पुलवामा हमला: जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने माना- हमसे गलती हुई, पुलवामा आतंकी हमला खुफिया विफलता का परिणाम
By: Priyanka Maheshwari Fri, 15 Feb 2019 09:30:21
गुरुवार को जम्मू एवं कश्मीर (Jammu-Kashmir) के पुलवामा (Pulwama Blast) में अवन्तीपुरा के गोरीपुरा इलाके में सीआरपीएफ (CRPF) के काफिले पर हुए आतंकी हमले को लेकर जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के राज्यपाल सत्य पाल मलिक (Satya Pal Malik) ने माना है कि पुलवामा आतंकी हमला (Pulwama Terrorist Attack) आंशिक रूप से खुफिया विफलता का परिणाम है, खासकर इस तथ्य के कारण कि सुरक्षा बल विस्फोटकों से लदी स्कॉर्पियो और मूवमेंट का पता नहीं लगा सके। 'इंडियन एक्सप्रेस' से बात करते हुए मलिक ने कहा, 'हम इसे (खुफिया विफलता) स्वीकार नहीं कर सकते। हम हाईवे पर चलते हुए विस्फोटकों से भरे वाहन का पता नहीं लगा पाए या उसकी जांच नहीं कर पाए। हमें स्वीकार करना चाहिए कि हमसे गलती हुई है।
उन्होंने स्वीकार किया कि जब सुरक्षा बल स्थानीय आतंकवादियों को खत्म कर रहे थे, जिसमें जैश के लोग भी शामिल थे - उनमें से किसी के बारे में कोई चेतावनी या खुफिया इनपुट नहीं था कि उन्हें 'आत्मघाती हमलावर' बनने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, 'हमें नहीं पता था कि उनके बीच एक फिदायीन था, यह भी खुफिया विफलता का हिस्सा है। मैं यह स्वीकार कर सकता हूं। यह आदमी (आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार) हमारे संदिग्धों की सूची में था। कोई भी उन्हें अपने घरों में आश्रय नहीं दे रहा था। इसलिए वह जंगलों या पहाड़ियों की ओर भाग गया और लुप्त हो गया। हम उसके बारे में जानते थे लेकिन उसका पता नहीं लगा सके। यह सिर्फ एक मौका था और वह दुर्लभ व्यक्ति था जो भाग गया। बाकी लोग मारे जा रहे हैं।'
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह दोनों ने उनसे टेलीफोन पर बात की। सुरक्षा समीक्षा में रणनीति तय की जाएगी लेकिन मैं आपको बता सकता हूं कि तीन महीने के भीतर हम उन्हें खत्म कर देंगे। हमने पंचायत चुनाव और नगरपालिका चुनाव कराए हैं, एक पक्षी भी नहीं मारा गया। पहले चुनावों के दौरान कई लोगों की जान चली जाती थी। उन्होंने पुलवामा हमले को उनकी हताशा बताया। उन्होंने कहा, उग्रवादियों पर पाकिस्तान का दबाव था कि वह कुछ बड़ा करें। यह हमला उस हताशा का परिणाम है जो वे सामना कर रहे थे।'
बता दे, सीआरपीएफ (CRPF) काफिले पर हुए हमले में करीब 350 किलो IED (Improvised Explosive Device) का इस्तेमाल हुआ। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) ने हमले की जिम्मेदारी ली और इसे आत्मघाती बताया। तबाही का ऐसा खौफनाक मंजर देख स्थानीय निवासियों का खून जम गया। यह आतंकवादी घटना यहां से 20 किलोमीटर दूर हुई। घटना में इस्तेमाल किया गया विस्फोटक इतना शक्तिशाली था कि उसकी आवाज 10-12 किलोमीटर दूर, यहां तक कि पुलवामा से जुड़े श्रीनगर के कुछ इलाकों तक भी सुनाई दी। स्थानीय निवासियों ने बताया कि घटना में शहीद हुए जवानों के क्षत विक्षत शव जम्मू कश्मीर राजमार्ग में बिखर गए। कुछ शवों की हालत तो इतनी खराब है कि उनकी शिनाख्त में काफी वक्त भी लग सकता है। विस्फोट की आवाज सुनाई देते ही लोग यहां वहां भागने लगे। घटनास्थल से 300 मीटर से भी कम दूरी पर स्थित लेथपुर बाजार के दुकानवाले अपनी अपनी दुकानों के शटर गिरा कर भाग गए। शव इतनी बुरी तरह क्षत-विक्षत हो चुके हैं कि चिकित्सकों के लिए हताहतों की वास्तविक संख्या बताना बहुत कठिन हो रहा है। रक्षा अधिकारी ने हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 2500 से अधिक जवान 78 वाहनों के काफिले में जा रहे थे। जिनमें से ज्यादातर अपनी छुट्टियां बिताने के बाद वापस लौट रहे थे। जम्मू कश्मीर राजमार्ग पर अवंतिपोरा इलाके में लाटूमोड पर इस काफिले पर घात लगाकर हमला किया गया। ये काफिला जम्मू से तड़के साढ़े तीन बजे चला था और माना जा रहा था कि इसे शाम तक श्रीनगर पहुंचना था। सीआरपीएफ के महानिदेशक आरआर भटनागर ने बताया कि ये एक बड़ा काफिला था और करीब 2500 सुरक्षाकर्मी अलग-अलग वाहनों में जा रहे थे। आतंकवादियों ने जिस स्थान पर घटना को अंजाम दिया है वह लाथपोरा के कमांडो ट्रेनिंग सेंटर से ज्यादा दूर नहीं है। न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक पुलिस ने आतंकी की पहचान पुलवामा के काकापोरा के रहने वाले आदिल अहमद के रूप में की है। उन्होंने बताया कि अहमद 2018 में जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हुआ था। पुलिस ने बताया कि जैश आतंकी आदिल ने स्कॉर्पियो से सीआरपीएफ के बस में टक्कर मारी थी। आतंकी आदिल ने जिस गाड़ी से टक्कर मारी उसमें 350 किलो विस्फोटक थे।