पाकिस्तान : मौलाना फजलुर ने इमरान खान को दिया अल्टीमेटम, 48 घंटे में दे इस्तीफा, लगाया ये आरोप
By: Pinki Sat, 02 Nov 2019 2:05:34
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए धार्मिक गुटों के साथ विपक्षी दल भी एकजुट हो गए हैं। इमरान खान के इस्तीफे की मांग पर अड़े मौलाना फजलुर रहमान का आजादी मार्च शुक्रवार को इस्लामाबाद पहुंच गया। इस दौरान मौलाना ने करीब 2 लाख से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए इमरान खान को इस्तीफा देने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया। मौलाना ने कहा हम इमरान खान को दो दिन यानी 48 घंटे का वक्त देते हैं। वे इस्तीफा दें और घर जाएं। पाकिस्तान ने इमरान से ज्यादा बेगैरत प्रधानमंत्री नहीं देखा। उन्होंने मुल्क को बेच दिया है। इस्लामाबाद पहुंचे इस आजादी मार्च में नवाज शरीफ के भाई शहबाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो भी शामिल हुए।
Fazlur Rehman gives Imran Khan two-day deadline to resign. "We can march to the PM house and arrest the selected PM but wont do that." pic.twitter.com/YyFtLK8jFE
— Naila Inayat नायला इनायत (@nailainayat) November 1, 2019
मौलाना से पहले बिलावल भुट्टो ने भाषण दिया। कहा, 'हम ऐसे प्रधानमंत्री को इज्जत नहीं दे सकते जो इलेक्टेड नहीं, सिलेक्टेड है। विपक्ष के नेताओं को जेल भेजकर वे डेमोक्रेसी के नाम पर तानाशाही चला रहे हैं। अवाम भुखमरी की कगार पर है।'
मौलाना रहमान ने भी भुट्टो की बात का समर्थन किया। कहा, 'इमरान ने हर मुद्दे पर लोगों को धोखा दिया। वे कश्मीर का राग अलापते हैं। भारत ने कश्मीर में जो कुछ किया। उसको रोक भी नहीं पाए। मुस्लिम वर्ल्ड की बात करते हैं लेकिन यूएन में 5 मुल्कों का समर्थन हासिल नहीं कर सके। 48 घंटे का वक्त है। वे कुर्सी छोड़ें। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम आगे की रणनीति बनाकर आए हैं। खाली हाथ लौटकर जाने का इरादा नहीं है।'
तेजगाम एक्सप्रेस रेल हादसे में 75 लोगों की मौत के बाद इमरान सरकार और दबाव में आ गई। रेल मंत्री शेख रशीद ने इस्तीफा देना तो दूर हादसे को हंसी में टाल दिया। उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इमरान सरकार को लगता था कि आजादी मार्च में ज्यादा से ज्यादा 20 हजार लोग शामिल होंगे। लेकिन, इनकी तादाद करीब 2 लाख है। इस्लामाबाद की कानून व्यवस्था खतरे में पड़ गई है। इमरान ने शुक्रवार को इस्तीफे से इनकार करते हुए मौलाना को एक तरह से भारत का एजेंट बता दिया। लेकिन, वो दबाव में हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शुक्रवार को ही उन्होंने तीन बार मंत्रियों के साथ बैठक की। सेना ने अब तक चुप्पी साध रखी है।
कौन है मौलाना फजलुर रहमान?
66 साल के मौलाना फजलुर रहमान पाकिस्तान की सबसे बड़ी धार्मिक पार्टी और सुन्नी कट्टरपंथी दल जमीअत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के चीफ हैं। उनके पिता खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के सीएम रह चुके हैं। वहां की सियासत में उनके परिवार का खासा प्रभाव रहा है। मौलाना पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में नेता विपक्ष भी रह चुके हैं। वे संसद में विदेश नीति पर स्टैंडिंग कमेटी के चीफ, कश्मीर कमेटी के मुखिया रह चुके हैं। वे तालिबान समर्थक माने जाते हैं लेकिन पिछले कुछ साल से उदारवादी होने का दावा करते हैं। इसके अलावा 2018 के चुनाव के बाद इमरान को सत्ता में आने से रोकने के लिए साझा पहल कर सुर्खियों में आए थे। पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की ओर से उम्मीदवार भी थे। सत्ता में नहीं रहते हुए भी नवाज शरीफ की सरकार ने मौलाना को केंद्रीय मंत्री का दर्जा दे रखा था। मौलाना का धार्मिक कार्ड सबसे मजबूत रहा है। वे खुले तौर पर देश की सबसे बड़ी धार्मिक पार्टी चलाते हैं। कभी तालिबान के खिलाफ अमेरिकी अभियान को इस्लाम विरोधी बताकर वे जेहाद का ऐलान किया करते थे। पहली बार 1988 में जब बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनी थीं तो मौलाना ने एक महिला के देश की अगुवाई करने के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। हालांकि बाद में बेनजीर भुट्टो से मुलाकात के बाद मौलाना ने अपना विरोध वापस ले लिया था। मुशर्रफ के शासन काल में भी मौलाना फजलुर रहमान हमेशा विरोध का झंडा बुलंद किए रहे। 2001 में अमेरिका में हुए 9/11 के हमले के बाद जब पाकिस्तान को मजबूरन तालिबान के खिलाफ अमेरिकी ऑपरेशन में साथ होना पड़ा तो मौलाना ने मुशर्रफ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। जॉर्ज बुश के खिलाफ जेहाद का ऐलान कर पाकिस्तान के कई शहरों में तालिबान के पक्ष में रैलियां की। परवेज मुशर्रफ ने तब मौलाना को नजरबंद भी करवा दिया था।