भारत रत्न से सम्मानित हुए प्रणब मुखर्जी, नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका

By: Pinki Thu, 08 Aug 2019 7:07:13

भारत रत्न से सम्मानित हुए प्रणब मुखर्जी, नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को गुरुवार को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देकर सम्मानित किया। देश सेवा में अतुलनीय योगदान देने के लिए कांग्रेस के पूर्व नेता को देश के सबसे बड़े सम्मान से नवाजा गया। इसके अलावा जनसंघ के नेता नानाजी देशमुख और प्रख्‍यात गायक भूपेन हजारिका को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इस साल भारत रत्न सम्मान देने का ऐलान गणतंत्र दिवस पर किया गया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीनों हस्तियों को भारत रत्न से सम्मानित किया। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित सरकार के वरिष्ठ मंत्री एवं नेता मौजूद थे।

दिवंगत असमिया गायक भूपेन हजारिका को मरणोपरांत यह सम्मान मिला। उनके बेटे तेज हजारिका ने अपने पिता के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों सम्मान ग्रहण किया। सामाजिक कार्यकर्ता एवं आरएसएस लीडर नानाजी देशमुख की तरफ से दीनदयाल रिसर्च इंस्टीट्यूट के चेयरमैन वीरेंद्रजीत सिंह ने इस सम्मान को ग्रहण किया।

बता दें कि 2017 में राष्ट्रपति पद से रिटायर हुए प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न देने का फैसला चौंकाने वाला रहा। दरअसल, प्रणब मुखर्जी की गिनती कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से होती रही है, जो अपने पूरे राजनीतिक जीवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा के खिलाफ लड़ते रहे। हालांकि, प्रणब मुखर्जी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे संबंध रहे हैं।

कौन हैं प्रणब मुखर्जी?

भारत के 13वें राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी ने भारतीय राजनीति में लंबी पारी खेली है। उन्होंने अपना करियर कोलकाता के डिप्टी अकाउंटेंट जनरल कार्यालय में बतौर क्लर्क शुरु किया था। हालांकि उनकी मेहनत और बुद्धिमत्ता उन्हें न सिर्फ राजनीति में लाई बल्कि उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में इतना अच्छा काम किया कि भारत के सर्वोच्च पद पर आसीन हुए यानी राष्ट्रपति बने। उन्हें कांग्रेस पार्टी का संकटमोचक कहा जाता था। कांग्रेस नेतृत्व की तीन पीढ़ियों के साथ काम करने वाले गिने चुने नेताओं में रहे। वह लंबे समय के लिए देश की आर्थिक नीतियों को बनाने में महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं। उनके नेत़त्व में ही भारत ने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के ऋण की 1।1 अरब अमेरिकी डॉलर की अन्तिम किस्त नहीं लेने का गौरव अर्जित किया था।

प्रणब मुखर्जी का जन्म पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के एक छोटे से गांव मिराटी में एक ब्राह्मण परिवार में 11 दिसंबर, 1935 में हुआ था। उनके पिता कामदा किंकर मुखर्जी अपने क्षेत्र के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में शामिल थे। आजादी की लड़ाई के दौरान वे 10 साल जेल में भी रहे थे। उनके पिताजी 1920 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सक्रिय सदस्य बन गए थे।

1947 में देश की आजादी के बाद भी वे राजनीति में सक्रिय रहे और 1952 से 1964 तक वे पश्चिम बंगाल विधान परिषद के सदस्य भी रहे। प्रणब मुखर्जी ने पिता के सहयोग से ही राजनीति में प्रवेश किया था।

सन 1980-1985 के दौरान प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में उन्होंने केन्द्रीय मंत्रीमंडल की बैठकों की अध्यक्षता भी की। प्रणब मुखर्जी को साल 2008 के दौरान सार्वजनिक मामलों में उनके योगदान के लिए भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से नवाजा जा चुका है। इतना ही नहीं मुखर्जी को साल 1997 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का अवार्ड भी मिला था। न्यूयॉर्क से प्रकाशित पत्रिका, यूरोमनी के एक सर्वेक्षण के अनुसार, साल 1984 में दुनिया के पांच सर्वोत्तम वित्त मन्त्रियों में से एक प्रणव मुखर्जी भी थे।

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कौन हैं नानाजी देशमुख?

नानाजी देशमुख को मरणोपरांत भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है। नानाजी देशमुख जनसंघ के संस्थापकों में शामिल थे। वह एक समाजसेवी थे। वे ताउम्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य रहे। उन्होंने इस दौरान बड़े स्तर पर समाजसेवा के काम किए और देश के बड़े विचारकों में उनकी गिनती की जाती रही। अक्सर उनके उदार सर्वग्राही नजरिये की बात की जाती है, जिसके चलते उन्होंने न केवल महात्मा गांधी बल्कि जयप्रकाश नारायण को भी मन से स्वीकार किया।

1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी, तो उन्हें मोरारजी-मन्त्रिमण्डल में शामिल किया गया था। लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया था। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया था। अटल के कार्यकाल में ही भारत सरकार ने उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण स्वालम्बन के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिये 1999 में पद्म विभूषण भी प्रदान किया था।

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कौन हैं भूपेन हजारिका?

सिनेमा, संगीत और कला के क्षेत्र में महानतम योगदान देने के लिए भूपेन हजारिका को भारत का यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया जाना है। भूपेन हजारिका भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम से एक बहुमुखी प्रतिभा के गीतकार, संगीतकार और गायक थे। भूपेन हजारिका न सिर्फ हिंदी बल्कि असमिया और बंगाली भाषाओं के कलाजगत के प्रमुख स्तंभ थे। वे भारत के ऐसे विलक्षण कलाकार थे जो अपने गीत खुद लिखते थे, संगीतबद्ध करते थे और गाते थे। हजारिका को साल 1975 में सर्वोत्कृष्ट क्षेत्रीय फिल्म के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार, 1992 में सिनेमा जगत के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के सम्मान से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें 2009 में असोम रत्न और इसी साल संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड, 2011 में पद्म भूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। लीजेंड असमिया गायक भूपेन हजारिका ने अपना पहला गीत मात्र 10 साल की उम्र में रिकॉर्ड किया था।

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