कई बीमारियों की संजीवनी बूटी है 'मूर्धासन', सिर्फ 10 मिनट में दिखने लगेगा फायदा
By: Ankur Thu, 06 Sept 2018 12:12:31
आज के समय में हर इंसान एक स्वस्थ शरीर की कामना रखता हैं और इसके लिए वह कई तरह के व्यायाम और योगासन का सहारा लेता हैं। इसी में आज हम आपके लिए एक योगासन लेकर आए हैं जिसका नाम है मूर्धासन। यह सिर, गर्दन और कंधे के बल किए जाने वाले आसनों में प्रमुख है। यह कई तरह से हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता हैं। तो आइये जानते हैं किस तरह किया जाता हैं मूर्धासन और किस तरह यह हमारी सेहत के लिए फायदेमंद होता हैं।
* मूर्धासन करने की विधि :
- खड़े होकर दोनों पैरों के बीच लगभग 3 फीट की दूरी बना लें। सांस छोड़ते हुए हाथों को ऊपर उठाएं और सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुककर हथेलियों को जमीन पर टिका दें।
- शरीर का संतुलन बनाए रखते हुए सिर के सामने वाले हिस्से को जमीन पर दोनों हाथों के बीच टिका दें। अब दोनों हाथों को पीछे की ओर ले जाएं और कमर के ऊपर रखते हुए एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई को पकड़ लें। इस अवस्था में एड़ियों को उठाएं ताकि शरीर का भार सिर और पंजों पर आ जाए। जब तक सहज हो,सहज सांस लेते हुए इस अवस्था में बने रहें। फिर वापसी के लिए, सांस भरते हुए पहले हाथों को खोलकर जमीन पर टिकाएं। धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लौट आएं।
- यह इस आसन का एक राउंड हुआ। जब इसका अच्छा अभ्यास हो जाए, तो अंतिम पोज की अवधि धीरे-धीरे बढ़ाते जाएं। प्रत्येक राउंड में लगभग 30 सेकेंड से एक मिनट तक लगता है। प्रत्येक राउंड के बाद कुछ पल शवासन में लेटें। पूरी प्रक्रिया के दौरान ध्यान सांस पर केंद्रित रहे।
* मूर्धासन के स्वास्थ्य लाभ :
- पेट में गैस की समस्या से छुटकारा मिलता है।
- लंबे समय तक अभ्यास करने से तनाव, डिप्रेशन और चिंता सहित मस्तिष्क संबंधी अन्य रोग भी दूर होते हैं।
- लो ब्लड प्रेशर की समस्या से राहत मिलती है।
- गर्दन की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
- सिर की ओर रक्तसंचार बढ़ने से चेहरे की झाइयां मिटती हैं। झुर्रियां कम होती हैं और चेहरे की कांति बढ़ती है।
- अधिक समय तक युवा दिखने में मददगार है।
- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
- हार्मोनों का असंतुलन दूर होता है।
- बाजू और कमर का निचला हिस्सा लचीला बनता है और पीठ संबंधी समस्याएं नहीं होतीं।
- शरीर बेडौल नहीं होता और शरीर के सभी अंगों के बीच एक प्रकार का संतुलन दिखता है।
- किडनी,पैन्क्रियास और लिवर से होने वाला स्राव नियंत्रित होता है।
- हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति इसे न करें।
- चक्कर आने की स्थिति में इस आसन से बचें।