CBI में घूसकांडः आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजा, दफ्तर हुआ सील, नागेश्‍वर राव संभालेंगे चार्ज

By: Pinki Wed, 24 Oct 2018 09:25:58

CBI में घूसकांडः आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजा, दफ्तर हुआ सील, नागेश्‍वर राव संभालेंगे चार्ज

रिश्वत लेने के आरोपों के बाद जांच एजेंसी सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्‍थाना को छुट्टी पर भेज दिया गया है। दोनों अफसरों को फोर्स लीव पर भेजे जाने के बाद उनके सीबीआई मुख्यालय स्थित दफ्तरों को सील कर दिया गया है। सीबीआई के एडिश्‍ानल डायरेक्‍टर नागेश्‍वर राव अंतरिम तौर पर एजेंसी की कमान संभालेंगे। 'डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग' के एक आदेश्‍ा के अनुसार सीबीआई डायरेक्‍टर पद की सभी ड्यूटी और कार्यभार तत्‍काल प्रभाव से अब राव संभालेंगे।

गौरतलब है कि अस्थाना ने घूस के आरोप में अपने खिलाफ दायर एफआईआर को चुनौती दी थी। इसके बाद मंगलवार को दिल्‍ली हाईकोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिए थे कि अस्‍थाना के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की यथास्थिति को बरकरार रखा जाए। आदेश से साफ ज़ाहिर होता है कि सरकार ने वरिष्ठता में तीसरे स्थान पर आने वाले सभी अतिरिक्त निदेशकों को किनारे कर दिया है। बता दें कि इनमें ए के शर्मा का नाम भी शामिल है जिनका नाम अस्थाना द्वारा की गई शिकायत में सामने आया था।

बता दें कि सीबीआई, कार्मिक मंत्रालय के अधीन आता है।इस मंत्रालय के प्रभारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं। बताया जा रहा है कि हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग कारोबारी मोइन कुरैशी को क्लीन चिट देने में कथित घूस लेने के आरोपों पर सीबीआई ने अपने ही स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना पर केस दर्ज किया। जिसके बाद राकेश अस्थाना ने सीबीआई चीफ आलोक वर्मा पर भी दो करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप लगा दिया। दोनों शीर्ष अफसरो के बीच जारी आरोप-प्रत्यारोप से सीबीआई की विश्वसनीयता पर उठते सवालों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर यह कार्रवाई हुई है। बता दें कि मोइन कुरैशी केस में कथित रूप से दो करोड़ रुपये घूस लेने के मामले में सीबीआई ने स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ केस दर्ज किया। मंगलवार को अदालत में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि राकेश अस्थाना और देवेंद्र सिंह के खिलाफ जबरन वसूली और जालसाजी के आरोप जोड़े गए हैं। कुमार को कथित तौर पर घूस लेने, रिकॉर्ड में हेरफेर के मामले में सोमवार को गिरफ्तार किया गया था। अस्थाना और उनके बॉस सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से जुड़े इस हाईवोल्टेज ड्रामा ने कांग्रेस और विपक्षी दलों को सरकार पर निशाना साधने का मौका दे दिया।

विपक्षी दलों ने केंद्र पर ‘‘देश की संस्थाओं को बर्बाद'' करने का आरोप लगाया। अपने ऊपर दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए अस्थाना ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। इस पर न्यायाधीश ने सीबीआई से कहा कि वह मामले में विशेष निदेशक के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही पर 29 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखे।

अदालत ने हालांकि स्पष्ट किया कि मामले की प्रकृति और गंभीरता को देखते हुए इस मामले में जारी जांच पर किसी तरह का स्थगन नहीं है। तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच देवेंद्र सिंह ने अपने खिलाफ दायर प्राथमिकी को रद्द करने और मामले से जुड़े दस्तावेजों को सौंपे जाने के लिये दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। इसके बाद गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी अस्थाना ने भी हाईकोर्ट में ऐसी ही एक याचिका दायर की। अस्थाना का आरोप है कि विवादास्पद मांस कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े एक मामले में सीबीआई निदेशक द्वारा कथित तौर पर उनके नेतृत्व में हो रही जांच में हस्तक्षेप किया जा रहा है। अस्थाना इस बारे में भ्रष्टाचार निरोधक निगरानीकर्ता, केंद्रीय सतर्कता आयोग को लगातार लिखते रहे हैं। न्यायमूर्ति नाजिम वजीरी ने अस्थाना और घूस मामले में गिरफ्तार उपाधीक्षक देवेंद्र कुमार द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं पर जांच एजेंसी, उसके निदेशक आलोक कुमार वर्मा और संयुक्त निदेशक ए के शर्मा से जवाब मांगा है।

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