा कि उत्तर-पूर्वी राज्य के हर बच्चे को हिंदी सिखाई जाएगी। उन्होंने 'एक राष्ट्र, एक भाषा' की पैरवी करते हुए कहा कि 'भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है, लेकिन देश में एक आम भाषा का होना आवश्यक है जो इसकी देश की पहचान बने और विदेशी भाषाओं को जगह न मिले। आज, अगर कोई भाषा देश को एकजुट रख सकती है, तो वह व्यापक रूप से बोली जाने वाली हिंदी भाषा है।' उन्होंने कहा मैं देश के सभी नागरिकों से अपील करता हूं कि हम अपनी-अपनी मातृभाषा के प्रयोग को बढाएं और साथ में हिंदी भाषा का भी प्रयोग कर देश की एक भाषा के पूज्य बापू और लौह पुरूष सरदार पटेल के स्वप्न को साकार करने में योगदान दें।