अधिकारी की बल्ले से पिटाई: बाहर आए BJP MLA आकाश विजयवर्गीय, कहा - जेल में अच्छा समय बीता
By: Pinki Sun, 30 June 2019 09:25:38
इंदौर नगर निगम के अधिकारी को क्रिकेट बैट से पीटने वाले बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय को भोपाल की विशेष अदालत ने जमानत दे दी है। आकाश रविवार की सुबह जेल से बाहर आ गए। बाहर आने के बाद आकाश ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जेल में उनका समय अच्छा बीता है। जनता की भलाई के लिए काम करते रहेंगे। भोपाल की विशेष अदालत ने शनिवार को ही आकाश को जमानत दे दी थी। पर, लॉकअप के तय समय तक स्थानीय जेल प्रशासन को जमानत का अदालती आदेश नहीं मिल पाने के कारण उन्हें कारागार में ही लगातार चौथी रात गुजारनी पड़ी।
बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे और इंदौर-3 से विधायक आकाश विजयवर्गीय 26 जून से जेल में बंद थे। आकाश (34) ने इंदौर के गंजी कम्पाउंड क्षेत्र में एक जर्जर भवन ढहाने की मुहिम के विरोध के दौरान नगर निगम के एक अधिकारी को क्रिकेट के बैट से पीट दिया था। कैमरे में कैद पिटाई कांड में गिरफ्तारी के बाद विजयवर्गीय को बुधवार को यहां एक स्थानीय अदालत के सामने पेश किया गया था।
Indore: BJP MLA Akash Vijayvargiya who was granted bail by Bhopals Special Court yesterday,released from jail. He was arrested for thrashing a Municipal Corporation officer with a cricket bat on June 26. #MadhyaPradesh pic.twitter.com/AvPb1HsWhP
— ANI (@ANI) June 30, 2019
अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बीजेपी विधायक की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके साथ ही, उन्हें 11 जुलाई तक न्यायिक हिरासत के तहत जेल भेज दिया था। बाद में उन्होंने भोपाल में विशेष अदालत में जमानत के लिए याचिका दाखिल की।
न्यायिक हिरासत के तहत जेल में बंद रहने के दौरान बीजेपी विधायक को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का पुतला जलाने के पुराने मामले में बृहस्पतिवार को औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया था। दोनों ही मामलों में उन्हें जमानत मिल गई।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अघोषित बिजली कटौती को लेकर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने विजयवर्गीय की अगुवाई में चार जून को शहर के राजबाड़ा चौराहे पर प्रदर्शन के दौरान यह पुतला जलाया था। लेकिन इस प्रदर्शन के लिये प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली गयी थी।
लिहाजा विजयवर्गीय और बीजेपी के अन्य प्रदर्शनकारियों के खिलाफ भारतीय दण्ड विधान की धारा 188 (किसी सरकारी अधिकारी के आदेश की अवज्ञा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी और दोनों ही मामलों में गिरफ्तार किया गया था।