जाने क्या है एनआरसी लिस्ट, 19 लाख से ज्यादा लोग आउट
By: Pinki Sat, 31 Aug 2019 11:45:55
भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में आज एनआरसी (NRC) की फाइनल लिस्ट जारी कर दी गई है। एनआरसी के स्टेट कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने बताया कि 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार लोगों का एनआरसी की फाइनल लिस्ट में जगह मिली और 19,06,657 लोगों को बाहर कर दिया गया। राज्य के एनआरसी अध्यक्ष प्रतीक हजेला के मुताबिक़ जिन लोगों का नाम लिस्ट में शामिल नहीं है वो ज़रूरी काग़जात जमा कर पाने में असफल रहे। केंद्र सरकार और असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने असम के लोगों को भरोसा दिलाया है कि लिस्ट में नाम न होने पर किसी भी व्यक्ति को हिरासत में नहीं लिया जाएगा और उसे अपनी नागरिकता साबित करने का हरसंभव मौका दिया जाएगा। इन सबके बीच हम आपको बताते है कि आखिर में एनआरसी लिस्ट है क्या?
Barpeta: People queue up outside a NRC Seva Kendra to check their name in the National Register of Citizens (NRC) final list. A total of 3,11,21,004 persons have been found eligible for inclusion in final list leaving out 19,06,657 people. #Assam pic.twitter.com/QtkrWWI9QB
— ANI (@ANI) August 31, 2019
जाने एनआरसी लिस्ट है क्या?
आसान भाषा में हम एनआरसी को असम में रह रहे भारतीय नागरिकों की एक लिस्ट के तौर पर समझ सकते हैं। ये प्रक्रिया दरअसल राज्य में अवैध तरीक़े से घुस आए तथाकथित बंगलादेशियों के ख़िलाफ़ असम में हुए छह साल लंबे जनांदोलन का नतीजा है। इस जन आंदोलन के बाद असम समझौते पर दस्तख़त हुए थे और साल 1986 में सिटिज़नशिप ऐक्ट में संशोधन कर उसमें असम के लिए विशेष प्रावधान बनया गया।
असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिजेंस (एनआरसी) को सबसे पहले 1951 में बनाया गया था ताकि ये तय किया जा सके कि कौन इस राज्य में पैदा हुआ है और भारतीय है और कौन पड़ोसी मुस्लिम बहुल बांग्लादेश से आया हुआ हो सकता है।
इस रजिस्टर को पहली बार अपडेट किया जा रहा है। इसमें उन लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर स्वीकार किया जाना है जो ये साबित कर पाएं कि वे 24 मार्च 1971 से पहले से राज्य में रह रहे हैं। ये वो तारीख है जिस दिन बांग्लादेश ने पाकिस्तान से अलग होकर अपनी आज़ादी की घोषणा की थी।
भारत सरकार का कहना है कि राज्य में ग़ैर क़ानूनी रूप से रह रहे लोगों को चिह्नित करने के लिए ये रजिस्टर ज़रूरी है। 30 जुलाई 2018 में सरकार ने एक फ़ाइनल ड्राफ़्ट प्रकाशित किया था जिसमें तकरीबन 41 लाख लोगों का नाम नहीं थे, जो असम में रह रहे हैं। इसमें बंगाली लोग हैं, जिनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों शामिल हैं। फिर इसी साल की 26 जून को प्रकाशित हुई एक नई अतिरिक्त लिस्ट में तक़रीबन एक लाख नए नामों को सूची से बाहर किया गया। इसके बाद सरकार ने लोगों को एक मौका और दिया। इसके लिए उन्हें अपनी 'लेगेसी' और 'लिंकेज' को साबित करने वाले काग़ज़ एनआरसी के दफ्तर में जमा करने थे।
इन काग़ज़ों में 1951 की एनआरसी में आया उनका नाम, 1971 तक की वोटिंग लिस्ट में आए नाम, ज़मीन के काग़ज़, स्कूल और यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के सबूत, जन्म प्रमाण पत्र और माता-पिता के वोटर कार्ड, राशन कार्ड, एलआईसी पॉलिसी, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, रेफ़्यूजी रजिस्ट्रेशन सर्टिफ़िकेट जैसी चीज़ें शामिल हैं।
इस तरह एनआरसी की आख़िरी लिस्ट जारी करने की तारीख़ 31 अगस्त, 2019 तय की गई।