बीते दिनों दिल्ली में ISIS का आतंकी अबू युसूफ पकड़ा गया था उसके बाद से ही कई राज्यों में अलर्ट जारी किया गया था। लेकिन अब भारतीय खुफिया प्रतिष्ठान हाई अलर्ट पर हैं क्योंकि रावलपिंडी में 20 अगस्त को जैश-आईएसआई की बैठक हुई हैं। सूत्रों के अनुसार ऐसी ही एक बैठक पिछले साल पुलवामा हमले से एक महीने पहले भी इन्हीं लोगों ने की थी। जैश-ए-मोहम्मद के ‘अमीर’ मौलाना अब्दुल रऊफ अशगर और आईएसआई के दो शीर्ष अधिकारियों के बीच यह बैठक हुई हैं। एक गोपनीय खुफिया नोट से पता चला है कि अशगर का भाई मौलाना अम्मार भी इस बैठक में शामिल था।
सूत्रों के अनुसार, एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी का कहना है कि रावलपिंडी की बैठक इस्लामाबाद में जैश मरकज की एक मंडली द्वारा आयोजित की गई थी। जहां जैश के ऑपरेशनल कमांडर मुफ्ती अशगर खान कश्मीरी और कारी जरीर ने भारत पर हमले तेज करने के लिए अपनी योजना के अंतिम चरण की चर्चा की। सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्र ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है क्योंकि गुरिल्ला का पूर्व कमांडर अशगर कश्मीरी, मजलिस-ए-शूरा का पूर्व सदस्य है, हरकतुल मुजाहिद्दीन है, जो बाद में मुजाहिद्दीनों की अपनी टीम के साथ जैश में शामिल हो गया।
जरार एक लॉन्चिंग कमांडर है जो 2016 के नगरोटा सेना छावनी हमले के पीछे था। जब से मौलाना अब्दुल रऊफ अशगर उर्फ मारा के भाई मौलाना मसूद अजहर के जानलेवा बीमारी से ग्रस्त होने का पता चला है तब से वो मुजाहिद्दिनों को संभालने में सबसे आगे है। मारा आतंकी संगठन नेतृत्व की शीर्ष पांच सूची में भी शामिल है, जिस पर भारतीय एजेंसियां अपनी नजर बनाए हुए हैं।
खुफिया अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि जैश एक बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए बेताब है क्योंकि घाटी में उसके आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई है। दो हफ्ते पहले, खुफिया प्रतिष्ठान को जैश के तीन सदस्यीय मौत दस्ते द्वारा एक बड़े हमले को लेकर सतर्क किया गया था।