किसान मार्च: मायावती ने कहा- खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहे BJP, कांग्रेस बोली- दिल्ली सल्तनत का बादशाह सत्ता के नशे में
By: Priyanka Maheshwari Wed, 03 Oct 2018 08:06:08
किसानों ने अपना आंदोलन खत्म कर दिया है। सारे किसान दिल्ली यूपी बॉर्डर से रात में ही पहले किसान घाट आए और उसके बाद अब किसान घाट से आंदोलन खत्म करके घर लौट रहे हैं। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे देश भर के किसानों के प्रति रुख में नरमी लाते हुए केंद्र सरकार ने मंगलवार रात 12.40 बजे किसानों के जत्थे को दिल्ली में किसान घाट जाने की इजाजत दे दी। इसके बाद किसानों ने दिल्ली कूच किया। इसके लिए गाजियाबाद एसएसपी ने बसों का इंतजाम भी किया। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि, 'फिलहाल किसान राजघाट और किसान घाट पहुंचकर लौट जाएंगे। बाकी बची मांगों के लिए सरकार को मांग पत्र दिया गया है, जिसके लिए सरकार ने समय मांगा है। लाठीचार्ज के लिए दिल्ली पुलिस ने माफी मांगी है।'
विपक्षी दलों ने हजारों किसानों के खिलाफ मोदी सरकार पर 'बर्बर पुलिस कार्रवाई' करने का आरोप लगाया। इसे लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने पुलिस लाठीचार्ज को बीजेपी सरकार की निरंकुशता की पराकाष्ठा करार देते हुए कहा कि उसे इसका खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। वहीं कांग्रेस ने इसे लेकर कटाक्ष किया कि 'दिल्ली सल्तनत का बादशाह सत्ता के नशे में है।
विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार पर 'किसान विरोधी' होने का आरोप लगाते हुए मांग की कि किसानों को अपनी शिकायतों को रखने के लिए दिल्ली में प्रवेश की इजाजत दी जाए। उधर सरकार किसानों को अपना प्रदर्शन खत्म करने के लिए मनाने के तरीके तलाशने में जुटी दिखी।
कृषि कर्ज माफी और ईंधन के दामों में कटौती जैसी विभिन्न मांगों को लेकर भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की तरफ से प्रदर्शन का आह्वान किया गया है। इन किसानों को गाजियाबाद में दिल्ली-यूपी बॉर्डर और अन्य जगहों पर रोका गया है। पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए पानी की बौछार और आंसू गैस के गोले दागे। कुछ मीडिया रिपोर्ट में प्रदर्शनकारी किसानों पर लाठीचार्ज किए जाने की बात भी कही गई है।
वहीं अधिकारियों ने कहा कि ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर सवार किसानों ने यूपी पुलिस के बैरीकेड तोड़ दिए और दिल्ली पुलिस द्वारा लगाए गए बैरीकेड की तरफ बढ़ने लगे। भीड़ को तितर-बितर करने के लिये आंसू गैस के गोले भी दागे गए। इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बीजेपी पर अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के दिन दिल्ली सीमा पर किसानों की 'बर्बर पिटाई' का आरोप लगाया और सवाल किया कि वे राष्ट्रीय राजधानी में अपनी शिकायत का जिक्र भी नहीं कर सकते? उन्होंने हिंदी में ट्वीट किया, 'विश्व अहिंसा दिवस पर बीजेपी का दो-वर्षीय गांधी जयंती समारोह शांतिपूर्वक दिल्ली आ रहे किसानों की बर्बर पिटाई से शुरू हुआ। अब किसान देश की राजधानी आकर अपना दर्द भी नहीं सुना सकते!'
