इन दवाओं का सेवन बना सकता हैं आपको डिमेंशिया का शिकार, जानें और बरते सावधानी
By: Ankur Thu, 06 Sept 2018 1:24:42
आज के समय में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो दवाओं का सेवन नहीं करता होगा। व्यक्ति की सोच यह हो चुकी है कि सामान्य सरदर्द में भी वह दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, जबकि वे यह नहीं जानते हैं कि ये दवाइयां उनको और बीमार बना रही हैं। जी हाँ आज हम आपके लिए ऐसी ही दवाइयों की जानकारी लेकर आए हैं जिनके सेवन से आप डिमेंशिया का शिकार हो सकते हैं। डिमेंशिया रोग में मनुष्य की मानसिक समझ धीरे-धीरे समाप्त होने लगती हैं। इसलिए दवाइयों के प्रयोग में भी सावधानी बरतने की जरूरत होती हैं। तो आइये जानते हैं कौनसी दवाइयों के कारण आप डिमेंशिया जैसी मानसिक बीमारी' का शिकार हो सकते हैं।
* यूरिन, अस्थमा और डिप्रेशन की दवाओं में एंटीकॉलिनर्जिक
एंटीकॉलिनर्जिक एक ऐसा अवयव है जो यूरीन, अस्थमा और डिप्रेशन से जुड़ी कई आम दवाओं में पाया जाता है। यह आपके नर्वस सिस्टम में बहने वाले एक द्रव एसेटाइलकोलीन के प्रवाह को अवरूद्ध करता है और इससे आपके सोचने की शक्ति पर व्यापक असर पड़ता है। शोध में पाया गया कि ऐसी दवाओं का ज्यादा सेवन करने वाले लोगों का मस्तिष्क सिकुड़कर छोटा होता जाता है और जब ऐसे लोगों से सोचने संबंधी काम करने को कहा जाता है तो उनकी क्षमता उनसे कम होती है जो इस दवा का प्रयोग नहीं करते हैं। इसलिए बेहतर है कि डॉक्टर की सलाह से ऐसी दवाओं का सीमित इस्तेमाल किया जाए।
* ब्लड प्रेशर की दवाएं
कई ब्लड प्रेशर की दवाओं में भी एंटीकॉलिनर्जिक का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा अनियमित धड़कन, माइग्रेन और ग्लूकोमा, लंबी फेफड़ों संबंधी बीमारी, कोलेस्ट्रॉल स्तर कम रखने वाली और कुछ पेट संबंधी बीमारियों की दवाओं में भी इसका इस्तेमाल होता है। इन दवाओं का अत्यधिक सेवन करने वाले लोगों मे डिमेंशिया के लक्षण देखे गए और जब उन्होंने इन दवाओं का सेवन बंद किया तो उनकी हालत में सुधार हुआ। इन सब समस्याओं से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि दवाओं का सेवन संयमित मात्रा में और हमेशा डॉक्टर की सलाह से करें। नियमित और संतुलित जीवन शैली अपनाएं और मानसिक व्यायाम करें जिसके लिए योग का सहारा लिया जा सकता है।
* एलर्जी की दवा में एंटीहिस्टामाइन तत्व
बहुत से लोगों को विभिन्न तरह की एलर्जी होती हैं और उसके लिए वह डॉक्टर की सलाह पर कई तरह की दवाओं का सेवन करते है लेकिन आपको अपने डॅक्टर से इस बारे में बात करनी चाहिए कि उस दवा में एंटीहिस्टामाइन तत्व की मात्रा अनियंत्रित तो नहीं है जो कि आमतौर पर इस तरह की दवाओं में सामान्य तौर पर पाई जाती है। इस तरह की दवाओं का तीन वर्ष से लगातार सेवन कर रहे लोगों में डिमेंशिया होने की संभावना सामान्य लोगों की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक होती है।
* नींद की गोलियों से खतरा
नींद लाने की कई गोलियों के लगातार सेवन से डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसे रोग हो सकते हैं। अगर आप डॉक्टर की सलाह पर कभी-कभी नींद की दवा लेते हैं तो ठीक, मगर यदि आपको अक्सर नींद की गोली लेने की आदत है, तो सावधान हो जाएं। एक शोध में यह पाया गया कि 65 की उम्र पार कर चुके 10 प्रतिशत लोग ऐसे जिन्हें लगता है कि वे डिमेंशिया के शिकार हैं वास्तव में वह नींद की गोलियों के साइड इफैक्ट से जूझ रहे होते हैं। इसलिए बेहतर यह होगा कि आप अभी से अपनी दिनचर्या सुधारें और नींद के लिए योग पर निर्भर रहें। योग इस काम में बेहतर विकल्प हो सकता है।