अपनी गलतियों के चलते अपने आप को खत्म कर रहे हैं सिनेमाघर: शेखर कपूर
By: Geeta Fri, 22 Mar 2019 4:16:51
हिन्दी सिनेमा को बेहतरीन फिल्में ‘मासूम’, ‘बैंडिड क्वीन’, देने वाली हॉलीवुड फिल्मकार शेखर कपूर का कहना है कि मल्टीप्लेक्सों की बढ़ती कीमतों के कारण फिल्मकार अब डिजिटल प्लेटफॉर्म की तरफ मुड़ रहे हैं और इन बढ़ी कीमतों के साथ सिनेमाघर खुद ही अपने आप की हत्या कर रहे हैं। शेखर कपूर ने यह बात उस समय कही है जब फिल्मकार हंसल मेहता ने ट्वीट किया था कि वह वासन बाला की फिल्म ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ को थिएटर में देखना चाहते थे लेकिन मल्टीप्लेक्स में इसका कोई शो उपलब्ध नहीं था।
मेहता ने ट्वीट किया था, वासन बाला के ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ के पागलपन को देखने का मौका खो दिया। सोचा था कि टिकट खरीद कर सिनेमाहाल में उनकी पहली फिल्म का मजा लूंगा। लगता है कि मल्टीप्लेक्स के बाहुबलियों की अभी चल गई है, फिल्म बुक माई शो पर नहीं है।
इसका जवाब देते हुए कपूर ने गुरुवार को लिखा, ‘मकाओ फिल्मोत्सव में ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ देखा था। दर्शकों की जबरदस्त सराहना मिली थी। मल्टीप्लेक्सों की कीमतें लोगों को आनलाइन प्लेटफॉर्म की तरफ ले जा रही हैं। भारत में सभी नए/बेहतरीन निर्देशक इसे एक बेहतर विकल्प पा रहे हैं। थिएटर खुद से ही खुद को मार रहे हैं।’