आखिर क्यों रखा जाता है संकट चौथ का व्रत, जानें इसकी पूर्ण पूजा विधि के बारे में

By: Ankur Thu, 24 Jan 2019 12:40:15

आखिर क्यों रखा जाता है संकट चौथ का व्रत, जानें इसकी पूर्ण पूजा विधि के बारे में

आज माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी हैं और आज का दिन हिन्दू धर्म में संकट चौथ के व्रत के रूप में जाना जाता हैं। संकट चौथ को तिलकुट चौथ, संकटा चतुर्थी, तिलकुट चतुर्थी आदि नामों से भी जाना जाता हैं। यह व्रत भगवान श्री गणेश को समर्पित होता हैं और आज के दिन इनकी पूजा-आराधना की जाती हैं। महिलाऐं अपनी संतान की दीर्घायु के लिए निर्जला उपवास रखती हैं और चाँद को देखकर ही अपना व्रत तोडती हैं। आज हम आपको संकट चौथ का व्रत रखने कि पूर्ण पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते है इसके बारे में।

* संकष्टी चौथ पूजा विधि

सुबह स्नान के पश्चात साफ कपड़े पहनकर गणेशजी की प्रतिमा को ईशान कोण में एक चौकी पर स्थापित करें। चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा अवश्य बिछा लें। फिर भगवान की पूजा शुरू करें। इस दिन कुछ घरों में तिल और गुड़ का बकरा बनाकर उसकी बलि दी जाती है। इस दिन महिलाएं समूह में एकत्र होकर भगवान गणेश की कथा भी सुनाती हैं। गणेशजी की पूजा के लिए जल, अक्षत, दूर्वा, लड्डू, पान, सुपारी और धूप आदि भी अनिवार्य है। इसे ओम गणेशाय नम: मंत्र का जप करते हुए भगवान को अर्पित करें।

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* व्रत कथा

इसी दिन भगवान गणेश अपने जीवन के सबसे बड़े संकट से निकलकर आए थे, इसलिए इसे सकट चौथ कहा जाता है। एक बार मां पार्वती स्नान के लिए गईं तो उन्होंने दरबार पर गणेश को खड़ा कर दिया और किसी को अंदर नहीं आने देने के लिए कहा। यहां तक कि भगवान गणेश ने अपने पिता शिव को भी अंदर आने से रोक दिया। भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। पुत्र का यह हाल देख मां पार्वती विलाप करने लगीं
और अपने पुत्र को जीवित करने का हठ करने लगीं।

जब मां पार्वती ने शिव से बहुत अनुरोध किया तो भगवान गणेश को हाथी का सिर लगाकर दूसरा जीवन दिया गया और गणेश गजानन कहलाने लगे। इस दिन से भगवान गणपति की प्रथम पूज्य के रूप में आराधना की जाने लगी। तभी से यह तिथि गणपति पूजन की तिथि बन गई। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सबकी मनोकामना पूरी होती है।

* चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि


पूजा के बाद शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत तोड़ा जाता है। चंद्रमा को शहद, रोली, चंदन और रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें। कुछ स्थानों पर व्रत तोड़ने के बाद महिलाएं सबसे पहले शकरकंद का प्रयोग करती हैं।

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