पार्टी की सर्वोच्च निर्णायक इकाई कांग्रेस कार्य समिति ने महाराष्ट्र के वर्धा में हुई अपनी एक बैठक में किसानों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। वहीं पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि केंद्र अगर कुछ उद्योगपतियों के भारी भरकम कर्ज माफ कर सकता है तो वह किसानों का कर्ज क्यों नहीं माफ कर सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए उन्होंने आरोप लगाया, 'अहंकार उनके सिर चढ़कर बोल रहा है।'
उधर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदर्शनकारी किसानों को अपना समर्थन देते हुए आरोप लगाया कि ईंधन के बढ़े दामों और जीएसटी तथा नोटबंदी जैसे फैसलों की वजह से कृषक समुदाय बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सपा प्रमुख ने कहा कि 'किसान अपनी विभिन्न मांगों के समर्थन में सड़कों पर हैं। अगर हम देखें तो पिछले चार सालों में करीब 50 हजार किसानों ने आत्महत्या की है। इनमें अधिकतर उत्तर प्रदेश सहित अनेक भाजपा शासित प्रदेशों के किसान शामिल हैं।'
वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने दिल्ली में किसानों पर पुलिस लाठीचार्ज की निन्दा करते हुए आज कहा कि किसानों की आय दोगुना कर उनके अच्छे दिन लाने का वादा करने वाली भाजपा सरकार निहत्थे किसानों पर पुलिस से लाठियां चलवा रही है और उन पर आँसू गैस के गोले दगवा कर पुलिसिया जुल्म कर रही है। उन्होंने कहा, 'वैसे तो बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकारों की गरीब व किसान-विरोधी गलत नीतियों से समाज का हर वर्ग बहुत ज्यादा दुखी होकर पीड़ित है, लेकिन किसान वर्ग के लोग इस सरकार में कुछ ज्यादा ही संकट झेल रहे हैं। बीजेपी की सरकारों ने उनकी समस्याओं का अगर सही समाधान किया होता तो यूपी, पंजाब और हरियाणा के किसानों को आज दिल्ली में पुलिस की लाठी का शिकार होकर मुसीबत व ज़िल्लत नहीं झेलनी पड़ती।'
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— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 2, 2018
विश्व अहिंसा दिवस पर BJP का दो-वर्षीय गांधी जयंती समारोह शांतिपूर्वक दिल्ली आ रहे किसानों की बर्बर पिटाई से शुरू हुआ।
अब किसान देश की राजधानी आकर अपना दर्द भी नहीं सुना सकते! #KisanKrantiYatra
दिल्ली सबकी है। किसानों को दिल्ली में आने से नहीं रोका जा सकता। किसानों की माँगे जायज़ हैं। उनकी माँगें मानी जायें।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) October 2, 2018
किसानों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की आलोचना करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, 'हम किसानों पर हुई कार्रवाई और ज्यादतियों की कड़े शब्दों में आलोचना करते हैं। यह एक बार फिर मोदी सरकार के किसान विरोधी रवैये को दर्शाता है।' सीपीआई ने भी प्रदर्शनकारी किसानों पर पुलिस कार्रवाई की निंदा की है। वामपंथी अखिल भारतीय किसान सभा ने भी किसानों के खिलाफ पुलिस की 'बर्बरता' की आलोचना की और इस मुद्दे पर सरकार को कठघरे में खड़ा किया।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि किसानों के विरोध मार्च को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकना 'गलत' है। उन्होंने शहर में किसानों को प्रवेश देने की वकालत की। गांधी जयंती के अवसर पर दिल्ली विधानसभा में आयोजित एक समारोह से इतर उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से क्यों रोका जा रहा है। यह गलत है। दिल्ली सबकी है। उन्हें दिल्ली में आने देना चाहिए। हम उनकी मांगों का समर्थन करते हैं।'
वहीं राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट की अनदेखी कर मोदी सरकार ने किसानों की पीठ में छूरा घोंपा है। उन्होंने हिंदी में ट्वीट कर कहा, 'मोदी जी, माना किसान पूंजीपतियों की तरह आपकी जेबें नहीं भर सकते, लेकिन कम से कम उनके सिर पर डंडे तो मत मरवाइए। अगर आपने ग़रीबी देखी होती तो किसानों पर इतने जुल्म नहीं करते।'
मोदी सरकार ने भी स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को कूड़े में फेंक किसानों की पीठ में छुरा घोंपा है।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) October 2, 2018
मोदी जी,माना किसान पूँजीपतियों की तरह आपकी जेबें नहीं भर सकते लेकिन कम से कम उनके सिर पर डंडे तो मत मरवाइए।
अगर आपने ग़रीबी देखी होती तो किसानों पर इतने ज़ुल्म नहीं करते।#KisanKranti