4 मार्च 1951 में जवाहर लाल नेहरू ने आरे में लगाया था पहल पौधा, ऐसे तैयार हुआ पूरा जंगल

By: Pinki Mon, 07 Oct 2019 1:56:53

4 मार्च 1951 में जवाहर लाल नेहरू ने आरे में लगाया था पहल पौधा, ऐसे तैयार हुआ पूरा जंगल

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई (Mumbai) के आरे कॉलोनी (Aarey Colony) में पेड़ों (Aarey forest) की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। अब इस मामले पर 21 अक्टूबर को अगली सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महाराष्ट्र सरकार का पक्ष रख रहे तुषार मेहता ने कहा कि अब सरकार कोई पेड़ नहीं काटेगी। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार रिपोर्ट दे और कोर्ट को बताए कि अबतक आरे में कितने पेड़ काटे गए हैं? अगर आरे कॉलोनी के इतिहास पर नजर डाले तो ये विवाद आज का नहीं है ये काफी पुराना है फिर चाहे जंगल एरिया हो या फिर इको जोन। बता दे, इस कॉलोनी की नींव देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी और यहां पेड़ भी लगाया था।

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी नींव

देश की आजादी के 4 वर्ष बाद 4 मार्च 1951 में जवाहर लाल नेहरू ने पौधारोपण कर यहां डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए आरे मिल्क कॉलोनी की नींव रखी। PM नेहरू के पौधारोपण के बाद यहां इतने पेड़ लगाए गए कि 3166 एकड़ क्षेत्रफल में फैले भूभाग ने कुछ ही समय में जंगल का रूप ले लिया।

आरे मिल्क कॉलोनी में मुंबई के कई इलाके आते हैं, जिनमें साई, गुंडगाव, फिल्म सिटी, रॉयल पॉल्म, आरे, पहाड़ी गोरेगांव, पसपोली इलाका शामिल है। इस क्षेत्र में कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है, रात में यहां के कुछ रास्तों से निकलने पर रोक भी लगाई गई है।

क्या है मुंबई मेट्रो का प्रोजेक्ट?

मायानगरी मुंबई में सार्वजनिक यातायात की मुश्किलें जाहिर हैं, लोकल ट्रेन के अलावा ऐसा कोई साधन नहीं है जो लाखों यात्रियों का बोझ उठा सके। 2014 में यहां पहली मेट्रो आई तो लोगों को काफी रास आई, जिसके बाद इसके विस्तार की बात छिड़ गई। विस्तार के दौरान जब मेट्रो के शेड की जरूरत हुई तो फिल्मसिटी के बराबर में आरे कॉलोनी के जंगल का चुनाव हुआ, जिसे मुंबई का फेफड़ा कहा जाता है।

शेड के लिए किसी और स्थान पर जगह नहीं मिली तो सरकार की ओर से आरे के पेड़ों में ही शेड बनाने का फैसला हुआ। इस फैलसे के बाद मुंबई में आंदोलनों की शुरुआत हुई, आम आदमी से लेकर नेता और अभिनेता हर कोई #SaveAarey का कैंपेन चलाने लगे और यह विवाद बॉम्बे हाईकोर्ट तक पहुंच गया। बॉम्बे हाईकोर्ट से महाराष्ट्र सरकार को इजाजत मिली तो तुरंत पेड़ कटाई का काम शुरू हो गया। कुल 2600 के करीब पेड़ काटे जाने थे, जिनमें 2000 से अधिक पेड़ कट भी गए थे। लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से तुरंत पेड़ों की कटाई रोकने को कह दिया, साथ ही ये भी रिकॉर्ड मांगा कि अभी तक कितने पेड़ काटे गए हैं। हालांकि, महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि मेट्रो के लिए उन्हें जितने पेड़ काटने थे, वह काट लिए गए हैं। आगे वह कोई पेड़ नहीं काटेंगे।

आरे कॉलोनी के जंगल से पेड़ों की कटाई को लेकर शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) ने भी कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार को अगर आरे कॉलोनी के जंगल की चिंता नहीं है तो उन्हें पर्यावरण बचाने को लेकर भी नहीं बोलना चाहिए। उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट किए। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा कि आरे कॉलोनी के लोगों के साथ हमारे शिवसैनिक खड़ें हैं। मुझे समझ नहीं आ रहा कि मुबंई मेट्रो मुंबईवासियों को अपराधी की तरह क्यों देख रही है और उनकी मांग को क्यों नहीं सुन रही।

वही अब शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने भी इस पेड़ों की कटाई पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जब वो सत्ता में आएंगे तो उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे जो पेड़ों की हत्या के लिए जिम्मेदार हैं। ठाकरे ने कहा, 'आने वाली सरकार हमारी सरकार होगी और एक बार हमारी सरकार आ गई तो हम आरे (Aarey) के जंगलों के हत्यारों से सही तरीके से निपटेंगे।'

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