चंद्रयान-2 : चांद पर शुरू हुई 'शाम', विक्रम लैंडर से संपर्क करना होगा अब और मुश्किल
By: Pinki Mon, 16 Sept 2019 09:07:30
चांद पर शाम का वक्त शुरू हो चुका है और चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के विक्रम लैंडर (Vikram Lander) से संपर्क साधने की उम्मीदें भी खत्म होती जा रही है। दरहसल, 7 सितंबर को तड़के 1:50 बजे के आसपास विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर गिरा था। जिस समय चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर चांद पर गिरा, उस समय वहां सुबह थी। यानी सूरज की रोशनी चांद पर पड़नी शुरू हुई थी। चांद का पूरा दिन यानी सूरज की रोशनी वाला पूरा समय पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है। यानी 20 या 21 सितंबर को चांद पर रात हो जाएगी। 14 दिन काम करने का मिशन लेकर गए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के मिशन का टाइम पूरा हो जाएगा। आज 16 सितंबर है, यानी चांद पर 20-21 सितंबर को होने वाली रात से कुछ घंटे पहले का वक्त यानी, चांद पर शाम का वक्त शुरू हो चुका है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO) के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट नोआ. ई. पेत्रो ने आजतक से बात करते हुए बताया कि चांद पर शाम होने लगी है। हमारा LRO विक्रम लैंडर की तस्वीरें तो लेगा, लेकिन इस बात की गारंटी नहीं है कि तस्वीरें स्पष्ट आएंगी। क्योंकि, शाम को सूरज की रोशनी कम होती है और ऐसे में चांद की सतह पर मौजूद किसी भी वस्तु की स्पष्ट तस्वीरें लेना एक चुनौतीपूर्ण काम होगा। हो सकता है कि ये तस्वीरें धुंधली हों। लेकिन जो भी तस्वीरें आएंगी, उन्हें हम भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी से साझा करेंगे।
अगर 20-21 सितंबर तक किसी तरह भी इसरो और दुनिया भर की अन्य एजेंसियों के वैज्ञानिक विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने में सफल हो गए तो ठीक, नहीं तो यह माना जा सकता है कि दोबारा विक्रम से संपर्क करना किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। क्योंकि, चांद पर शुरू हो जाएगी रात, जो पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होगी। चांद के उस हिस्से में सूरज की रोशनी नहीं पड़ेगी, जहां विक्रम लैंडर है। तापमान घटकर माइनस 200 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है। इस तापमान में विक्रम लैंडर के इलेक्ट्रॉनिक हिस्से खुद को जीवित रख पाएंगे, ये कह पाना मुश्किल है। इसलिए विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं हो पाएगा।
बता दे, इसरो (ISRO) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के वैज्ञानिक चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के विक्रम लैंडर से संपर्क साधने में लगे हैं। नासा के डीप स्पेस नेटवर्क के तीन सेंटर्स से लगातार चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर और लैंडर से संपर्क बनाए हुए है। ये तीन सेंटर्स हैं - स्पेन के मैड्रिड, अमेरिका के कैलिफोर्निया का गोल्डस्टोन और ऑस्ट्रेलिया का कैनबरा। इस तीन जगहों पर लगे ताकतवर एंटीना चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से तो संपर्क साध पा रहे हैं, लेकिन विक्रम लैंडर को भेजे जा रहे संदेशों का कोई जवाब नहीं आ रहा है।
इसरो के नाम दर्ज हुई ये 6 उपलब्धियां
इसरो के नाम 6 उपलब्धियां दर्ज हो चुकी हैं। ये हैं- इसरो ने पहली बार बनाया लैंडर और रोवर, पहली बार किसी प्राकृतिक उपग्रह पर लैंडर-रोवर भेजा, चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहली बार भेजा मिशन, पहली बार किसी सेलेस्टियल बॉडी पर लैंड करने की तकनीक विकसित की, पहली बार लैंडर-रोवर-ऑर्बिटर को एकसाथ लॉन्च किया और विशेष प्रकार के कैमरे और सेंसर्स बनाए गए।