ए.आर. रहमान: एक नजर में...
By: Geeta Sun, 06 Jan 2019 1:54:13
रहमान का जन्म भारत के तमिलनाडु राज्य के चेन्नई शहर में एक मध्यम वर्गीय तमिल मुदलियार परिवार में हुआ। उनके पिता आर.के. शेखर, तमिल और मलयालम फिल्मों के परिचालक और निर्माता थे। रहमान बचपन में हमेशा अपने पिता की सहायता करते थे।
- जब रहमान केवल 9 साल के ही थे, तभी उनके पिता की मृत्यु हो गयी थी, वे अपने पिता के वाद्ययंत्रों को किराये से देकर अपना घर चलाने लगे थे, जो बाद में उनकी माता करीमा ने अपने हाथ में ले लिया था।
- रहमान एक बेहतर कीबोर्ड प्लेयर थे। साथ ही वे कई मौकों पर बैंड का बंदोबस्त भी करा देते थे, जैसा की उन्होंने अपने बचपन के मित्र सिवामणि, जॉन अन्थोनी, सुरेश पेटर्स, जोजो और राजा के साथ मिलकर किया था और बाद में उन्होंने चेन्नई पर आधारित रॉक ग्रुप नेमसिस एवेन्यु की भी स्थापना की थी।
- रहमान कीबोर्ड, पियानो, सिंथेसाइजर, हारमोनियम और गिटार के महान ज्ञाता कहलाते हैं। विशेष तौर पर तो उन्होंने सिंथेसाइजर में महारत हासिल कर रखी थी। सिंथेसाइजर के बारे में उनका कहना है कि इसमें संगीत और तंत्रज्ञान का अद्भुत संगम होता है।
- ए.आर. रहमान ने अपने संगीत की शिक्षा का प्रशिक्षण मास्टर धनराज से लेना शुरू किया और 11 साल की अल्पायु में ही वे अपने पिता के करीबी दोस्त एम.के. अर्जुन के साथ मलयालम ऑर्केस्ट्रा बजाने लगे थे। बाद में उन्होंने कुछ दुसरे संगीतकारों के साथ काम करना शुरू किया, जैसे की एम.एस. विश्वनाथन, इल्लैयाराजा, रमेश नायडू और राज-कोटि, इसके बाद उन्होंने जाकिर हुसैन, कुन्नाकुदी वैद्यनाथन और एल.शंकर के साथ विश्व स्तर पर अपनी कला का प्रदर्शन भी किया।
- उनके हुनर को देखते हुए उन्हें ट्रिनिटी कॉलेज, लन्दन के संगीत विभाग से शिष्यवृत्ति भी मिलती थी। चेन्नई में पढते हुए, रहमान अपनी स्कूल से ही वेस्टर्न क्लासिकल संगीत में ग्रेजुएट हुए।
- 1984 में जब उनकी बहन काफी बीमार थी तब उनका परिचय कादिरी इस्लाम से हुआ। बाद में उन्होंने अपनी माता के धर्म में अपना और अपने परिवार का परिवर्तन 23 साल की आयु में 1989 में किया और मुस्लिम धर्म को अपनाकर अपने नाम आर.एस. दिलीप कुमार को बदलते हुए अल्लाह रखा रहमान (ए.आर. रहमान) रखा।
- रहमान का विवाह सायरा बानू के साथ हुआ और उन्हें तीन बच्चे भी हुए— खतीजा, रहीमा और अमीन। 81वें अकादमी अवाड्र्स सेरेमनी के दौरान रहमान ने अपनी माँ को श्रद्धांजलि दी थी। रहमान ने उस समय कहा था, ‘इल्ला पुघाजहुम इरैवानुक्के’ उनके यह शब्द कुरान के तमिल संस्करण से लिये गये थे, जिसका अर्थ माँ का भगवान् के समान होना है।