जानिए भारत देश की अर्थव्यवस्था पर क्या रहा नोटबंदी का प्रभाव

By: Kratika Thu, 25 Jan 2018 1:28:09

जानिए भारत देश की अर्थव्यवस्था पर क्या रहा नोटबंदी का प्रभाव

हम सब जानते है की 8 नवम्बर की शाम 8 बजे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था| इसके तहत 500 और 1000 रूपए के नोटो को गैरकानूनी घोषित किया था| अब इनकी कीमत एक पेपर मात्रा रह गयी थी| सरकार ने जनता को 50 दिन की महोलट दी थी जिसमे हमें 500 और 1000 के नोट बैंक में जमा करवाने थे, और उसके बदले बैंक से नोट बदलवाने थे| इस अचानक की गयी घोषणा से पूरा भारत प्रभावित हुआ था| आइये जानते है इससे होने वाले फायदे-

* भारत देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:

देश की आर्थिक विकास की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है। 500-1000 के नोटों पर पाबंदी के बाद करेंसी अर्थव्यस्था की कमियों (काला धन, नकली नोट और छद्म बैंकिंग आदि) को भरेंगे, जिससे देश की अर्थव्यस्था में नई जान आएगी। उसे और मजबूत मिलेगी। 2015 में वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के मुताबिक दक्षिण एशिया में भारत की विकास दर सबसे ज्यादा रही। 2015 में भारत 7.57 फीसदी, बांग्लादेश 6.55 फीसदी, पाकिस्तान 5.54 फीसदी, श्रीलंका 4.79 फीसदी, नेपाल 3.36 फीसदी, भूटान 3.25 फीसदी, अफगानिस्तान 1.52 फीसदी और मालदीव का 1.51 फीसदी सकल घरेलू उत्पाद रहा था।

* राजनीति और चुनाव प्रक्रिया बनेगी पारदर्शी:

ये अघोषित सच्चाई है कि चुनाव में बड़े पैमाने पर ब्‍लैक मनी खर्च की जाती है। चाहे टिकट खरीदने की बात हो, मतदाताओं की बांटने की बात हो या फिर प्रचार व अन्‍य लेनदेन। ये फैसला तब आया है जब एक साल के भीतर ही यूपी, पंजाब, गुजरात, गोवा, उत्तराखंड जैसे राज्‍यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे नेता जिन्होंने इन चुनावों के लिए ब्लैकमनी जमा किया होगा वो उसका इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। ऐसे में चुनाव अपेक्षाकृत ज्यादा स्वच्छ होंगे।

* सस्ते होंगे रियल एस्टेट उद्योग:

500-1000 पर पाबंदी से रियल एस्‍टेट पर सबसे बुरा प्रभाव पड़ने की आशंका है। पिछले दो-ढाई साल में ब्लैक मनी पर जो चोट हुई है उससे ये सेक्टर पहले से ही सदमे में है। रियल एस्टेट में पिछले दो-ढाई साल से रेट तकरीबन ज्यों के त्यों है। माना जाता है कि सबसे ज्यादा ब्लैक मनी इसी सेक्टर पर खपाई जाती है। नोटबंदी के बाद माना जा रहा है कि बैंक की दरें घटेंगी जबकि फ्लैट की कीमतें नीचे आएंगी यानी अपने घर का सपना देखने वाले लोगों के वाकई अच्छे दिन आ सकते हैं।

* कृत्रिम अमीरी पर नकेल कसेगी:

2014 में सरकार बनते ही पीएम मोदी ने संकेत दे दिया था कि काला धन रखने वालों के अच्छे दिन अब खत्म होने वाले हैं। ब्लैक मनी पर लगाम लगने के लिए स्विट्जरलैंड, मॉरीशस जैसे देशों से अहम समझौते किए गए। 500-1000 के नोटों पर पाबंदी लगने से देश में कैश के रूप में जमा काला धन कागज के टुकड़ों के समान हो गया है। यही वजह है कि कहीं नदी में पैसे मिल रहे हैं तो कहीं जलाए जा रहे हैं।

* नकली नोट बंद होंगे:


