श्राद्ध न करना डाल सकता है आपको परेशानियों में, करना पड़ता है कई कष्टों का सामना
By: Ankur Tue, 02 Oct 2018 2:36:00
शास्त्रों में श्राद्ध का विशेष महत्व बताया गया हैं और माना गया है कि श्राद्ध पक्ष के इन दिनों में पूर्वज अर्थात पितर धरती पर आते हैं और परिजनों के बीच रहते हैं। पितृपक्ष के इन दिनों में श्राद्ध कर पितरों की आत्मा को संतुष्ट किया जाता हैं। लेकिन कई लोग ऐसे होते हैं जो इन दिनों का महत्व जानते हुए भी श्राद्ध नहीं करते हैं। जिसका उनकी जिंदगी पर प्रभाव पड़ता हैं और उन्हें पितृदोष का सामना करना पड़ता हैं। तो आइये जानते हैं कि श्राद्ध न करना आपको किन परेशानियों में डाल सकता हैं।
शास्त्रों में मृत व्यक्ति के दाहकर्म के पहले ही पिण्ड-पानी के रूप में खाने-पीने की व्यवस्था कर दी गई है। यह तो मृत व्यक्ति की इस महायात्रा में रास्ते के भोजन-पानी की बात हुई। परलोक पहुंचने पर भी उसके लिए वहां न अन्न होता है और न पानी। यदि सगे-संबंधी भी अन्न-जल न दें तो भूख-प्यास से उसे वहां बहुत ही भयंकर दु:ख होता है।
आश्विनमास के पितृपक्ष में पितरों को यह आशा रहती है कि हमारे पुत्र-पौत्रादि हमें अन्न-जल से संतुष्ट करेंगे; यही आशा लेकर वे पितृलोक से पृथ्वीलोकपर आते हैं लेकिन जो लोग पितर हैं ही कहां? यह मानकर उचित तिथि पर जल व शाक से भी श्राद्ध नहीं करते हैं, उनके पितर दु:खी व निराश होकर शाप देकर अपने लोक वापिस लौट जाते हैं और बाध्य होकर श्राद्ध न करने वाले अपने सगे-सम्बधियों का रक्त चूसने लगते हैं। फिर इस अभिशप्त परिवार को जीवन भर कष्ट-ही-कष्ट झेलना पड़ता है और मरने के बाद नरक में जाना पड़ता है।
मार्कण्डेयपुराण में बताया गया है कि जिस कुल में श्राद्ध नहीं होता है, उसमें दीर्घायु, निरोग व वीर संतान जन्म नहीं लेती है और परिवार में कभी मंगल नहीं होता है।