अयोध्या मंदिर-मस्जिद विवाद: मध्यस्थता टीम के सदस्य श्री श्री रविशंकर ने ओवैसी के सवाल पर दिया यह जवाब
By: Pinki Sun, 10 Mar 2019 09:18:34
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मध्यस्थता के जरिए राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले को सुलझाने का फैसला लिया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने दोनों पक्षों से बातचीत के जरिए केस का समाधान करने के लिए कुल तीन मध्यस्थका पैनल नियुक्त किए हैं। जिनमें एक मध्यस्थ सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस कलीफुल्ला (Kalifulla) हैं तो दूसरे वकील श्रीराम पांचू (Sriram Panchu) और मीडिएटर हैं, जबकि तीसरे मध्यस्थ आध्यात्मिक गुरु श्री-श्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar) हैं। इस पैनल की अध्यक्षता जस्टिस कलीफुल्ला करेंगे। कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय पैनल में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर को शामिल किए जाने पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने आपत्ति जताई थी जिसके बाद आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर (Sri Sri Ravi Shankar) ने ओवैसी की ओर से संदेह वाली टिप्पणी को खारिज करते हुए कहा कि लोग जैसा बोलना चाहें, बोलते रहेंगे।
बता दे, ओवैसी ने हैदराबाद में संवाददाताओं से कहा था, ‘रविशंकर ने अयोध्या मुद्दे पर चार नवम्बर 2018 को विवादास्पद बयान दिया था और धमकी दी थी कि विवादित जमीन पर अगर मुस्लिमों ने अपना दावा नहीं छोड़ा तो भारत, सीरिया की तरह हो जाएगा।' अपना विरोध जताते हुए ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने आगे कहा था कि बेहतर होता कि SC ने किसी न्यूट्रल व्यक्ति को मध्यस्थ बनाया होता। उन्होंने कहा, 'श्रीश्री का 4 नवंबर 2018 का ऑन रिकॉर्ड स्टेटमेट हैं, जिसमें वह सीरिया बनने की मुसलमानों को धमकी दे रहे हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट ने श्रीश्री रविशंकर को मध्यस्थ बनाया है तो उन्हें न्यूट्रल रहना होगा। AIMIM चीफ ने कहा कि मेरी पार्टी का स्टैंड यह है कि एक मध्यस्थ का विवादित बयान है तो उसे मध्यस्थ नहीं बनाया जाना चाहिए था लेकिन अब हम उम्मीद करते हैं कि श्री श्री अपने पुराने बयान को अपने दिमाग से निकाल देंगे। उन्होंने कहा, 'उम्मीद है कि श्री श्री अपनी जिम्मेदारियों को समझेंगे।' इसके साथ ही मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के किसी सदस्य को मध्यस्थ नहीं बनाए जाने के सवाल पर ओवैसी ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट का अधिकार है कि वह किसे मध्यस्थ नियुक्त करता है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर श्रीश्री रविशंकर ने ट्वीट किया है कि सबका सम्मान करना, सपनों को साकार करना, सदियों के संघर्ष का सुखांत करना और समाज में समरसता बनाए रखना - इस लक्ष्य की ओर सबको चलना है। इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद भी रविशंकर ने कहा था कि हमें अपने अहंकार और मतभेदों को अलग रखकर इस विषय से संबंधित सभी दलों की भावनाओं का सम्मान करते हुए सबको साथ लेकर आगे बढ़ना चाहिए। उस समय आध्यात्मिक गुरु ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्यस्थता को प्राथमिकता देना देश के और इस विषय से संबंधित सभी दलों के हित में है। इस विवाद को मैत्रीपूर्ण रूप से सुलझाने का हमें पूरा प्रयास करना चाहिए।