नोट बदलने का सबसे बड़ा मकसद नकली नोटों की समस्या पर लगाम लगाना बताया जा रहा है और विरोधी पार्टियों के नेता भी कम से कम इतना मान रहे हैं कि नकली नोट की समस्या से इस कदम से निपटा जा सकता है क्योंकि नए नोटों की सीरीज में सिक्योरिटी फीचर ज्यादा हैं जिनकी कॉपी करना पाक या किसी भी दूसरे देश के लिए बेहद मुश्किल होगा।

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*इस्लामिक आतंकवाद से मिलेगा छुटकारा:

500-100 के नोटों पर पाबंदी से आतंकवाद के वित्तीय स्त्रोत पर भी चोट लगेगी। नकली नोट रद्दी हो गए, अवैध रूप से जमा कैश बेकार हो गया। आतंकी संगठनों में अवैध रूप से प्रयुक्त हो रही भारतीय मुद्रा पर लगाम लगेगी। पाक से नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते भारत आ रहे नकली नोटों का प्रयोग ही देश विरोधी गतिविधियों में किया जाता है। इसलिए नए नोट आतंकवाद पर भी लगाम लगाएंगे।

* हवाला कारोबार:

जब से नए नोट बंद हुए हैं, हवाला कारोबार ठप पड़ गया है क्योंकि ये पूरा कारोबार कैश में ही होता है। देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से ये कैश हवाला के जरिए ही पहुंचाया जाता है। इसमें टैक्स की भी चोरी होती है और पहले से ज्यादा ब्लैक मनी जेनरेट होती है। नोटबंदी से इस अवैध कारोबार पर भी लगाम लगेगी।

* शैडो बैंकिंग:

500-1000 के पुराने नोटों पर पाबंदी लगने से शैडो बैंकिंग बंद होगी। इससे सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि अर्थव्यवस्था में वित्तीय स्थिरता को खतरा कम होगा। शैडो बैंकिंग का मतलब है बैंक जैसी गतिविधियां करना। इन पर बैंकिंग जैसी कोई कानूनी बाध्यता नहीं होती और ना ही कोई मजबूत कानून का शिकंजा ही होता है। बैंकिंग सिस्टम के बाहर जो लोग या संस्थान वित्तीय लेन-देन करते हैं उन्हें शैडो बैंकिंग की श्रेणी में रखा जाता है।

*आम जनता की EMI कम :

बैंकों के पास जिस तरह से पैसा जमा हो रहा है उससे उनके पैस कैश बढ़ेगा। इससे वे जरूरतमंद लोगों को आसानी से लोन दे सकेंगे। खुद बैंकों की ओर से कहा जा रहा है कि इससे ब्याज दरें सस्ती हो सकती हैं। यानी सस्ते लोन से घर, गाड़ी या अन्य चीजें खरीदना सस्ता पड़ेगा और ईएमआई का बोझ कम होगा।

*बैंक शक्तिशाली बनेंगे तो इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा:

भारतीय बैंकों के नॉन परफोर्मिंग एसेट्स यानि NPA विश्व के अच्छे देशों की अपेक्षा बहुत उच्च स्तर पर हैं | इसका मतलब है की जो पैसा बैंकों से जनता में आता है उसका चक्रण होकर पुनः वह बैंकों तक नहीं पहुँचता | नोट बंदी से पुराने छुपा कर रखे गए नोट रद्दी होंगे और उसी मूल्य के नए नोटों को छाप कर रिज़र्व बैंक पुनः बैंकों को मालामाल करेगा जिससे की NPA सूचकांक नीचे आएगा |

*डिजिटल इंडिया

बाहरी देश भी मोदीजी की इस फैसलेकि सरहाना कर रहीं हैं| उन्हें लगता हैं की सरकार कुछ तो कदम उठा रही है भ्रष्टाचार को ख़तम करने के लिए| मेकइंडिया, डिजिटल इंडिया और ऐसे बहोत अभियानोंके प्रभाव से फॉरेन इन्वेस्टमेंट बढ़ सकता हैं| और इससे भारत के विकास में मदद जरूर होगी.

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