शीतला अष्टमी 2018 : इस दिन माता को लगाया जाता है बासी खाने का भोग, जाने इसका महत्व

By: Pinki Mon, 05 Mar 2018 4:59:43

शीतला अष्टमी 2018 : इस दिन माता को लगाया जाता है बासी खाने का भोग, जाने इसका महत्व

शीतला अष्टमी हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें शीतला माता का व्रत एवं पूजन किया जाता है। शीतलाष्टमी का पर्व होली के सम्पन्न होने के कुछ दिन पश्चात मनाया जाता है। देवी शीतला की पूजा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से आरंभ होती है। इस पर्व को ‘बूढ़ा बसौड़ा’, ‘बसौड़ा’, ‘बासौड़ा’, ‘लसौड़ा’ या ‘बसियौरा’ के नाम से भी जाना जाता है। शीतला अष्टमी उत्तरी भारत में पूजी जाने वाली माता शीतला को समर्पित है जिन्हें रोगों को दूर करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है। माना जाता है चिकन पोक्स, चेचक, खसरा आदि जैसी समस्याएं इन्ही के आशीर्वाद से ठीक होती है। माना जाता है माँ शीतला का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी का व्रत किया जाता है और माँ शीतला का पूजन किया जाता है। शीतला अष्टमी उत्तरी भारत में पूजी जाने वाली माता शीतला को समर्पित है जिन्हें रोगों को दूर करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है। माना जाता है चिकन पोक्स, चेचक, खसरा आदि जैसी समस्याएं इन्ही के आशीर्वाद से ठीक होती है। माना जाता है माँ शीतला का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी का व्रत किया जाता है और माँ शीतला का पूजन किया जाता है।

आज हम आपको बताएंगे कि कब है शीतला अष्टमी 2018, शीतला अष्टमी पूजा शुभ मुहूर्त और पूजन विधि। आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि कुछ जगह ऐसी हैं जहां मां शीतला की पूजा होली के बाद पड़ने वाले पहले सोमवार अथवा गुरुवार के दिन ही की जाती है। बता दें कि मां शीतला हर तरह के पापों का नाश करती हैं, साथ ही भक्तों के तन-मन को शीतल करती हैं।

कब है शीतला अष्टमी और पूजा शुभ मुहूर्त

इस बार शीतला अष्टमी 9 मार्च 2018 को है। शीतला अष्टमी पूजा शुभ मुहूर्त प्रातः 06:41 बजे से सायं 06:21 बजे तक है। कुल अवधि 11 घंटे 40 मिनट की है।अष्टमी तिथि प्रारंभ 9 मार्च 2018, प्रातः 03:44 बजे से होगा, जिसका समापन 10 मार्च 2018 प्रातः 06:00 बजे होगा। एक बात जिससे शायद आप अंजान हो, शीतलाष्टमी के एक दिन मां को भोग लगाने के लिए बासी खाने का भोग यानि बसौड़ा तैयार किया जाता है। इस दिन बासी पदार्थ मां को नैवेद्य के रूप में समर्पित किया जाता है और फिर प्रसाद को भक्तों में वितरित किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन के बाद से बासी खाना खाना बंद कर दिया जाता है।

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शीतला अष्टमी पूजन विधि

शीतला अष्टमी पूजन विधि सूर्य ढलने के पश्चात तेल और गुड़ में खाने-पीने की वस्तुएं मीठी रोटी, मीठे चावल, गुलगुले, बेसन एवं आलू आदि की नमकीन पूरियां तैयार की जाती हैं। शीतला माता को अष्टमी के दिन मंदिर में जाकर गाय के कच्चे दूध की लस्सी के साथ सभी चीजों का भोग लगाया जाता है। आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि मीठी रोटी के साथ दही और मक्खन, कच्चा दूध, भिगोए हुए काले चने, मूंग और मोठ आदि प्रसाद रूप में चढ़ाने की परंपरा है।

क्या आप जानते हैं कि मां शीतला को भोग लगाने के बाद मंदिर में बनी विभिन्न पिंडियों समेत शिवलिंग पर कच्ची लस्सी चढ़ाई जाती है। इसी के साथ मां से परिवार की मंगल कामना के लिए प्रार्थना की जाती है।

बसौड़ा / शीतला अष्टमी का महत्व

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, शीतला माता चेचक, खसरा आदि की देवी के रूप में पूजी जाती है। इन्हें शक्ति के दो स्वरुप, देवी दुर्गा और देवी पार्वती के अवतार के रूप में जाना जाता है। इस दिन लोग माँ शीतला का पूजन का करते है, ताकि उनके बच्चे और परिवार वाले इस तरह की बिमारियों से बचे रह सके।

शीतला माता के नाम से ही स्पष्ट होता है की यह किसी भी समस्या से राहत देने में मदद करती है। माना जाता है यदि किसी बच्चे को इस तरह की बीमारी हो जाए तो उन्हें माँ शीतला का पूजन करना चाहिए इससे बिमारी में राहत मिलती है और समस्या जल्दी ठीक होती है। कहा ये भी जाता है शीतला अष्टमी के दिन माँ शीतला का विधिवत पूजन करने से घर में कोई बिमारी नहीं रहती और परिवार निरोग रहता है। तो इस वर्ष आप भी माँ शीतला का व्रत करें और अपने परिवार के लिए निरोगी रहने का आशीर्वाद प्राप्त करें।

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