चीन का तंज- अमेरिका के बहकावे में न आए भारत, ये धारणा गलत कि भारतीय सेना हमें हरा सकती है

By: Pinki Wed, 17 June 2020 10:00:04

चीन का तंज- अमेरिका के बहकावे में न आए भारत, ये धारणा गलत कि भारतीय सेना हमें हरा सकती है

भारत और चीन के बीच काफी दिनों से लद्दाख सीमा पर चल रहा तनाव अब अपने चरम पर पहुंच चुका है। पूर्वी लद्दाख (Ladakh) की गलवान वैली (Galwan Valley) में सोमवार देर रात भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुए संघर्ष (India-China Rift) में भारत के 20 जवान शहीद हो गए। इनमें एक कमांडिंग अफसर भी शामिल हैं। इस झड़प में चीन को भी काफी नुकसान हुआ है। खबर है कि इस संघर्ष में 43 चीनी सैनिक भी हताहत हुए है। भारतीय सेना ने बयान जारी कर कहा है कि फिलहाल जहां झड़प हुई वहां से दोनों देशों के सैनिक पीछे हट गए हैं। हालांकि चीन ने आरोप लगाया है कि हिंसा की शुरुआत भारतीय सैनिकों ने की थी। अब चीन की सरकारी मीडिया में भारत को ताकतवर चीनी सेना की धमकी देते हुए कहा है कि वे अमेरिका समेत अन्य देशों के बहकावे में आकर गलत कदम उठाने के बारे में न सोचे।

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अमेरिका के बहकावे में न आए भारत

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय के मुताबिक भारत और चीन की सीमा पर 1975 के बाद पहली बार इस तरह की हिंसक झड़प हुई है, जिसमें किसी देश के सैनिक की मौत हुई है। इस लेख में आरोप लगाया गया है कि भारत लगातार विवादित क्षेत्र में कंस्ट्रक्शन का काम कर रहा है जिससे दोनों देशों के बीच हुए समझौते पर संकट के बादल छाए हुए हैं। इस संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि अमेरिका के बढ़ते दबाव के चलते भारत का रवैया चीन के प्रति बदल रहा है।

ये धारणा गलत कि भारतीय सेना चाहे तो चीनी सेना को हरा सकती है

इस लेख में कहा गया है कि भारत में कुछ लोगों को इस बात का भी भ्रम है कि भारतीय सेना की ताकत चीनी सेना के मुकाबले ज्यादा है। इस तरह की बातें की जा रही हैं कि भारतीय सेना चाहे तो चीनी सेना को हरा सकती है। ये सभी सच नहीं है, ये तथ्य नहीं हैं और ऐसे भ्रामक तथ्यों के जरिए बनी धारणा भी नुकसानदायक है। चीन ने भारत के अड़ियल रवैये को इस हिंसक झड़प के लिए दोषी करार दिया है। चीन का कहना है कि बीते कुछ सालों में भारत सरकार न सिर्फ चीन के साथ सीमा विवाद में सख्ती से पेश आ रही है, बल्कि उन्हें स्थिति को लेकर कई सारे भ्रम भी हैं। ऐसा लगता है कि भारत ये मान चुका है चीन उसके साथ अच्छे संबंध नहीं चाहता है, लेकिन ये सच नहीं है। चीन का मानना है कि अमेरिका अपनी इंडो-पैसेफिक नीति के लिए भारत का इस्तेमाल कर रहा है। भारत के आक्रामक रवैये के पीछे अमेरिकी दबाव है और ये डोकलाम में भी साबित हो चुका है। चीन और भारत की सैन्य ताकत में जो फर्क है वो किसी से छुपा नहीं है, और हम भारत को सीमा विवाद किसी भी तरह की हिंसा से न सुलझाने की सलाह देते हैं।

चीन युद्ध नहीं चाहता, ये हमारी कमजोरी नहीं

चीन ने कहा है कि वो कभी भी भारत से युद्ध नहीं चाहता है लेकिन किसी को भी इसे उसकी कमजोरी की तरह नहीं समझना चाहिए। चीन के मुताबिक भारत और चीन में कुछ मतभेद हैं जिन्हें द्विपक्षीय बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है।

चीन ने धमकी भी दी है कि वो किसी भी हालत में भारत से शांति की शर्त पर अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा। इस संपादकीय में आगे कहा गया है कि चीन और भारत दोनों काफी बड़े देश हैं जहां अरबों लोग रहते हैं। भारत को ये सपष्ट करना चाहिए कि चीन और भारत के तनावपूर्ण रिश्तों में अमेरिका के कौन से हित पूरे हो रहे हैं। क्या अब भारत ने वाशिंगटन के सामने पूरी तरह समर्पण कर दिया है?

चीन ने कहा कि गलवान वैली में दोनों सेनाओं को नुकसान हुआ लेकिन ये काफी ख़ुशी की बात है कि दोनों सेनाओं की लीडरशिप आगे आई और स्थिति को बिगड़ने से पहले ही बातचीत के जरिए शांति स्थापित करने की कोशिश की गई। इससे स्पष्ट होता है कि दोनों ही देश शांति और बातचीत के जरिए इस मामले को सुलझाना चाहते हैं।

अखबार ने कहा है कि चीन ने अपनी सेना को हुए नुकसान को सार्वजनिक इसलिए नहीं किया है क्योंकि वह अपने देश के लोगों में भारत के प्रति नफरत पैदा करना नहीं चाहते। चीन इस बात पर प्रतिबद्ध है कि वह अपने इलाके की रक्षा और देश की संप्रभुता के लिए हर रास्ता अपनाने में सक्षम है।

अमेरिका ने कहा - एलएसी पर हमारी पैनी नजर

भारत और चीन के बीच लद्दाख की गालवन घाटी में हुई हिंसक झड़प पर अब अमेरिका का भी बयान आया। मंगलवार रात व्हाइट हाउस में हुई मीटिंग के बाद अमेरिका ने बयान जारी किया। अमेरिका ने कहा- दोनों देशों के बीच जारी तनाव पर हमारी पैनी नजर है। राष्ट्रपति ट्रम्प (Donald Trump) ने प्रधानमंत्री मोदी से 2 जून को फोन पर बातचीत की थी। इस दौरान भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर चर्चा हुई थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय समय के अनुसार रात 11:30 बजे व्हाइट हाउस में एक अहम मीटिंग की। इसमें इंटेलिजेंस एजेंसियों ने भारत-चीन विवाद पर रिपोर्ट पेश की। विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भी मीटिंग में शामिल थे। मीटिंग के बाद एक बयान जारी किया गया। अमेरिका ने कहा, 'एलएसी के हालात पर हमारी करीबी नजर रख रहे हैं। भारतीय सेना के 20 जवान मारे गए हैं। अमेरिका इस पर शोक व्यक्त करता है। हमारी संवेदनाएं सैनिकों के परिवारों के साथ हैं।'

यूएन की टिप्पणी

यूएन महासचिव के प्रवक्ता ने भी भारत और चीन सीमा विवाद पर टिप्पणी की। कहा- हमने एलएसी पर हो रही घटनाओं के बारे में जानकारी हासिल की है। दोनों देशों से अपील है कि वो संयम बनाए रखे और यह अच्छी बात है कि दोनों देश तनाव कम करने की बात कर रहे हैं।

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