सोन चिडिय़ा — दिलचस्प कहानी के साथ, उम्दा अभिनय, देखने लायक है
By: Geeta Sat, 02 Mar 2019 5:06:03
इस शुक्रवार को बॉक्स ऑफिस पर दो अलग-अलग जोनर की फिल्मों का प्रदर्शन हुआ है। ‘लुका छुपी’ जहाँ कॉमेडी जोनर की है वहीं ‘सोन चिडिय़ा (Son Chiriya)’ रियलिस्टिक है। लुका छुपी के बाद सोन चिडिय़ा (Son Chiriya) देखने का मौका मिला। अभिषेक चौबे सोन चिडिय़ा (Son Chiriya) के साथ डकैतों की दुनिया को वापस लेकर आए हैं। पूरी फिल्म तीन मुख्य डकैतों, मानसिंह, वकील और लखना पर केन्द्रित है। चौबे ने डकैतों की असलियत को छूने का प्रयास किया है। इस फिल्म का सशक्त पहलू इसका कथानक है। फिल्म की कहानी को अभिषेक चौबे और सुदीप शर्मा ने मिलकर लिखा है, जो काफी संवेदनशील है। कहानी में कई परतें हैं जो दर्शकों को आकर्षित करती हैं और उन्हें अपने आप से जोड़े रखती हैं। बड़े पैमाने पर बनाई गई यह फिल्म जबरदस्त प्रभावशाली है। हालांकि मध्यान्तर के बाद फिल्म कुछ लडख़ड़ा जाती है। इस हिस्से को देखते हुए महसूस होता है कि कहानीकार ने अपनी सहूलियत के अनुसार फिल्म को खींचा है।
बतौर निर्देशक अभिषेक चौबे ने चंबल घाटी में सुन्दर और वास्तविक दुनिया बसाई है। फिल्म के किरदार 70 के दशक की डकैत फिल्मों की तरह कार्डबोर्ड कैरेक्टर नहीं हैं बल्कि यहाँ वे पूरी तरह से वास्तविक नजर आते हैं। इन डकैतों का जीवन भले ही लोगों को लूटने से चल रहा है लेकिन उनके सिद्धान्त काफी मजबूत हैं और उनका स्वयं का अपराधबोध भी बहुत गहरा है।
अदाकारी में हर सितारे ने उम्दा प्रदर्शन किया है लेकिन बाजी सुशांत सिंह राजपूत के हाथ में रही है। सुशांत सिंह राजपूत इस फिल्म में पहली बार डकैत बनकर आए हैं। उन्होंने जिस तरह से इस पात्र को परदे पर उतारा है वह उनकी अभिनय क्षमता को दर्शाता है। इस फिल्म के बाद निश्चित तौर पर लेखक उनके लिए ऐसे बेहतरीन ढंग के किरदार लिखेंगे। मानसिंह के रूप में मनोज वाजपेयी की भूमिका छोटी लेकिन असरकारक है। वकील के किरदार में रणवीर शौरी ने अपनी छाप छोड़ी है। भूमि पेडनेकर ने भी अपना एक अलग प्रभाव छोडऩे में सफलता पाई है। फिल्म के संवाद दमदार हैं और छायांकन उत्कृष्ट है। चंबल के रेतीले टीबों को सुन्दर तरीके से कैमरे में कैद किया गया है। संगीत विशाल भारद्वाज है जो ठेठ देहाती दुनिया का हिस्सा लगता है। हालांकि फिल्म में एक भी गीत ऐसा नहीं है जो फिल्म देखने के बाद याद रहता हो। बॉक्स ऑफिस पर ‘उरी’ और ‘केदारनाथ’ देने वाले रॉनी स्क्रूवाला का यह निर्माण अपने आप में एक अद्भुत प्रयास है। एक बार जरूर इसे देखा जा सकता है।