चांद पर हो गई रात, अब विक्रम से दोबारा संपर्क करने के लिए ISRO को करना होगा इस तारीख तक इंतजार

By: Pinki Sat, 21 Sept 2019 6:07:21

चांद पर हो गई रात, अब विक्रम से दोबारा संपर्क करने के लिए ISRO को करना होगा इस तारीख तक इंतजार

चांद पर रात हो चुकी है और चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) के विक्रम लैंडर (Chandrayaan 2 Vikram Lander) को चांद की सतह पर उतरे 14 भी बीत चुके है। अब विक्रम लैंडर (Vikram Lander) से संपर्क नहीं हो पाहेगा, इस दौरान चांद पर तापमान माइनस 180 सेल्सियस तक चला जाएगा। हमारे विक्रम लैंडर को भी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर इस ठंडे मौसम का सामना करना पड़ेगा। इसरो अध्यक्ष के। सिवन (ISRO Chief K Sivan) ने कहा है कि हम इन 14 दिनों में विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं साध पाए और अब इसकी उम्मीद भी नहीं है। क्योंकि चांद पर रात के दौरान माइनस 180 डिग्री तापमान में विक्रम के उपकरणों का सही हालत में रहना संभव नहीं है। उसमें जितनी एनर्जी दी गई थी, उसकी समय सीमा भी समाप्त हो चुकी है। वहां उसे रीचार्ज करने की कोई व्यवस्था भी नहीं है। वही चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर बिल्कुल सही और अच्छा काम कर रहा है। इस ऑर्बिटर में कुल आठ उपकरण लगे हैं। हर उपकरण का अपना अलग-अलग काम निर्धारित है। ये सभी उस काम को बिल्कुल उसी तरह कर रहे हैं जैसा प्लान किया गया था।

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इसरो दोबारा संपर्क करने की करेगा कोशिश

इसरो के एक अधिकारी का कहना है कि चांद पर रात के दौरान बेहद कम तापमान में चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर के उपकरण सक्रिय नहीं रहेंगे। हालांकि उसे सक्रिय रखा जा सकता था, अगर उसमें आइसोटोप हीटर लगा होता। लेकिन इन चुनौतियों के बावजूद अगले लूनर डे पर विक्रम से एक बार फिर संपर्क की कोशिश की जाएगी। यह लूनर डे 7 से 20 अक्टूबर तक रहेगा। इसरो विक्रम से 14 अक्तूबर को संपर्क करने की कोशिश करेगा।

करीब 200 किमी की रफ्तार से चंद्रमा की सतह से टकराया था विक्रम

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO - Indian Space Reseach Organisation) के अनुसार, आंकड़ों के विश्लेषण में पता चला है कि विक्रम करीब 200 किमी की रफ्तार से चंद्रमा की सतह पर टकराया। ऑर्बिटर ने विक्रम की जो तस्वीरें भेजी हैं, उन्हें देख कर ऐसा लग रहा है कि विक्रम के दो पांव चांद की सतह में धंस गए हैं। ये भी हो सकता है कि वो पांव मुड़ गए हों। या फिर वो एक करवट गिरा पड़ा है। ऐसा तेज गति में टकराने के कारण हुआ है। माना जा रहा है कि ऑटोमेटिक लैंडिंग प्रोग्राम में गड़बड़ी के कारण ऐसा हुआ है।

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