पहले स्टार्टअप इंडिया का खूब किया था प्रचार मोदी सरकार ने, अब घटा दिया बजट
By: Priyanka Maheshwari Sun, 03 Feb 2019 1:30:17
मेक इन इंडिया (Make In India) के साथ स्टार्टअप इंडिया (Start Up India) का जोरशोर से नारा बुलंद करने वाली मोदी सरकार ने अबकी बार अंतरिम बजट में इस महत्वाकांक्षी योजना का बजट घटा दिया है। डिजिटल माध्यमों पर प्रचार के साथ पीएम नरेंद्र मोदी रैलियों में भी इसका बखान करते रहते थे लेकिन वित्त वर्ष 2019-20 के अंतरिम बजट में स्टार्टअप इंडिया के लिए आवंटन घटा दिया है। बजट दस्तावेजों के मुताबिक स्टार्टअप इंडिया के लिए 2019-20 के बजट में 25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो 2018-19 के संशोधित अनुमान में 28 करोड़ रुपये था। स्टार्टअप इंडिया योजना का लक्ष्य नये उद्यमियों की प्रगति में सहायक माहौल तैयार करने के लिए उद्यमिता और नवोन्मेष को बढ़ावा देना है वही ‘मेक इन इंडिया' के लिए आवंटन में वृद्धि की गयी है। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए मेक इन इंडिया के आवंटन को बढ़ाकर कुल 473.3 करोड़ रुपये का कर दिया गया है। वहीं 2018-19 की संशोधित अनुमान में यह आवंटन 149 करोड़ रुपये था। मेक इन इंडिया योजना की शुरुआत 25 सितंबर, 2014 को हुई थी।
साफ्टवेयर दिग्गज आईबीएम ने 2017 में एक रिपोर्ट जारी कर खुलासा किया था कि भारत में 90 फीसदी से ज्यादा स्टार्टअप वित्त की कमी और नवाचार के कारण पहले 5 साल में ही दम तोड़ देते हैं। इसमें बताया गया कि देश के स्टार्टअप को शुरुआत और बंद करने के दौरान दोनों ही चरणों में वित्त की कमी से जूझना पड़ता है, जबकि दुनिया की सफल स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में ऐसा नहीं होता और उन्हें निवेशक समुदाय से हर कदम पर समर्थन मिलता है।
आईबीएम भारत/दक्षिण एशिया के मुख्य डिजिटल अधिकारी निपुन मेहरोत्रा ने एक बयान में कहा, "हमारा मानना है कि स्टार्टअप को स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता, शिक्षा, परिवहन, वैकल्पिक ऊर्जा प्रबंधन और अन्य सामाजिक समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है, जो कि उन मुद्दों से निपटने में मदद करेगी जिसका भारत समेत पुरी दुनिया सामना कर रही है।"
भारत के 76 फीसदी से भी अधिक अधिकारियों ने देश की अर्थव्यवस्था में खुलेपन को आर्थिक लाभ के रूप में देखा, जबकि 60 फीसदी ने कुशल श्रमिकों की पहचान की और 57 फीसदी अधिकारियों का कहना था कि बड़ा घरेलू बाजार होने के महत्वपूर्ण फायदे हैं। सर्वेक्षण में शामिल 73 फीसदी उद्योग नेतृत्व का मानना है कि पारिस्थितिकी तंत्र स्टार्टअप में तेजी ला सकती है।